महान फुटबॉलर तुलसीदास बलराम का निधन

एशियाई गेम्स में भारत को दिलाया था स्वर्ण पदक
खेलपथ संवाद
कोलकाता।
भारत के महान पूर्व फॉरवर्ड फुटबॉलर तुलसीदास बलराम का गुरुवार को कोलकाता में निधन हो गया। अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ ने उनके निधन पर शोक जताया है। तुलसीदास बलराम 1950 और 1960 के दशक में भारतीय फुटबॉल की स्वर्णिम समय के एक प्रमुख सदस्य थे। गुरुवार को पश्चिम बंगाल के उत्तरपाड़ा में रहने वाले बलराम का कोलकाता के एक शहर के अस्पताल में निधन हो गया। वह 85 वर्ष के थे।
गौरतलब हो कि 1962 के एशियाई गेम्स में भारत की ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई अन्य यादगार जीत के पीछे बलराम ने बड़ी भूमिका निभाई थी। बलराम के सम्मान में एआईएफएफ ने तीन दिवसीय शोक की घोषणा की है। जबकि इस अवधि के दौरान महासंघ अपना झंडा आधा झुकाएगा। भारत में सभी प्रतिस्पर्धी मैचों की शुरुआत से पहले एक मिनट का मौन रखा जाएगा।
एआईएफएफ के अध्यक्ष कल्याण चौबे ने अपने शोक संदेश में कहा, वह फुटबॉल के महान खिलाड़ी थे। वह भारतीय फुटबॉल इतिहास के सबसे उत्कृष्ट खिलाड़ियों में से एक के रूप में रहे हैं। वह वास्तव में महान थे। भारतीय फुटबॉल के महान खिलाड़ियों में उनका नाम हमेशा लिया जाएगा। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं।
महासचिव शाजी प्रभाकरन ने कहा, "तुलसीदास बलराम के निधन से पूरी भारतीय फुटबॉल बिरादरी शोक में डूबा है। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं। उनकी आत्मा को शांति मिले।" बलराम पिछले 52 दिनों से वहां भर्ती थे। उन्हें पिछले साल दिसम्बर में मूत्राशय में संक्रमण की समस्या को लेकर भर्ती कराया गया था।
बलराम 1956 और 1960 ओलम्पिक में भारतीय फुटबाल टीम का भी हिस्सा थे। 1960 के रोम ओलम्पिक में उन्होंने हंगरी और पेरु के खिलाफ शानदार गोल दागे थे। बलराम ने कोलकाता स्थित देश के मशहूर फुटबाल क्लब ईस्ट बंगाल की भी कप्तानी की थी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बलराम के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि पीके बनर्जी और चुन्नी गोस्वामी के साथ उनकी तिकड़ी थी।

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