भारतीय ओलम्पिक संघ दोफाड़

शीर्ष पदाधिकारियों में वर्चस्व की जंग

श्रीप्रकाश शुक्ला

कहते हैं कि यदि समय खराब हो तो ऊंट में बैठे को भी कुत्ता काट लेता है। भारतीय ओलम्पिक संघ में दो शीर्ष पदाधिकारियों के बीच चल रही वर्चस्व की लड़ाई में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है। भारतीय ओलम्पिक संघ के अध्यक्ष नरिन्दर ध्रुव बत्रा और महासचिव राजीव मेहता के बीच छिड़ी जंग में सद्भाव की बयार बहाने की बजाय खेल संगठन के पदाधिकारी भी तूल दे रहे हैं। भारतीय ओलम्पिक संघ खेलों को पटरी पर लाने के कितने ही प्रयास क्यों न कर रहा हो पर बात बनती नहीं दिख रही है। अध्यक्ष नरिन्दर बत्रा और महासचिव राजीव मेहता के बीच बांहें खिंची हुई हैं कोई किसी से बात नहीं कर रहा, इस बात के संकेत भारतीय ओलम्पिक संघ के कोषाध्यक्ष आनंदेश्वर पाण्डेय के पत्र से साफ-साफ मिल रहे हैं।

भारतीय ओलम्पिक संघ के कोषाध्यक्ष आनंदेश्वर पाण्डेय का पत्र इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि आईओए में कुछ भी ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। भारतीय ओलम्पिक संघ के अध्यक्ष नरिन्दर बत्रा द्वारा कोषाध्यक्ष आनंदेश्वर पांडेय को भेजे ई-मेल के माध्यम से महासचिव राजीव मेहता के कार्यों के बंटवारे की बात कही गई है। बत्रा के इस ई-मेल के जवाब में कोषाध्यक्ष पाण्डेय ने लिखा है कि मुझे भारतीय ओलम्पिक संघ की सेवा करते हुए 25 साल हो गए हैं। भारतीय ओलम्पिक संघ में सभी पदाधिकारियों के कार्य बंटे हुए हैं। कोई पदाधिकारी संविधान से ऊपर नहीं है। संविधान ही सर्वोच्च है। इसमें किसी भी प्रकार का संशोधन केवल साधारण सभा की बैठक में ही हो सकता है। श्री पाण्डेय ने अपने पत्र में साफ-साफ कहा है कि भारतीय ओलम्पिक संघ का कोई भी पधाधिकारी किसी के अंतर्गत कार्य करने को बाध्य नहीं है, सभी अपने आप में स्वतंत्र हैं। श्री पाण्डेय ने लिखा है कि यदि संविधान में वर्णित अधिकारों को और ज्यादा रेखांकित करना है तो तुरंत कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर निर्णय लिया जाना उचित होगा।

दरअसल, दोनों शीर्ष पदाधिकारियों के बीच चल रही नूरा-कुश्ती की मुख्य वजह सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति वी.के. गुप्ता की अगुआई वाले आईओए के नैतिकता आयोग के कार्यकाल को बढ़ाने को लेकर है। इस आयोग को 2017 में नियुक्त किया गया था। मेहता ने कार्यकारी परिषद के सदस्यों, राष्ट्रीय खेल महासंघों और राज्य ओलम्पिक इकाइयों को पत्र लिखकर कहा कि अध्यक्ष बत्रा का 19 मई, 2020 के पत्र के जरिए आईओए नैतिकता आयोग (2017-2021) को भंग करना अवैध है और आयोग को पुन: बहाल किया जाता है। मेहता ने लिखा कि आईओए के विधि विभाग के चेयरमैन इस मामले की जांच करेंगे। आईओए की कार्यकारी परिषद की अगली बैठक में आयोग/समितियों के मुद्दों पर चर्चा होगी। आईओए के विधि आयोग के प्रमुख वरिष्ठ उपाध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता आर.के. आनंद हैं। कोषाध्यक्ष पाण्डेय के इस पत्र से साफ है कि अध्यक्ष बत्रा दूसरे के कार्यों में दखल दे रहे हैं।

यह बात साफ है कि बत्रा और मेहता के बीच तू-तू, मैं-मैं की शुरुआत नैतिकता आयोग को भंग करने को लेकर हुई है। श्री बत्रा ने नैतिकता आयोग को जहां भंग कर दिया वहीं श्री मेहता ने इस फैसले को अवैध करार देते हुए सभी खेल संगठनों को पत्र भेजकर नैतिकता आयोग को यथावत कार्य करते रहने की बात कही। फिर क्या अध्यक्ष बत्रा ने महासचिव राजीव मेहता से अधिकांश जिम्मेदारियां वापस ले लेने की बात कहकर मामले को और गर्मा दिया। बत्रा पर पलटवार करते हुए मेहता ने कहा था कि भारतीय ओलम्पिक संघ के रोजमर्रा के काम देखना उनकी जिम्मेदारी है। जो भी हो नरिन्दर बत्रा के क्वारंटाइन हो जाने से अब आने वाले एक पखवाड़े तक भारतीय ओलम्पिक संघ की सारी गतिविधियां शिथिल रहने के संकेत हैं।

