अब प्रदर्शन भारतीय टीम में चयन का बनेगा आधार

घरेलू क्रिकट सत्र के बाद लिए जा सकते हैं बड़े और कड़े फैसले
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के सामने आसानी से आत्मसमर्पण करने वाली भारतीय बल्लेबाजी सवालों के घेरे में है। ऑस्ट्रेलिया के हाथों 1-3 से हार के बाद फरवरी तक चलने वाले घरेलू सत्र के बाद अजित अगरकर की अगुवाई वाली चयन समिति बड़े फैसले ले सकती है। 
यह भी तय माना जा रहा है कि ऑस्ट्रेलिया में विफल रहे स्टार बल्लेबाज विराट कोहली, रोहित शर्मा समेत अन्य क्रिकेटरों को घरेलू क्रिकेट में अपनी उपयोगिता साबित करते हुए फिर से चयन का दावा ठोकना होगा। हालांकि भारतीय टीम के बदलाव के कठिन दौर में बल्लेबाजी से ज्यादा गेंदबाजी के विकल्प ज्यादा परेशान करने वाले हैं। रोहित और विराट के खराब प्रदर्शन के बाद इन दोनों क्रिकेटरों का भविष्य अधर में है, लेकिन चयन समिति के पास यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं कि अगर दोनों दिग्गज बाहर भी हो जाते हैं तो बल्लेबाजी क्रम पहले जैसा मजबूत बना रहे। हालांकि गेंदबाजी में यह बात उतनी मजबूती से नहीं कही जा सकती है।
विराट-रोहित से घरेलू सत्र में खेलने को कहा जा सकता है
ऑस्ट्रेलियाई दौरे के बाद रणजी ट्रॉफी का दूसरा दौर शुरू होने वाला है, विजय हजारे ट्रॉफी वनडे टूर्नामेंट भी चल रहा है। घरेलू सत्र फरवरी तक चलेगा। कोच गौतम गंभीर समेत दिग्गज सुनील गावस्कर पहले ही कह चुके हैं कि सभी क्रिकेटरों को घरेलू टूर्नामेंटों में खेलना चाहिए। 
बीसीसीआई से जुड़े सूत्र बताते हैं कि विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे वरिष्ठ क्रिकेटरों से मुख्य चयनकर्ता अजित अगरकर घरेलू टूर्नामेंट में खेलने को लेकर बात कर सकते हैं। विराट कोहली अंतिम बार 2012 में यूपी के खिलाफ गाजियाबाद में दिल्ली के लिए रणजी ट्रॉफी में खेले थे, जबकि रोहित शर्मा अंतिम बार रणजी ट्रॉफी में 2015 में खेले थे।
सुदर्शन-पडिक्कल मजबूत दावेदार
बल्लेबाजी में विकल्प की बात करें तो चयन समिति के पास कई विकल्प मौजूद हैं। रोहित और विराट के संन्यास लेने की स्थिति में कम से कम छह ऐसे क्रिकेटर हैं जो इन दोनों की जगह भरने के दावेदार हैं। इनमें सबसे बड़े दावेदार तमिलनाडु के बाएं हाथ के बी साई सुदर्शन हैं। भारत ए के लिए ऑस्ट्रेलिया ए के खिलाफ मकाय में उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन हार्निया के ऑपरेशन के चलते उन्हें पुर्नवास में जाना पड़ा। वापसी के बाद अगर वह अपनी फिटनेस और फॉर्म हासिल कर लेते हैं तो जून में होने वाले इंग्लैंड दौरे पर वह भारतीय टीम में शामिल होने के सबसे बड़ा दावेदार होंगे। कर्नाटक के देवदत्त पडिक्कल अब तक टेस्ट में कुछ कमाल नहीं दिखा पाए हैं, लेकिन बाएं हाथ का यह बल्लेबाज प्रतिभाशाली है।
गायकवाड़-श्रेयस भी होड़ में
रुतराज गायकवाड़, रजत पाटीदार और श्रेयस अय्यर अन्य बल्लेबाज हैं जो टीम में आने के दावेदार हैं। गायकवाड़ अब तक कोई टेस्ट नहीं खेले हैं, लेकिन उनका धैर्य और तकनीकि लाजवाब है। श्रेयस अय्यर अपने पहले टेस्ट में शतक लगा चुके हैं, लेकिन पटकी हुई गेंदों के खिलाफ उनकी योग्यता सवालों के घेरे में खड़ी हुई है। रजत पाटीदार को इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज में मौके मिले, लेकिन वह फायदा नहीं उठा पाए। चयनकर्ताओं की नजर ऐसे बल्लेबाजों पर है, जिन्होंने घर में विपरीत परिस्थितियों में अच्छा प्रदर्शन किया हो। मनमाफिक विकेट पर बनाए गए रन और लिए गए विकेट चयन का आधार नहीं हैं। अभिमन्यु ईश्वरन भी ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर टीम थे, लेकिन वहां की पिचों के अनुरूप टीम प्रबंधन को उनकी बल्लेबाजी रास नहीं आई। सरफराज को भी उछलती गेंदों पर उनकी कमजोरियों के चलते एकादश में जगह नहीं मिली।
खल रही बुमराह के जोड़ीदार की कमी
ऑस्ट्रेलिया में जसप्रीत बुमराह को छोड़ दें तो अन्य किसी गेंदबाज ने जिम्मेदारी नहीं उठाई। सिराज ने 20 विकेट लिए, लेकिन वह टुकड़ों में चले। बुमराह के चोटिल रहने या उनका भार कम करने के दौरान गेंदबाजी में वैसे विकल्प नहीं दिख रहे हैं, जैसी एक समय बुमराह, शमी, इशांत की तिकड़ी के रूप में हुआ करती थी। प्रसिद्ध कृष्णा ने सिडनी टेस्ट में छह विकेट जरूर लिए, लेकिन उनकी गेंदबाजी में एकरूपता नहीं है। वह बीच-बीच में काफी कमजोर गेंद फेंकते हैं। आकाशदीप और मुकेश कुमार में विविधता है, लेकिन बड़े स्तर पर दोनों को अभी अपने को साबित करना है।

 

रिलेटेड पोस्ट्स