बचपन से ही मुझे मार-धाड़ पसंदः मनीषा मौन

कोलोन विश्व कप में लगाया स्वर्णिम पंच
पड़ोसी बच्चों को मुक्कों से पीट देती थी, इसलिए घर वालों ने सिखाई बॉक्सिंग
खेलपथ प्रतिनिधि
नई दिल्ली।
बचपन से ही मार-धाड़ में दक्ष मनीषा मौन ने शनिवार को कोलोन शहर में हुई विश्व कप मुक्केबाजी में स्वर्णिम पंच लगाकर भारत को गौरवान्वित किया। इस प्रतियोगिता में भारतीय मुक्केबाजों ने तीन स्वर्ण सहित कुल नौ मेडल जीते। इसी के साथ भारतीय मुक्केबाजों ने अपने 67 दिनों के यूरोपीय प्रशिक्षण और प्रतियोगिता अभियान को सफलतापूर्वक समाप्त कर दिया। भारत की तरफ से पांच महिला और आठ पुरुष भारतीय मुक्केबाजों ने इटली में मजबूत तैयारी के बाद कोलोन बॉक्सिंग विश्व कप में भाग लिया था।
जर्मनी के कोलोन शहर में आयोजित कोलोन विश्वकप में भारतीय मुक्केबाजों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए नौ पदक अपने नाम किए जिसमे तीन गोल्ड, दो सिल्वर और चार ब्रॉन्ज मेडल शामिल हैं। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण बाधित इस विश्वकप का फ़ाइनल मुकाबला शनिवार रात को खेला गया। एशियाई खेलों के चैम्पियन और विश्व चैम्पियनशिप के रजत पदक विजेता अमित पंघाल ने इस टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल अपने नाम किया जबकि मनीषा मौन और विश्व चैम्पियनशिप की ब्रॉन्ज मेडल विजेता सिमरनजीत कौर ने भी शानदार प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल अपने नाम किए।
मनीषा मौन की जहां तक बात है यह बिटिया बचपन से ही शरारती रही हैं। मनीषा की मां बताती हैं कि बचपन में वह पड़ोस के बच्चों को मुक्कों से पीटती थी, इसके लिए मुझे उलाहने मिलते थे। इसीलिए मैंने मनीषा को बॉक्सिंग सिखाने का फैसला लिया। साल 2011 में वह अपने भाई के साथ बाक्सिंग सीखने के लिए जाने लगी। अब तक मनीषा 21 स्वर्ण जीत चुकी है। मनीषा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पांच पदक हासिल कर चुकी है।
 

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