बीसीसीआई उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सराहा

बीसीसीआई के सुचारु कामकाज को चलाने में मिलेगी मदद
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लेते हुए बीसीसीआई और राज्य क्रिकेट एसोसिएशन को राहत दी है। कोर्ट ने बीसीसीआई के संविधान में संशोधन को मंजूरी दे दी है। साथ ही कूलिंग ऑफ पीरियड के नियमों में भी कुछ बदलाव को मंजूरी दी है। इससे बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह अपने-अपने पद पर बने रहेंगे। साथ ही कई और अधिकारियों को भी इससे मदद मिलेगी। अब इस पर प्रतिक्रियाओं का दौरा भी शुरू हो गया है।
बीसीसीआई उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा- यह स्वागत योग्य निर्णय है। ये संशोधन बीसीसीआई की एजीएम (एनुअल जनरल मीटिंग) में सर्वसम्मति से पारित किए गए थे और हम इन पर विचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट गए थे। उन्होंने 2-3 संशोधनों को स्वीकार किया जो बीसीसीआई के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करेंगे। साथ ही उन लोगों के कामकाज में आसानी हो सकेगी जो यह समझते हैं कि बोर्ड को कैसे चलाना है।
बीसीसीआई ने कूलिंग ऑफ पीरियड खत्म करने की मांग की थी
दरअसल, बीसीसीआई ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी कि उनके अधिकारियों को लगातार दो कार्यकाल तक बने रहने की इजाजत दी जाए। बोर्ड का कहना था कि राज्य क्रिकेट संघों में भी तीन साल का कूलिंग ऑफ पीरियड होने के कारण बीसीसीआई में उसके प्रमोशन में या दूसरे पदभार को ग्रहण करने में दिक्कतें आती हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि एक कार्यकाल के बाद कूलिंग ऑफ पीरियड की ज़रूरत नहीं है, लेकिन दो कार्यकाल के बाद ऐसा किया जा सकता है। इससे साफ है कि सौरव गांगुली और जय शाह आने वाले तीन साल तक अपने पद पर बरकरार रह सकते हैं।
सौरव गांगुली ने 23 अक्टूबर 2019 को बीसीसीआई अध्यक्ष का पद संभाला था। वहीं, जय शाह 24 अक्टूबर 2019 को बीसीसीआई के सचिव बने थे। दोनों का कार्यकाल अक्टूबर 2022 में खत्म हो रहा था। यही कारण था कि बीसीसीआई ने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले से जुड़ी याचिका पर जल्द सुनवाई की अपील की थी। अब दोनों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। अब सौरव गांगुली और जय शाह साल 2025 तक अपने पद पर बने रह सकते हैं।

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