विराट और आरसीबी ने चूमा ‘सपनों का ताज’

18 साल की तपस्या, 22 गज की साधना पूरी

’18’ विराट की नियति का नम्बर, अब बना विजय का प्रतीक

खेलपथ संवाद

अहमदाबाद। आईपीएल के इतिहास में आज एक ऐसा दिन आया, जब सपनों ने हकीकत का रूप लिया। 18 वर्षों की मेहनत, संघर्ष और उम्मीद के बाद, रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने पहली बार आईपीएल की ट्रॉफी अपने नाम की। पंजाब किंग्स को 6 रन से हराते हुए आरसीबी ने न सिर्फ एक बड़ा मैच जीता, बल्कि एक लम्बी प्रतीक्षा और निराशा के दौर को भी आखिरकार समाप्त किया।

इस जीत की सबसे बड़ी वजह थी विराट कोहली का अद्भुत नेतृत्व और जुनून, जिन्होंने न केवल मैदान पर बल्कि दिलों में भी इतिहास रच दिया और इस ऐतिहासिक क्षण का चेहरा थे विराट कोहली। उनकी नम आंखों में सिर्फ जीत नहीं, बल्कि एक युग का अंत और नए युग की शुरुआत छिपी थी।

आईपीएल 2025 की ट्रॉफी विराट कोहली के हाथों में थी। उनके चेहरे पर सुकून था, लेकिन आंखों में आँसू। ’18’ यह बस एक अंक नहीं, कोहली की क्रिकेट यात्रा की आत्मा है। 18 दिसंबर 2006 को पिता को खोया। अंडर-19 टीम में मिली पहली जर्सी नंबर 18 और अब, आईपीएल का 18वां संस्करण जब विराट कोहली ने खुद को मुकम्मल किया। कभी यह अंक बोझ रहा, आज यही उनकी सबसे बड़ी पहचान बन गया।

190 रन का स्कोर। एक फाइनल के लिए साधारण, लेकिन आरसीबी के इरादों के आगे ये स्कोर दीवार बन गया। विराट (43 रन), सॉल्ट (16), पाटीदार (26) भले ही विस्फोटक नहीं रहे, लेकिन जितेश शर्मा ने 10 गेंदों पर 24 रन की जो चिंगारी छोड़ी, वही चिंगारी लाल लहर बनकर पंजाब पर टूट पड़ी। आरसीबी की पारी बीच के ओवरों में धीमी रही। 6 से 11वें ओवर तक मात्र 42 रन। लेकिन अंत के ओवरों में आक्रामकता ने वापसी कराई।

पंजाब की ओर से काइल जेमीसन (3 विकेट) और अर्शदीप सिंह (3 विकेट) ने कमाल किया। अर्शदीप का आखिरी ओवर तो किसी क्लासिक थ्रिलर की तरह था। तीन विकेट, एक नई उम्मीद। लेकिन आरसीबी ने हौसले से जीत की चाबी अपने पास रखी। पंजाब किंग्स एक बार फिर ‘इतिहास के दरवाज़े’ पर दस्तक देकर लौट गए।

पंजाब किंग्स की शुरुआत शानदार थी। प्रियांश आर्य और प्रभसिमरन सिंह ने पहले 5 ओवर में 43 रन जोड़े। जैसे ये मुकाबला एकतरफा लग रहा था प्रियांश के आउट होते ही लय टूटी। कप्तान श्रेयस अय्यर असफल रहे, और बीच के ओवरों में आरसीबी की रणनीति ने मैच का रुख मोड़ दिया। हालांकि शशांक सिंह (61 रन, 30 गेंद) ने अंत में लगभग नामुमकिन को मुमकिन की ओर खींचा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। आरसीबी की ओर से कृणाल पंड्या (2/17) सबसे प्रभावी साबित हुए उन्होंने रन चोक किए, विकेट लिए और पंजाब की सांसें थाम दीं।

जब मैच समाप्त हुआ, और ट्रॉफी विराट के हाथों में आई, स्टेडियम में हर दर्शक की सांसें थम गईं। वो कोहली जिसने आईपीएल की हर हार के बाद फैंस से माफ़ी मांगी। वो कोहली जिसने आलोचना को ईंधन बनाया और वो कोहली जिसने कभी हार नहीं मानी। आज जीत का प्रतीक था।

आरसीबी अब सिर्फ “इमोशनल फेवरिट्स” नहीं, असली चैम्पियन है। 18 वर्षों की प्रतीक्षा, आलोचना और ट्रोल्स के बीच आरसीबी हमेशा चर्चा में रही लेकिन अब वह हास्य का पात्र नहीं, गौरव का प्रतीक बन चुकी है। कप्तान नहीं होते हुए भी विराट कोहली ने जिस ऊर्जा, जोश और नेतृत्व की भूमिका निभाई, वह इस जीत की असली नींव थी। अब, जब आईपीएल के अगले सीज़न की चर्चा होगी, तो आरसीबी के नाम के आगे लगेगा “डिफेंडिंग चैम्पियंस।”

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