कोरोना संक्रमण के कारण भारत में लॉकडाउन का लगातार चौथा फेस जारी है। इस वजह से 14 मार्च से ही राष्ट्रीय खेल प्रशिक्षण शिविर और प्रमुख खेल प्रतियोगिताएं बाधित हैं। खिलाड़ियों को सचेत और चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए यद्यपि विभिन्न खेल संगठन अपनी तरफ से चोचलेबाजी में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, फिर भी खेलों के हालात बदतर नजर आ रहे हैं। लॉकडाउन के बाद खेल किस प्रकार शुरू होंगे इसको लेकर भारतीय ओलम्पिक संघ ने 18 खेल फेडरेशनों से 20 मई तक प्लान मांगे थे, लेकिन सिर्फ सात खेल संगठनों ने ही इसका जवाब दिया है। 11 खेल संगठनों के जवाब न मिलना बत्रा और मेहता की बीच छिड़ी जंग का ही नतीजा है।

खेल संगठनों के इस रवैये से भारतीय ओलम्पिक संघ के अध्यक्ष नरिन्दर ध्रुव बत्रा काफी आगबबूला हैं। वह नाराजगी के साथ-साथ आहत-मर्माहत भी हैं। अध्यक्ष नरिन्दर ध्रुव बत्रा ने खेल संगठनों से प्लान के तौर पर खेल शुरू करने की रणनीति, प्रशिक्षण शिविरों को लगाए जाने का ब्यौरा, 2021 ओलम्पिक को लेकर खेल महासंघों की योजना तथा अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों की जानकारी चाही थी। भारतीय ओलम्पिक संघ का उद्देश्य खेल महासंघों के माध्यम से स्पोर्ट्स अथारिटी ऑफ इंडिया (साई) को सम्पूर्ण जानकारी भेजकर आगे की योजना तैयार करना था। भारतीय ओलम्पिक संघ के पत्र को हवा में उड़ाना इस बात का संकेत है कि अधिकांश खेल संगठनों के पदाधिकारी अध्यक्ष नरिन्दर ध्रुव बत्रा की हिटलरशाही से आजिज आ चुके हैं। भारतीय ओलम्पिक संघ के महासचिव राजीव मेहता नहीं चाहते कि संक्रमण-काल में खिलाड़ियों की जान खतरे में डाली जाए।

अध्यक्ष बत्रा के पत्र और अनुरोध पर आर्चरी एसोसिएशन ऑफ इंडिया, हॉकी इंडिया, रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया, वॉलीबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया, इंडियन वेटलिफ्टिंग फेडरेशन और नौकायन संघ ने तवज्जो दी है। इन सात संगठनों ने ही कोरोना के बाद फिर से राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर लगाए जाने के प्लान भेजे हैं। माना जा रहा है कि केन्द्रीय खेल मंत्री किरेन रिजीजू की मंशानुरूप ही नरिन्दर बत्रा ने खेल संगठनों को पत्र लिखे थे। बत्रा ने यह भी साफ किया कि तैयारियां सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देशों के तहत होनी हैं। उससे बाहर नहीं जाया जा सकता है। खेल मंत्री की मंशानुरूप फिलहाल एनआईएस पटियाला और बेंगलूरू में मौजूद एथलेटिक्स, हॉकी, वेटलिफ्टिंग के खिलाड़ियों की ट्रेनिंग शुरू हो चुकी है। देखा जाए तो बीते 23 मार्च से बहुत से खिलाड़ी एनआईएस के कमरों में बंद थे, इन्हें मैदान में अभ्यास की इजाजत नहीं थी। खेल मंत्रालय की इजाजत के बाद पटियाला और बेंगलूर में खिलाड़ियों ने अभ्यास शुरू कर दिया है लेकिन बहुत से खिलाड़ी अभी भी अभ्यास से वंचित हैं।

खेलों को पटरी पर लाने के लिए भारतीय खेल प्राधिकरण ने खेलो इंडिया यूथ गेम्स और खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में मेडल जीतने वाले 2749 खिलाड़ियों के लिए 8.25 करोड़ रुपये भत्ते के रूप में जारी कर दिए हैं। यह भत्ते 2020-21 की पहली तिमाही के लिए हैं। ज्ञातव्य है कि कुल 2893 खिलाड़ियों को यह धनराशि दी जानी है, अभी भी 144 प्रतिभाशाली खिलाड़ी भत्ते से वंचित हैं। भारत में इन दिनों खेलों को लेकर जो खिलवाड़ हो रहा है, उसमें कहीं न कहीं भारतीय ओलम्पिक संघ के दो पदाधिकारियों के बीच जारी जंग मुख्य वजह है। एक तरफ जहां खेलों के सबसे बड़ा महोत्सव ओलम्पिक को टाल दिया गया है वहीं गोवा में अक्टूबर-नवम्बर में होने वाले 36वें राष्ट्रीय खेल भी अनिश्चितकाल के लिए टाल दिए गए हैं। एक तरफ जहां प्रमुख खेल प्रतियोगिताएं कोरोना संक्रमण के चलते स्थगित हो चुकी हैं वहीं नरिन्दर बत्रा खेल संगठनों को पत्र जारी कर खिलाड़ियों को अभ्यास क्यों कराना चाहते हैं समझ से परे है।   

 

 
 
 
 
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