कतर में महिलाओं को नहीं है 'आजादी'

पुरुषों से पूछ कर लेती हैं फैसले
खेलपथ संवाद
दोहा।
दुनियाभर में फीफा वर्ल्ड कप का फीवर सर चढ़कर बोल रहा है। हालांकि, यह विश्व कप विवादों की वजह से ज्यादा चर्चाओं में है। कतर में महिलाओं को लेकर काफी नियम हैं। साथ ही दुनियाभर के फैन्स को भी देश के कायदे-कानून में रहने की हिदायत दी गई है। यूरोप और अमेरिकी देशों से आए फैन्स को भी कतर के कानून के मुताबिक ही रहना पड़ रहा है। खासतौर पर विदेश से आई महिलाओं के कपड़ों को लेकर कतर ने दिशा-निर्देश जारी किए थे। इस वजह से काफी विवाद भी हो रहा है।
विदेश से आई महिला फैन्स और कतर की महिलाओं में काफी अंतर देखा जा सकता है। कतर की महिलाएं काले बुर्के या फिर रंग-बिरंगे हिजाब में नजर आती हैं। दरअसल, इस्लामिक देश में महिलाओं को बिना हिजाब के रहने की मनाही है। वह वेस्टर्न ड्रेस नहीं पहन सकती हैं। इतना ही नहीं महिलाओं के अधिकार को लेकर भी यहां काफी नियम हैं। कतर की महिलाएं खुद फैसला नहीं ले सकतीं। इसके लिए पुरुषों से मंजूरी लेनी पड़ती है।
कतर की महिलाओं को अपनी जिंदगी के हर फैसले लेने के लिए पुरुष गार्जियन की लिखित अनुमति लेनी होती है। यह अनिवार्य है। अगर आपके पास अनुमति नहीं है तो आप फैसला नहीं ले सकते। कॉलेज में एडमिशन लेने से लेकर, विदेश में पढ़ने जाने, शादी करने या तलाक जैसे फैसले तक में पुरुष गार्जियन की अनुमति लेनी होती है। 
हालांकि, पुरुष गार्जियन का सिद्धांत कानूनी नहीं है। यह एक पारिवारिक व्यवस्था है। पढ़े-लिखे परिवार वाले और लोग इसका कड़ाई से पालन नहीं करते। हालांकि, रूढ़िवादी सोच वाले लोग इस नियम के हिसाब से ही चलते हैं। मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने साल 2019 में कतर की महिलाओं की आपबीती को प्रकाशित किया था। 
इस रिपोर्ट में कहा गया था कि पुरुष गार्जियन की व्यवस्था कानूनी रूप से स्पष्ट नहीं है। यह कई कानूनों, नीतियों और प्रथाओं को मिलाकर बनाया गया है। इसके तहत बालिग महिलाओं को भी खास गतिविधियों के लिए पुरुष गार्जियन की अनुमति लेनी होती है। पिता, भाई, गॉड फादर या पति, कोई भी गार्जियन कोई भी हो सकता है। ह्यूमन राइट्स वॉच ने रिपोर्ट में बताया था कि इस व्यवस्था की वजह से कई महिलाओं को शोषण का शिकार होना पड़ता है।

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