दक्षिण अफ्रीका में भारतीय बेटियों ने लहराया तिरंगा

भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने दक्षिण अफ्रीका में आयोजित पहले अंडर-19 टी20 विश्व कप को अपने नाम कर लिया। भारतीय टीम ने रविवार (29 जनवरी) को खेले गए खिताबी मुकाबले में इंग्लैंड को सात विकेट से पराजित किया। यह महिला अंडर-19 टी20 विश्व कप का पहला संस्करण था जिसे भारत ने जीतकर इतिहास रच दिया। पहले बल्लेबाजी करते हुए इंग्लैंड की पूरी टीम 68 रन पर सिमट गई थी जवाब में भारत ने 14 ओवर में तीन विकेट गंवाकर लक्ष्य हासिल कर लिया।
महिला क्रिकेटरों ने आईसीसी अंडर-19 टी-20 विश्व कप का जिस अंदाज़ में खिताब जीता उसे महिला क्रिकेट के इतिहास में नये भारतीय युग की शुरुआत कहा जा रहा है। इस जीत की तुलना कपिल देव के नेतृत्व में 1983 में पुरुष क्रिकेट विश्व कप की आतिशी कामयाबी से की जा रही है। क्रिकेट के पंडित कह रहे हैं कि इस जीत से भारतीय परिदृश्य में महिला क्रिकेट हमेशा के लिये जुझारू तेवरों के साथ नई ऊंचाइयां हासिल करेगा। इस विश्व कप में भारतीय खिलाड़ी हर क्षेत्र में उम्दा खेलीं। अब वह चाहे क्षेत्ररक्षण हो, बल्लेबाजी हो या फिर गेंदबाजी। इस टूर्नामेंट में कोई मैच न हारने वाली इंग्लैंड की टीम को जोश से भरी भारतीय महिला क्रिकेटरों ने महज 17 ओवर में 68 रनों पर समेट दिया और 14 ओवर में जीत का लक्ष्य हासिल कर लिया। 
दरअसल, अब तक भारतीय महिला क्रिकेट टीम कोई भी आईसीसी विश्व कप ट्राफी नहीं जीत पाई। जीत की दहलीज पर पहुंच कर भी वे कामयाब नहीं हो पाई थीं। भारतीय टीम पहली बार विश्व कप चैम्पियन बनी है। वर्ष 2005 में भारतीय टीम वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंची, मगर आस्ट्रेलिया से हार गयी। फिर वर्ष 2017 में वन डे विश्व कप के फाइनल में भारतीय टीम इंग्लैंड से हार गई। इसी तरह 2020 में टी-20 वर्ल्ड कप के फाइनल में भारतीय टीम आस्ट्रेलिया से हार गई। यहां तक कि पिछले राष्ट्रमंडल खेलों में भी भारतीय महिला टीम खिताब से वंचित रह गई थी। 
अब 19 साल से कम उम्र की बेटियों ने सीनियरों की हार को जीत में बदल दिया है। उल्लेखनीय बात यह है कि इस जीत के बाद भारत दुनिया का अकेला देश बन गया है जिसके खाते में वनडे वर्ल्ड कप, टी-20 वर्ल्ड कप, पुरुष अंडर-19 और महिला अंडर-19 विश्व कप हैं। यह कामयाबी भारत ने सचिन तेंदुलकर का रिकॉर्ड तोड़ने वाली शेफाली वर्मा के नेतृत्व में हासिल की। सीनियर टीम में खेलने वाली शेफाली ने टीम को विश्व चैम्पियन बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है।
बहरहाल, बेटियों की इस कामयाबी से पूरा देश प्रसन्न है। चारों तरफ बधाइयों का तांता लगा है। बीसीसीआई ने टीम व स्टॉफ को पांच करोड़ रुपये की राशि देने की घोषणा की है। उल्लेखनीय है कि पिछले साल दीवाली से पहले बीसीसीआई ने अनुबंधित भारतीय महिला क्रिकेटरों को पुरुष क्रिकेटरों के बराबर फीस देने की घोषणा की थी। उनके लिये पे-इक्विटी पॉलिसी लागू करने का ऐलान किया गया। इस तरह भारतीय क्रिकेट लैंगिक समानता के युग में प्रवेश कर गई है। अच्छी बात यह है कि अब जल्द ही महिला इंडियन प्रीमियर लीग की शुरुआत होने जा रही है। पिछले दिनों महिला प्रीमियर लीग की बोली ने पुरुष आईपीएल उद्घाटन सीजन के रिकॉर्ड तोड़ दिये। कुल पांच टीमें 4670 करोड़ में बिकीं। दरअसल, अहमदाबाद, मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु और लखनऊ की टीमों के लिये बोली लगी थी। 
बहरहाल, अंडर-19 विश्व कप की कामयाबी ने महिला क्रिकेट के आकाश में नये रंग भर दिये हैं। टीम ने हर क्षेत्र में उम्दा प्रदर्शन किया। जिससे समृद्ध इतिहास और उम्दा शैली वाले इंग्लैंड व आस्ट्रेलिया के अरमानों पर पानी फेर दिया। युवा टीम में शामिल तेज गेंदबाज तितास साधु, ऑफ स्पिनर अर्चना देवी व लेग स्पिनर पार्श्वी चोपड़ा आने वाले दिनों के लिये सीनियर टीम की भी नई उम्मीदें बनी हैं। निस्संदेह, इन बेटियों की कामयाबी भारतीय समाज में बेटियों की स्थिति व हक को नये आयाम देगी। सबसे रोचक पहलू ये भी कि इन बेटियों की शोहरत के पीछे गरीबी की कई कहानियां भी दर्ज हैं। 
इन बेटियों के लिये पर्याप्त सुविधाएं नहीं थीं। लड़कों के साथ खेलने के लिए कई ने अपने बाल कटवाये। मां-बाप ने त्याग करके बेटियों के अरमानों को पूरा किया। किसी पिता ने अपने बेटी की कामयाबी के लिये ज्यादा मजदूरी की तो कहीं समाज के तानों के आगे मां ढाल बनकर खड़ी हो गई। बहरहाल अभावों की तपिश ने उन्हें सोना बना दिया। आज ये गुदड़ी के लाल देश की प्रतिष्ठा में सितारे लगा रही हैं। सचमुच भारतीय महिला क्रिकेट का परिदृश्य बदलने वाला है।

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