65 साल बाद दादा के हाथ ‘दादागिरी’

यह पैंसठ साल बाद हुआ है कि किसी क्रिकेट कप्तान को दुनिया के सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है। पिछले दशकों में विशुद्ध राजनीति, भाई-भतीजावाद और कदाचार इस जेंटलमैन खेल में व्याप्त हो गए थे। तमाम विसंगतियों को दूर करने के लिए सुप्रीमकोर्ट ने दखल दिया था। अब सुप्रीमकोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति का तैंतीस माह से चला आ रहा शासन खत्म हो गया है। गांगुली के लिये करने के लिये बहुत कुछ है, वे करना भी चाहते हैं, मगर विडंबना यही है कि उन्हें सिर्फ दस महीने मिलेंगे। अब वे लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई टीम के साथ काम करेंगे। कहना मुश्किल है कि उनकी टीम राजनीति की छाया से मुक्त होकर काम कर पायेगी।
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 18000 रन बना चुके और सफल पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली की छवि विवादों से मुक्त ही रही है। यही वजह है जब उन्होंने कहा कि मेरी प्राथमिकता प्रथम श्रेणी के क्रिकेटरों की देखभाल है तो उम्मीद जगी कि भारतीय क्रिकेट के अच्छे दिन आयेंगे। सौरभ गांगुली ने जब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का अध्यक्ष पद संभाला तो वे 39वें अध्यक्ष बने। वे जुलाई 2020 तक अपने पद पर बने रहेंगे। वे इस पद पर निर्विरोध चुने गये। यह कार्यवाही तब शुरू हुई जब जस्टिस एस.ए. बोबड़े और जस्टिस नागेश्वर राव ने बीते मंगलवार को प्रशासकों की समिति यानी सीओए को भंग करने का आदेश दिया। दरअसल, तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस आर.एम. लोढ़ा की सिफारिशों पर 2017 में सीओए का गठन किया गया था। यह वह दौर था जब बीसीसीआई गंभीर आरोपों से घिरी थी।
गांगुली जैसे दिग्गज खिलाड़ी को ज्यादा समय अध्यक्ष की भूमिका के रूप में मिलता तो शायद वे बड़े बदलाव ला सकते थे। दरअसल, लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों के अनुसार कोई भी व्यक्ति राज्य क्रिकेट बोर्ड या बीसीसीआई में छह साल से अधिक समय तक नहीं रह सकता। गांगुली वर्ष 2014 से ही बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन के विभिन्न पदों पर रहे हैं। इसके बाद उन्हें तीन साल के कूलिंग पीरियड पर जाना होगा। सौरभ गांगुली इंडियन प्रीमियर लीग की संचालन परिषद के चार सदस्यों में से एक रहे हैं। उन्हें यह जिम्मेदारी सुप्रीमकोर्ट ने वर्ष 2016 में दी थी।
गांगुली ने जहां एक ओर धमाकेदार बल्लेबाज के रूप में अपनी पारी खेली, वहीं उनकी गिनती भारत के सफल कप्तानों के रूप में होती है। सचिन तेंदुलकर के कप्तानी से हटने के बाद गांगुली को भारतीय टीम का नेतृत्व करने का मौका मिला था। उन्होंने वर्ष 2003 में संपन्न विश्वकप में भारतीय टीम का नेतृत्व किया था। कालांतर बल्ले की लय खोने के बाद उन्हें जाना पड़ा था। उल्लेखनीय है कि क्रिकेट में विशेष योगदान के लिये सौरभ गांगुली को वर्ष 2004 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
नि:संदेह गांगुली के सामने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की छवि सुधारने तथा बेहतर ढंग से संचालन की चुनौती है। संस्था के प्रशासन में पारदर्शिता लाने का दबाव होगा। प्रथम श्रेणी क्रिकेटरों की सुविधाओं व मेहनताने में वृद्धि को उन्होंने प्राथमिकता देने की बात कही है। दिग्गज क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में भविष्य, दिन-रात के टेस्ट मैच कराने, आईसीसी से देश का राजस्व का हिस्सा बढ़ाने जैसी चुनौतियां भी गांगुली के सामने हैं। फिर विश्व क्रिकेट के सबसे बड़े संगठन को सुचारु रूप से चलाने का दायित्व भी उनके कंधों पर रहेगा। बकौल गांगुली उनके लिये कुछ अच्छा करने का सुनहरा मौका है।
कामयाब कप्तान के बाद अब दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड का अध्यक्ष बनना गांगुली की उपलब्धि ही है। मगर उनके सामने चुनौती यह भी है कि प्रभावशाली लोगों के भाई-भतीजों से प्रभावित बीसीसीआई का स्वतंत्र संचालन वे कैसे कर पाते हैं।  इसके साथ ही राज्य क्रिकेट संघों की गतिविधियों पर भी नजर रखनी होगी। हालांकि बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन और एक कप्तान व क्रिकेटर के रूप में हासिल अनुभव उनकी नई पारी खेलने में मददगार होंगे। संभव है फिर वे बीसीसीआई को साफ-सुथरा बना पायें।
गांगुली के सामने चुनौती यह भी है कि जिन लोगों की वजह से क्रिकेट के दामन में दाग लगे, पर्दे के पीछे से उनकी भूमिकाएं खत्म नहीं हुई हैं। राजनीति ने क्रिकेट प्रबंधन को गहरे तक जकड़ रखा है। उनकी नियुक्ति के भी पश्चिम बंगाल की भावी राजनीति से तार जोड़े जा रहे हैं। ऐसे में उनकी टीम के लिये बेहतर प्रशासन दे पाना एक चुनौती होगी। सबसे अच्छी बात यह है कि लोढ़ा समिति की सिफारिशों के अनुरूप बीसीसीआई की कमान एक क्रिकेटर को मिली है। चुनाव लोकतांत्रिक ढंग से हुए हैं। ऐसे में देखना होगा कि क्रिकेटरों में दादा के नाम से चर्चित सौरभ गांगुली इस नई पिच पर कैसे ‘दादागिरी’ दिखाकर चौके-छक्के लगाते हैं। ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि भारतीय क्रिकेट मैच फिक्सिंग जैसे दागों की जद में दुबारा नहीं आएगा। आक्रमक बल्लेबाजी और कप्तानी के बाद उनसे एक और आक्रमक पारी की उम्मीद है।

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