कथनी नहीं करनी पर विश्वास करता है वेटरंस इंडिया

 

देशभक्ति और राष्ट्रवाद को जमीनी स्तर पर बढ़ावा देना जरूरी

विजय दिवस पर दिवंगत शूरवीरों के परिजन सम्मानित

श्रीप्रकाश शुक्ला

नई दिल्ली। देशभक्ति और राष्ट्रवाद को जमीनी स्तर पर यदि कोई स्वैच्छिक संगठन बढ़ावा दे रहा है तो वह निःसंदेह वेटरंस इंडिया है। इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष बिनय कुमार मिश्रा की रग-रग में जहां देशप्रेम की हर पल ज्वाला धधकती रहती है वहीं इसके राष्ट्रीय महासचिव डॉ. अशोक कुमार लेंका खेलों के माध्यम से देशभक्ति और राष्ट्रशक्ति का संदेश देते हैं। विजय दिवस पर वेटरंस इंडिया संगठन द्वारा गणमान्य लोगों परिवहन मंत्री नितिन गडकरी तथा राज्य सड़क, परिवहन और नागरिक उड्डयन मंत्री जनरल वीके सिंह के करकमलों से दिल्ली कैंट के डीजी एनसीसी ऑडिटोरियम में 1971 के देश के शूरवीरों के परिजनों को सम्मानित कर एक नजीर स्थापित की।  

वेटरंस इंडिया क्या है इसे जानने से पहले पाठकों को विजय दिवस की सटीक जानकारी होना भी जरूरी है। सुधि पाठकों विश्व के इतिहास में 16 दिसम्बर का अपना महत्व है। यह 16 दिसम्बर, 1971 का ही दिन था जब दुनिया के युद्धों के इतिहास में एक सेना का सबसे बड़ा आत्मसमर्पण हुआ था और उसी दिन दुनिया के राजनीतिक नक्शे पर एक नए राष्ट्र का उदय भी हुआ था। इसलिए यह दिन न केवल भारत के लिए अपितु सम्पूर्ण विश्व के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। इस दिन पाकिस्तान ने अपना आधा क्षेत्र, अपनी अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा और दक्षिण एशिया में अपनी भू-राजनीतिक भूमिका खो दी थी। विश्व के इतिहास और राजनीतिक भूगोल को बदलने वाले महानायक इंदिरा गांधी, मानेक शॉ और जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा भले ही आज मौजूद नहीं हैं, मगर जब भी नया राष्ट्र बांग्लादेश अपना स्थापना दिवस मनाएगा, तब ये महानायक जरूर याद आएंगे।

सन् 1971 में 13 दिन तक चले युद्ध में इसी दिन पूर्वी पाकिस्तान में पाक सेना के कमाण्डर लेफ्टिनेंट जनरल ए.ए.के. नियाजी के साथ ही लगभग 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना की पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने समर्पण किया था। बांग्लादेश ने नौ महीने के खूनी संघर्ष के बाद पाकिस्तान से आजादी पाई थी और इसमें भारत की निर्णायक भूमिका रही।

एक नए और स्वतंत्र  देश के रूप में भारत ने इसे तत्काल मान्यता दे दी थी, लेकिन बांग्लादेश को एक स्वतंत्र व सम्प्रभु देश के रूप में स्वीकार करने में पाकिस्तान को दो साल लग गए। 1971 के युद्ध के करीब दो साल बाद 1973 में ही पाकिस्तान की संसद में इस आशय का प्रस्ताव पारित किया गया। पाकिस्तान को मजहब के आधार पर भारत से अलग किया गया तो उसके रहनुमाओं ने कभी इतनी बड़ी हार और ऐसी शर्मिंदगी की कल्पना भी नहीं की होगी। पूर्वी पाकिस्तान की हार ने पाकिस्तानी सेना की प्रतिष्ठा को चकनाचूर कर दिया था। पाकिस्तान ने अपनी आधी नौसेना, एक चौथाई वायु सेना और एक तिहाई सेना खो दी थी। पाकिस्तान सरकार द्वारा युद्ध के बाद गठित हमुदुर रहमान आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पाकिस्तान के लिए यह एक पूर्ण और अपमानजनक हार थी, एक मनोवैज्ञानिक झटका जो कट्टर प्रतिद्वंद्वी भारत के हाथों हार से मिला।

देखा जाए तो सन् 1905 में मजहब के नाम पर बंगभंग हुआ था। इसी मजहबी सोच पर पाकिस्तान बना मगर यह मजहब से भी ऊपर सांस्कृतिक पहचान का संघर्ष था। दरअसल बांग्लादेश की आजादी को लेकर संघर्ष के बीज तो 1952 में ही पड़ गए गए थे, जब पाकिस्तानी हुकूमत ने उर्दू को पूरे देश की आधिकारिक भाषा बनाने की घोषणा की थी। बांग्ला संस्कृति व भाषा की अलग पहचान समेटे पूर्वी पाकिस्तान के लिए तब हुकूमत का वह फैसला अस्मिता का सवाल बन गया, जिसकी परिणिति एक अलग व स्वतंत्र देश के रूप में सामने आई।

