अब ताकत नहीं तकनीक का बोलबाला

अर्जुन अवार्डी पहलवान उदयचंद ने साझा किए अनुभव
खेलपथ संवाद
हिसार।
मैं जब ओलम्पिक में खेलता था तब कुश्ती में पदक ताकत के बल पर जीते जाते थे। जो खिलाड़ी जितना ज्यादा ताकतवर होता, उसके जीतने की सम्भावना उतनी ही अधिक होती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब कुश्ती ताकत के साथ-साथ तकनीक और शरीर के लचीलेपन के मिश्रण का खेल बन चुका है। आप तकनीकी रूप से जितने दक्ष होंगे, शरीर जितना लचीला होगा, आपके जीतने की सम्भावना उतनी अधिक होगी। यह कहना है देश के प्रथम अर्जुन अवार्डी पहलवान उदयचंद का, जिन्होंने साल 1960 से 1968 तक तीन ओलम्पिक में देश का प्रतिनिधित्व किया और कुश्ती में खास मुकाम हासिल किया।
विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप के लाइट वेट वर्ग में विदेशी धरती पर पहला पदक जीतने वाले 86 वर्षीय पहलवान उदयचंद ने खेल में अपने बीते वक्त की यादों और अनुभव को  साझा किया। उन्होंने कहा कि ओलम्पिक में पदक जीतना खिलाड़ी का सबसे बड़ा सपना होता है। समय के साथ-साथ ओलम्पिक खेलों में बहुत परिवर्तन आया है। पारदर्शिता से लेकर खेल सुविधाओं तक सभी का स्तर बहुत बेहतर हो गया है। हमारे जमाने में तो सुविधाएं नाममात्र ही थीं, लेकिन अब वह स्थिति नहीं है। खानपान बहुत बदल चुका है। हम घी, दूध और फल पर आश्रित थे, आज खिलाड़ियों की डाइट में बहुत परिवर्तन आ गया है।
12 साल राष्ट्रीय चैम्पियन रहे उदयचंद: हिसार के आजाद नगर निवासी पहलवान उदयचंद देश के पहले अर्जुन अवार्डी हैं। साल 1935 में गांव जांडली में किसान परिवार में उनका जन्म हुआ। साल 1953 से 1970 में भारतीय सेना में सूबेदार के पद पर रहे। इस दौरान साल 1958 से लेकर 1970 तक 12 वर्ष तक राष्ट्रीय चैंपियन रहे। साल 1970 से 1995 में हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी हिसार में बतौर प्रशिक्षक उन्होंने कई पहलवान तैयार किए।
विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीतने वाले पहले भारतीय: उदयचंद ने जापान के योकोहामा में 1961 में हुई विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में लाइट वेट वर्ग में कांस्य पदक जीता था। वह आजाद भारत के पहले व्यक्तिगत विश्व कुश्ती चैंपियनशिप के पदक विजेता हैं। उदयचंद अपने भाई हरिराम के साथ विश्व चैंपियनशिप मे हिस्सा लेने गए थे। भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार था कि एक मां के दो बेटे विश्व चैंपियनशिप में खेले।
तीन बार मास्टर चंदगीराम से हुई कुश्ती : उदयचंद का तीन बार मास्टर चंदगीराम से आमना-सामना हुआ, लेकिन हर बार मुकाबला बराबरी पर रहा।

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