बहुत बहुमूल्य हैं पहलवानों के पदक

बजरंग, विनेश, साक्षी की कामयाबी बेजोड़
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
लगभग एक साल पहले शुरू हुआ भारतीय कुश्ती संघ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार को महिला पहलवान विनेश फोगाट ने अपना खेल रत्न और अर्जुन अवॉर्ड लौटा दिया। यह अवॉर्ड लौटाते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खत लिखा। इस खत में उन्होंने लिखा कि उनके पदक 15 रुपये के नहीं हैं। वह उनके लिए जान से ज्यादा प्यारे हैं। देखा जाए तो बृजभूषण सिंह के खेमे का विरोध कर रहे पहलवान देश को 60 से ज्यादा पदक दिला चुके हैं।
विनेश दरअसल बृजभूषण शरण सिंह के उस बयान का विरोध कर रही थीं, जो उन्होंने इसी साल मई के महीने में दिया था। पहलवान अपने विरोध के रूप में इसी साल अपने पदक गंगा में बहाने पहुंचे थे। हालांकि, बाद में उन्हें ऐसा करने से रोक लिया गया। पहलवानों ने अपने पदक लौटाने की बात भी कही थी। इस घटना के बाद बृजभूषण शरण सिंह ने एक यूट्यूब चैनल से बातचीत में कहा था कि पहलवान जो पदक लौटा रहे हैं, उनकी कीमत तो महज 15 रुपये है। अगर उन्हें कुछ लौटाना है तो करोड़ों के नकद पुरस्कार लौटाएं, जो उन्हें सरकार की तरफ से दिए गए हैं। बृजभूषण शरण सिंह के इस बयान पर काफी बवाल हुआ था। अब एक बार फिर विनेश फोगाट ने इसका जिक्र किया है। यहां हम बता रहे हैं कि बृजभूषण सिंह के खिलाफ विरोध का नेतृत्व कर रहे पहलवानों ने ये पदक हासिल करने के लिए कितना संघर्ष किया है।
बजरंग पूनियाः बजरंग को कुश्ती विरासत में मिली। उनके पिता बलवान पूनिया अपने समय के नामी पहलवान रहे। मगर गरीबी आगे आड़े आ गई। कुश्ती के लिए जरूरी डाइट तक के लाले पड़ जाते। पिता का अधूरा ख्वाब बेटे बजरंग के सपनों में तैरने लगा था। उनके जीवन का एकमात्र लक्ष्य देश के लिए मेडल ही लाना रह गया था। मगर पैसा यहां भी अड़चन पैदा करने वाला बना। पिता के पास बेटे को घी खिलाने के पैसे नहीं होते थे। बस का किराया बचाकर उनके पिता साइकिल से चलने लगे थे। जो पैसे बचते, उसे वो अपने बेटे की डाइट पर खर्च करते थे। ऐसे हालातों से गुजरते हुए बजरंग ने पहलवानी की दुनिया में देश का नाम रोशन किया। बाद में ओलम्पिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त की नजर उन पर पड़ी, जिनके अखाड़े में बजरंग उन्हीं की देखरेख में ट्रेनिंग करते हैं।
विनेश फोगाटः 24 अगस्त, 1994 को जन्मीं विनेश द्रोणाचार्य अवार्ड विजेता महावीर फोगाट की भतीजी और इंटरनेशनल पहलवान गीता फोगाट-बबीता फोगाट की चचेरी बहन हैं। महावीर फोगाट के भाई राजपाल यानी विनेश के पिता की एक हादसे में मौत हो गई थी। इसके बाद महावीर फोगाट ने ही अपनी बेटियों के साथ विनेश और उसकी बहन प्रियंक को अपनाया और पहलवानी की ट्रेनिंग दी। उन्होंने पहली बार साल 2013 में एशियन रेसलिंग चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया था। यहां 51 किलोग्राम वर्गभार में ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया था। इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनकी बहनों के जीवन पर बॉलीवुड में दंगल नाम की फिल्म भी बन चुकी है।
साक्षी मलिकः साक्षी मलिक का जन्म हरियाणा के रोहतक जिले के मोखरा गांव में 3 सितंबर, 1992 को हुआ था। उनके दादा सुबीर मलिक पहलवान थे, जिनसे प्रेरित होकर साक्षी ने बचपन से ही कुश्ती में करियर बनाने की ठान ली। महज 12 साल की उम्र में साक्षी ने ईश्वर दहिया से प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया। अपने पांच से प्रशिक्षण अवधि में ही साल 2009 में साक्षी एशियाई जूनियर विश्व चैम्पियनशिप में शामिल हुईं और फ्रीस्टाइल में 59 किलो भार वर्ग में रजत पदक हासिल किया। अगले साल 2010 में विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक, 2013 के कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता। रियो ओलम्पिक 2016 में साक्षी मलिक ने सिर्फ 10 सेकेंड में 58 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया और ऐसा करने वाली वह देश की पहली महिला पहलवान बन गईं।
सत्यव्रत कादियानः सत्यव्रत को कुश्ती विरासत में मिली। पिता अर्जुन अवॉर्डी सत्यवान कादियान ओलम्पिक में देश को एक नाम, एक विशेष पहचान दिला चुके हैं, चाहते थे सत्यव्रत भी उनके पदचिह्नों पर चले। इसी के चलते बहुत छोटी उम्र में सत्यवान ने अपने पिता की उंगली पकड़कर अखाड़ा जाना शुरू कर दिया था। सत्यव्रत को पिता ने बतौर कोच प्रशिक्षण दिया। कुश्ती के गुर सिखाए और अपनी तरह फ्री-स्टाइल हैवीवेट वर्ग के लिए तैयार किया। बाद में 6 फीट ऊंचे कद के सत्यव्रत ने 97 से 100 किलोग्राम भारवर्ग में अपनी अलग पहचान बना ली।
संगीता फोगाटः संगीता महावीर फोगाट की तीसरी बेटी हैं। उनकी बड़ी बहन गीता और बबीता के ऊपर ही दंगल फिल्म बनी थी। गीता और बबीता की सफलता के बाद संगीता का संघर्ष आसान था। हालांकि, बड़ी बहनों की तरह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने का दबाव किसी भी बच्चे के लिए आसान नहीं होता। संगीता भी अपने बड़ी बहनों की तरह मजबूत संकल्प वाली हैं और उन्होंने भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई बार कमाल किया। धरना प्रदर्शन के बीच भी उन्होंने देश के लिए पदक जीता था। वह बजरंग पूनिया की पत्नी भी हैं। ऐसे में कुश्ती संघ के खिलाफ उनका संघर्ष और मुश्किल है।
बजरंग पूनिया - 23 मेडल, साक्षी मलिक- 13 मेडल, विनेश फोगाट- 15 मेडल, सत्यव्रत कादियान- 8 मेडल, संगीता फोगाट- 1 मेडल।

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