कतर की मेजबानी से फुटबॉल जगत खुश

कई पश्चिमी देशों के तमाम विरोध के बावजूद एशियाई देश कतर ने फीफा के तत्वावधान में फुटबॉल विश्व कप का सफल व गरिमामय आयोजन कर विकसित देशों को करारा जवाब दिया। यह आयोजन तमाम शुरुआती उलटफेर के अलावा बेहद रोमांचकारी फाइनल मैच के लिये याद किया जायेगा। तेज होती सांसों और बढ़ती धड़कनों के बीच फाइनल की रात अर्जेंटीना के चोटी के खिलाड़ी मेसी और फ्रांस के एमबापे के बीच शानदार खेल की जंग के रूप में याद की जायेगी। मेसी के लिये यह जीवन-मरण का प्रश्न था क्योंकि तमाम ख्याति और उपलब्धियों के बावजूद वे अब तक अपनी टीम को विश्वकप का खिताब नहीं दिला पाये थे। 
यूं उनकी तुलना दुनिया के बेहतरीन फुटबॉलरों पेले और मारोडोना से होती रही है, लेकिन विश्वकप न जीत पाने से उनकी उपलब्धि फीकी नजर आती थी। यह उनका आखिरी विश्वकप बताया जा रहा था। बहरहाल रविवार को कतर के लुसैल स्टेडियम में जो उम्दा खेल देखा गया, उसे देखकर तमाम दिग्गजों ने कहा कि इतना रोमांचक फाइनल पहले कभी नहीं देखा। बहरहाल, कतर-22 विश्वकप जहां मेसी के सपनों को साकार करने वाला था, वहीं फ्रांस का लगातार दूसरी बार विश्वकप जीतने का सपना तोड़ने वाला। एमबापे के उम्दा खेल के बावजूद अर्जेंटीना को कामयाबी मिली। गोल्डन बूट हासिल करने के बावजूद हार से दुखी एमबापे को ढाढ़स बंधाने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को मैदान में उतरना पड़ा। बहरहाल सांसें थामने वाले इस फाइनल मैच में बेहतरीन फुटबाॅल का खेल देखने को मिला। 
सत्तर मिनट तक एकतरफा नजर आने वाला फाइनल मैच बाद में लगातार नये रोमांच पैदा करता चला गया। मैच के दौरान अस्सीवें मिनट में पहला तथा दो मिनट बाद दूसरा तथा अतिरिक्त समय में तीसरा गोल करने वाले फ्रांस के बेहतरीन खिलाड़ी एमबापे का करिश्मा भी अर्जेंटीना को विश्वकप जीतने से वंचित न कर सका। यह संयोग ही है कि जहां अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनसआयर्स की सड़कों पर लोग दस नंबर की जर्सी के साथ झूम रहे थे, वहीं पेरिस में एमबापे की दस नंबर की जर्सी के साथ प्रशंसक उन्माद में थे। बस दोनों जर्सियों का रंग अलग था।
बहरहाल, जब निर्धारित समय के बाद मिले अतिरिक्त समय में भी फाइनल मैच का फैसला न हुआ तो पेनल्टी शूटआउट से निर्णायक मैच का फैसला हो पाया। अर्जेंटीना के गोलकीपर एमिलियानो मार्टिनेज फ्रांस की जीत के बीच दीवार बने नजर आये। यही वजह है कि फ्रांस चार मौकों में दो ही को गोल में बदल सका। गोलकीपर मार्टिनेज की दीवार के सामने एमबापे की मेहनत बेकार होती नजर आई। टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा गोल करने पर मिले गोल्डन बूट की चमक भी उसके मलाल को कम न कर सकी। राष्ट्रपति मैक्रों ने मैदान में आकर उसे संबल दिया कि हम जीत के करीब थे और ये सर्वोत्तम विश्वकप फाइनल था। 
निश्चय ही ऐसे लोकप्रिय वैश्विक आयोजन मानवीय भावों के चरम आवेगों को दर्शाते हैं। विचित्र संयोग देखिये कि जहां अर्जेंटीना के खिलाड़ियों की आंखों में खुशी के आंसू थे, वहीं फ्रांस के खिलाड़ियों की आंखों में हाथ आई जीत फिसलने के आंसू थे। कमोबेश ऐसी ही स्थितियां दोनों टीमों के समर्थकों में भी थी। बहरहाल, कतर में आयोजित फुटबॉल विश्वकप रोमांचक फाइनल के अलावा विवादों की शृंखला के लिये जाना जायेगा। वहीं अंतत: सफल आयोजन के लिये उसकी सराहना भी हुई। दुनिया की कई बड़ी टीमों को अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा। खासकर पहले मैच में नौसिखिया सऊदी अरब के हाथ अर्जेंटीना जैसी दिग्गज टीम की हार ने दुनिया को चौंकाया। 
जापान ने जर्मनी और स्पेन को हराकर चौंकाया। पहले अफ्रीकी देश के रूप में मोरक्को की टीम पहली बार सेमीफाइनल तक पहुंची। आस्ट्रेलिया ने प्री-क्वार्टर फाइनल में पहुंचकर चौंकाया। बहरहाल, लंबे समय तक मानवाधिकारों व श्रमिकों के शोषण के मुद्दों के साथ होटलों की कमी के लिये जिस कतर को निशाने पर लिया जा रहा था, उसने इस बड़े खेल उत्सव का सफलतापूर्वक आयोजन करके पूरी दुनिया को बता दिया कि एशिया ऐसे बड़े आयोजनों के लिये तैयार है।

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