कुछ इस तरह कुश्ती को मिली स्वर्ण विजेता साक्षी

पहलवानों के ड्रेस अच्छे लगे इसलिए जिम्नास्टिक से मुंह फेरा
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
भारत की दिग्गज पहलवान साक्षी मलिक ने एक बार फिर से देश का नाम रोशन किया है। उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को स्वर्ण पदक दिलाया है। साक्षी ने महिलाओं की 62 किग्रा वर्ग के फाइनल में कनाडा की एन्ना गोडिनेज गोंजालेज को हराया। राष्ट्रमंडल खेलों में साक्षी का तीसरा पदक है। इससे पहले उन्होंने ग्लास्गो (2014) में रजत और गोल्ड कोस्ट (2018) में कांस्य अपने नाम किया था। वह रियो ओलंपिक (2016) में कांस्य जीतने में सफल रही थीं।
साक्षी मलिक के पहलवान बनने के पीछे एक खास वजह रही। उन्होंने पहलवान बनने का सपना केवल इसलिए देखा कि उन्हें पहलवानों की ड्रेस अच्छी लगी थी। 15 साल पहले केवल ड्रेस के लिए कुश्ती खेलने वाली साक्षी इतनी ऊंचाई तक पहुंचेंगी, यह कभी परिवार वालों ने भी नहीं सोचा था। बेटी को पहलवान बनाने में परिवार वाले थोड़ा हिचकते जरूर हैं, लेकिन साक्षी मलिक ने अपनी मां सुदेश के सामने खेलने की इच्छा जताई तो वह उन्हें लेकर 15 साल पहले छोटूराम स्टेडियम में पहुंच गईं।
वहां साक्षी को जिम्नास्टिक खेलने के लिए कहा गया, लेकिन उन्होंने साफ इंकार कर दिया। फिर एथलीट व अन्य कई खेलों के खिलाड़ियों को दिखाया गया और सबसे आखिर में साक्षी को रेसलिंग हॉल में लेकर पहुंचीं। वहां साक्षी को पहलवानों की ड्रेस अच्छी लगी तो उन्होंने कुश्ती खेलने की इच्छा जताई। साक्षी की मां सुदेश ने बताया कि उस समय साक्षी को पहलवानों की ड्रेस अच्छी लगी थी और उन्होंने कहा था कि यह ड्रेस अच्छी है, इसलिए वह भी कुश्ती लड़ेगी।
सुदेश ने बताया कि उस समय मुझे लगा था कि बेटी की इच्छा है तो खेलने देते हैं, जब तक मन होगा खेलती रहेगी। फिर मैंने एक दिन साक्षी से कहा कि वह कोई भी काम करे, पर मेहनत से करे। चाहे पढ़ाई हो या कुश्ती। शायद उस दिन से साक्षी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उसके बाद साक्षी ने बहुत छोटी उम्र में सब जूनियर एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड जीता। परिवार को भी यह महसूस होने लगा कि उनकी बेटी ने सही खेल चुना है।
सुदेश ने बताया कि इसके बाद राष्ट्रमंडल खेलों में रजत और रियो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर साक्षी ने इतिहास रच दिया। इस उपलब्धि के लिए साक्षी मलिक को खेल रत्न मिला और पद्मश्री से भी नवाजा गया। अब उनकी शादी हो चुकी है, अर्जुन अवार्डी पहलवान सत्यव्रत कादियान उनके हमसफर हैं। साक्षी ने अब राष्ट्रमंडल खेलों में अपने लिए तीसरा पदक जीतकर देश का नाम रोशन कर दिया है।

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