उत्तर प्रदेश में खेल प्रशिक्षण बंद, प्रशिक्षक घर बैठाए

एक साल में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ी उत्तर प्रदेश खेल नीति 
खेल निदेशालय के अधिकारियों में ईमानदार प्रयासों की कमी 
खेलपथ संवाद
लखनऊ।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गजब के खेलप्रेमी हैं, वह खेलों में अपना-पराया नहीं देखते। टोक्यो ओलम्पिक, पैरालम्पिक के बाद उन्होंने सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं सभी राज्यों के खिलाड़ियों को आर्थिक प्रोत्साहन देकर राजनीतिज्ञों के सामने नजीर पेश की थी। उत्तर प्रदेश की जहां तक बात है योगी आदित्यनाथ के राजकाज में खेल अधोसंरचना की तरफ तो जरूर ध्यान दिया गया लेकिन जमीनी स्तर के खिलाड़ियों को निखारने वाले प्रशिक्षकों की दयनीय स्थिति पर कतई ध्यान नहीं दिया गया। फिलवक्त प्रदेश में खेल प्रशिक्षण बंद है, प्रशिक्षक घर बैठा दिए गए हैं।
उत्तर प्रदेश में पिछले साल खेल नीति बनी, उसमें कई अच्छी बातों का समावेश है लेकिन इसमें अभी भी बहुत सुधार की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंतव्य को यदि जमीनी स्तर पर फलीभूत करना है तो खेल निदेशालय को ईमानदार प्रयास करने होंगे। प्रशिक्षकों के साथ भेदभाव रुकना चाहिए। देखा जाए तो उत्तर प्रदेश में खेलों का विकास करने की बजाय ढिंढोरा पीटा जा रहा है। उत्तर प्रदेश की खेल नीति में भी जमीनी स्तर पर खिलाड़ियों का कौशल निखारने वाले खेल प्रशिक्षकों की तरफ ध्यान नहीं दिया गया जबकि खेल संगठनों से गलबहियां का विशेष ख्याल रखा गया है। 
उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने प्रदेश में खेल और खिलाड़ियों को बढ़ावा देने तथा खेल संस्कृति विकसित करने हेतु राज्य की पहली खेल नीति-2023 को हरी झंडी दी थी। नई खेल नीति में खिलाड़ियों की शारीरिक दक्षता से लेकर उनकी ट्रेनिंग तक का खास ख्याल रखा गया है। इसके साथ ही नए राज्य भारतीय खेल प्राधिकरण की तर्ज़ पर ‘राज्य खेल प्राधिकरण’ का गठन भी किया जाएगा तथा निजी अकादमियों और स्कूल-कॉलेजों को खेलों से जोड़ा जाएगा।
इसके अलावा इस नीति के तहत हर विद्यालय में 40 मिनट का समय खेल, शारीरिक शिक्षा या योग के लिये निर्धारित किया जाएगा। राज्य में पीपीपी के तहत अलग-अलग खेलों के 14 सेंटर ऑफ एक्सीलेंस तैयार किये जाएंगे तथा राज्य में पाँच हाई परफारमेंस सेंटर स्थापित किये जाएंगे। नई खेल नीति में विभिन्न खेल एसोसिएशंस व खेल अकादमियों को आर्थिक मदद दी जाएगी। आर्थिक रूप से कमज़ोर अकादमियों और खेल एसोसिएशन को इसका फायदा मिलेगा। सरकार से मिलने वाली वित्तीय सहायता से ये एसोसिएशन और अकादमियाँ अवस्थापना तथा ट्रेनिंग सुविधाओं में वृद्धि कर सकेंगी। राज्य सरकार पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) के माध्यम से राज्य में खेलों की सहायता के साथ-साथ खेल अवस्थापना सुविधाओं के विकास में भी सहयोग करेगी।
नई खेल नीति के तहत गठित किया जाने वाला ‘राज्य खेल प्राधिकरण’ भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) की तर्ज़ पर काम करेगा। इसके तहत विभिन्न खेलों की स्किल को अपग्रेड किया जाएगा तथा प्रशिक्षण, कैंप, प्रशिक्षकों आदि का संचालन किया जाएगा। खेल नीति के लागू हो जाने से देश एवं राज्य के खिलाड़ी खेल में शिक्षा एवं प्रशिक्षण हासिल करेंगे तथा खेलों में रोज़गार के अवसर बढ़ाए जाएंगे। खेल विश्वविद्यालय की स्थापना से राज्य में योग्य प्रबंधकों, प्रशासकों और संचालनकर्मियों का एक पूल तैयार करने में मदद मिलेगी।
खेल विश्वविद्यालय में खेलों से संबंधित विभिन्न पाठ्यक्रमों के ज़रिये इस क्षेत्र में रोज़गार बढ़ेंगे। खेल विभाग राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजनों को उत्तर प्रदेश में लाने के लिये खेल संघों के साथ मिलकर काम करेगा। इससे बड़ी संख्या में कर्मियों की भर्ती होगी तथा सेवा प्रदाताओं में वृद्धि होगी। राज्य में खेलों के लिये 10 करोड़ रुपए से एक ‘राज्य खेल विकास कोष’बनाया जाएगा, जिससे राज्य के श्रेष्ठ खिलाड़ियों को खासा फायदा मिलेगा। उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर के उपकरण खरीदने में आसानी होगी तथा विदेशों में ट्रेनिंग और प्रदर्शन का मौका मिलेगा। इसके अलावा खिलाड़ियों को विदेशी प्रशिक्षक, फिजियोलॉजिस्ट, मनोवैज्ञानिक आदि उपलब्ध होंगे।