शेख मुजीबुर रहमान पूर्वी पाकिस्तान की स्वायत्ता के लिए शुरू से संघर्ष कर रहे थे। उन्होंने इसके लिए छह सूत्री कार्यक्रम की घोषणा की थी। इन सब बातों से वह पाकिस्तानी शासन की आंख की किरकिरी बन चुके थे। साथ ही कुछ अन्य बंगाली नेता भी पाकिस्तान के निशाने पर थे। उनके दमन के लिए और बगावत की आवाज को हमेशा से दबाने के मकसद से शेख मुजीबुर रहमान और अन्य बंगाली नेताओं पर अलगाववादी आंदोलन के लिए मुकदमा चलाया गया। लेकिन पाकिस्तान की यह चाल खुद उस पर भारी पड़ गई। मुजीबुर रहमान इससे पूर्वी पाकिस्तान के लोगों की नजर में हीरो बन गए। इससे पाकिस्तान बैकफुट पर आ गया और मुजीबुर रहमान के खिलाफ षड्यंत्र के केस को वापस ले लिया गया।

वेटरंस इंडिया ऐसा संगठन है जिसका कथनी पर नहीं बल्कि करनी पर विश्वास है। यह देश का ऐसा स्वैच्छिक संगठन है जिसके हर सदस्य के रोम-रोम में देशभक्ति हिलोरें मारती है। 16 दिसम्बर विजय दिवस को वेटरंस इंडिया के बैनर तले 1971 के युद्ध नायकों को करतल ध्वनि के बीच दिल्ली कैंट के डीजी एनसीसी ऑडिटोरियम में सम्मानित किया गया। इस गरिमामय देशभक्तिपूर्ण समारोह में वेटरंस इंडिया के 15 अलग-अलग विंगों पदाधिकारी और जमीनी कार्यकर्ता शामिल थे। गरिमामय समारोह में केन्द्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, राज्य सड़क, परिवहन और नागरिक उड्डयन मंत्री जनरल वीके सिंह तथा प्रखर वक्ता मुख्य प्रबंध निदेशक सुदर्शन समाचार सुरेश जी उपस्थित थे।

समारोह में वेटरंस इंडिया के अध्यक्ष और संस्थापक विनय कुमार मिश्रा ने संगठन के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला तथा भारत सरकार से राष्ट्र निर्माण के लिए पूर्व सैनिकों को अधिक से अधिक तवज्जो देने का अनुरोध किया। समारोह में मास्टर डॉ. चंद्रशेखर राय, राष्ट्रीय महासचिव डॉ. अशोक कुमार लेंका तथा अध्यक्ष वी.के. मिश्रा की सुपुत्री सिमरन मिश्रा ने भी अपने विचार रखे।

वेटरंस इंडिया के मुख्य संरक्षक एमओएस जनरल वीके सिंह ने 1971 के युद्ध के प्रत्येक शहीद के परिजनों को सम्मानित करते हुए दिवंगत शूरवीर आत्माओं को याद किया। यह वाकई बहुत भावुक क्षण था। इस अवसर पर सुदर्शन न्यूज के मुख्य प्रबंध निदेशक सुरेश जी ने चीन को चेतावनी दी और कहा कि अगर उसने सीमा में अपनी मनमानी गतिविधियों को विराम नहीं दिया तो भारत 1971 दोहराने में संकोच नहीं करेगा।

महासचिव स्पोर्ट्स विंग डॉ. अशोक कुमार लेंका ने अपने भाषण में वेटरन्स इंडिया द्वारा वर्षों से जमीनी स्तर पर किए गए कार्यों की सराहना की तथा राष्ट्र निर्माण का संकल्प पूरा करने को पूरी तरह प्रतिबद्ध इसके संस्थापक वी.के. मिश्रा के अथक परिश्रम को भी सराहा। डॉ. अशोक लेंका ने वेटरंस इंडिया स्पोर्ट्स विंग की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विंग वर्तमान में 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में खेलशक्ति से राष्ट्रभक्ति की अलख जगा रहा है। डॉ. लेंका ने कहा कि हम खेल के क्षेत्र में देशभक्तों की ब्रिगेड तैयार कर सकते हैं। यह ब्रिगेड देश की रक्षा का महती दायित्व का निर्वहन कर सकती है। मैदान से युद्ध नायकों की ब्रिगेड बनाई जा सकती है। अगर हम अपने बच्चों को देशभक्ति सिखा सकें तो देश विश्व गुरु के स्तर तक फिर से उठ सकता है। यह पुनीत कार्य वेटरंस इंडिया स्पोर्ट्स विंग राष्ट्रभक्ति खेल से शक्ति थीम के साथ स्पोर्ट्स चैम्पियनशिप और स्पोर्ट्स कैम्प आयोजित कर सहजता से कर सकता है।

मुख्य अतिथि और कैबिनेट मंत्री नितिन गडकरी ने 1971 की जीत को दुनिया की सबसे बड़ी जीत निरूपित करते हुए जरूरत के समय सेना की बहादुरी की मुक्तकंठ से सराहना की। इस अवसर पर श्री गडकरी ने 10 महत्वपूर्ण व्यक्तियों को प्रतिष्ठित प्राइड नेशन अवॉर्ड से भी सम्मानित किया। इस अवसर पर समारोह जयहिन्द-जय भारत के उद्घोष से गुंजायमान हो उठा।

रिलेटेड पोस्ट्स