उत्तर प्रदेश सरकार खिलाड़ियों की आर्थिक मदद भी करेगी। खेल नीति के अनुसार, हर पंजीकृत खिलाड़ी का पाँच लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा कराया जाएगा। एकलव्य क्रीड़ा कोष से ट्रेनिंग करने या प्रतियोगिता के दौरान खिलाड़ियों को लगने वाली चोट के इलाज के लिये भी प्रदेश सरकार ही धन उपलब्ध कराएगी। खिलाड़ियों को बेहतर प्रशिक्षण के लिये उनकी स्किल पावर के अनुरूप उन्हें तैयार किया जाएगा। इसके लिये खिलाड़ियों को तीन श्रेणियों में रखा गया है। पहली श्रेणी में ग्रास रूट (ज़मीनी स्तर) के खिलाड़ी होंगे। इन्हें शुरुआती स्तर पर प्रशिक्षण दिया जाएगा। दूसरी श्रेणी डेवलपमेंट की होगी, जिसमें प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को खोजकर उन्हें भविष्य के खिलाड़ी के तौर पर विकसित करने के लिये एक्शन प्लान बनाकर प्रशिक्षित किया जाएगा। तीसरी श्रेणी में एलीट क्लास के खिलाड़ी आएंगे। ये वो स्थापित खिलाड़ी होंगे, जो विभिन्न खेलों में राज्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसे खिलाड़ियों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन के लिये प्रेरित किया जाएगा। खेल नीति में ग्रामीण इलाकों में स्टेडियम, ओपेन जिम निर्माण, संचालन प्रबंधन के लिये नीति बनाने का निर्णय लिया गया है, ताकि नई पीढ़ी को सुविधाएँ दी जाएँ और होनहार खिलाड़ी गाँव से निकलें तथा प्रदेश का नाम रोशन करें। उत्तर प्रदेश में नई खेल नीति बने एक साल होने वाला है लेकिन इसका 10 फीसदी लाभ भी क्या खिलाड़ियों को मिला इस बात का जवाब शायद किसी के पास नहीं होगा।   
पीएम मोदी की प्रेरणा से खेलों का माहौल बनाः योगी आदित्यनाथ
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खेलों में किसी भी उपलब्धि का श्रेय खुद लेने की बजाय प्रधानमंत्री मोदी को देते हैं। योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से खेलो इंडिया, फिट इंडिया और सांसद खेल महाकुंभ के आयोजनों से देश में खेलों का बेहतरीन माहौल बना है। इसी माहौल को और शानदार बनाने के लिए उत्तर प्रदेश गांव-गांव में स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित कर रही है। खिलाड़ियों को सभी संसाधन और सुविधा देने के साथ खेल की उनकी उपलब्धियों को भारी पुरस्कार राशि और सरकारी नौकरियों से जोड़ रही है।  
मुख्यमंत्री का कहना है कि सात साल पहले तक खेल इंफ्रास्ट्रक्चर की कल्पना तक नहीं की जा सकती थी। पर, आज हर गांव में खेल के मैदान व ओपन जिम बन रहे हैं। हर गांव में खेलों को लेकर स्वस्थ प्रतिस्पर्धा हो रही है। गांवों में 80 हजार युवक मंगल दलों व महिला मंगल दलों को स्पोर्ट्स किट वितरित किए जा चुके हैं। गांवों में पंचायत सचिवालयों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़कर युवाओं को सभी सुविधा उपलब्ध कराने के प्रयास हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि जो बातें कल्पना से दूर थीं आज वह हकीकत हैं। 
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश खेल नीति बनाने वाला देश का पहला राज्य है। इस नीति के तहत सरकार ने ओलम्पिक, एशियाड, कॉमनवेल्थ, विश्व चैम्पियनशिप में मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों के लिए सरकारी नौकरी का प्रावधान किया है। उन्होंने कहा कि गत एशियाड में चीन की खिलाड़ी को पछाड़कर गोल्ड मेडल जीतने वाली प्रदेश की खिलाड़ी पारुल चौधरी ने अपनी जीत की प्रेरणा को लेकर प्रदेश की खेल नीति को श्रेय दिया है। 
पारुल ने कहा था कि उन्हें गोल्ड मेडल जीतने पर डिप्टी एसपी की नौकरी देने की यूपी सरकार की घोषणा पर पूरा यकीन था और इसी यकीन ने उनके अंदर ऐसा जोश भर दिया कि उन्होंने चीन की खिलाड़ी को पीछे छोड़ स्वर्ण पदक जीत लिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि खिलाड़ियों का खेल नीति पर यह विश्वास हमारे लिए एक उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि सरकार ने ओलम्पिक एकल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने पर छह करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि घोषित कर रखी है। रजत व कांस्य पदक पर भी बड़ी धनराशि का पुरस्कार तय करने के साथ एशियाड, कामनवेल्थ और विश्व चैम्पियनशिप में भी विजेताओं को नकद पुरस्कार का प्रावधान है। सरकार खिलाड़ियों को नौकरी देने के साथ ही खेल इंफ्रास्ट्रक्चर को तेजी से आगे बढ़ा रही है। 

 

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