सामूहिक प्रयासों से मिलती है खिलाड़ियों को सफलताः फिजियो रीना सिंह

फिजियोथेरेपी से दर्द-निवारक दवाएं लेने की जरूरत नहीं पड़ती

मैं हर खेल से जुड़े खिलाड़ियों के साथ कर सकती हूं काम

श्रीप्रकाश शुक्ला

ग्वालियर। मैदानों में खिलाड़ियों की सफलता में प्रशिक्षकों के साथ ही मनोविज्ञानियों और फिजियो का भी अहम योगदान होता है। इस बात को खिलाड़ियों से बेहतर भला कौन जान सकता है। बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय महिला मुक्केबाजी टीम को फिट रखने में महती भूमिका का निर्वहन करने वाली भोपाल की फिजियो रीना सिंह ने खेलपथ को बताया कि सफलता सामूहिक प्रयासों का नतीजा होती है। यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि मुझे बॉक्सिंग फेडरेशन आफ इंडिया ने महिला बॉक्सरों को फिट रखने की जवाबदेही सौंपी है।

फिजियो चिकित्सा एक ऐसी स्वतंत्र चिकित्सा पद्धति है, जिसमें मरीज का बिना दवा व बिना आपरेशन उपचार किया जाता है। बीमारी का सही क्लीनिकल स्पेशल टेस्ट द्वारा पता लगाया जाता है। इस क्षेत्र में इन दिनों अत्याधुनिक इलेक्ट्रोथेरेपी मशीनों के आने से बेहतर उपचार होने लगा है। दर्द से जूझते मरीजों का अब तक यही मानना रहा है कि दवा ले लो और दर्द गायब हो जाएगा। फिजियो रीना सिंह कहती हैं कि दर्द-निवारक दवाएं कभी-कभी नासूर बन जाती हैं। ऐसे हालातों में एक कुशल फिजियो ही खिलाड़ी के शरीर में छुपी क्षमता को जागृत कर सकता है।

आज के समय में खिलाड़ियों के डोपिंग की जद में आने की मुख्य वजह अनावश्यक दवाओं का सेवन भी है। एक फिजियो फिजिकल कसरत तथा मैन्युअल थेरेपी द्वारा खिलाड़ी के दर्द व समस्या का निदान बिना किसी साइड इफेक्ट के कर सकता है। आज के समय में खेलों में फिजियोथेरेपी का महत्व बढ़ गया है। इसके द्वारा राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को बड़ी सहजता से फिट रखा जाता है तथा खेलने के दौरान ऐसी तकनीक सिखाई जाती है ताकि मांसपेशियों में खिंचाव आने पर उनका उचित तकनीक से तत्काल व बेहतर उपचार किया जा सके।

रीना सिंह बताती हैं कि मैकेनिकल एवं ऑर्थोपेडिक डिसऑर्डर से लेकर जीनशैली सम्बन्धी समस्याओं में भी फिजियोथेरेपी चिकित्सा पद्धति वरदान साबित हो रही है। इस समय बर्मिंघम में चल रहे राष्ट्रमंडल खेलों में भोपाल निवासी रीना सिंह बतौर फिजियो भारतीय महिला मुक्केबाजों को फिट रख रही हैं। उन्हें यह जिम्मेदारी बॉक्सिंग फेडरेशन आफ इंडिया ने सौंपी है। रीना सिंह अब तक जूनियर, यूथ सहित कई खेलों के सैकड़ों राष्ट्रीय खिलाड़ियों को अपनी सेवाएं दे चुकी हैं। अब वह बतौर फिजियो अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों की फिटनेस पर भी काम कर रही हैं। यह समूचे मध्य प्रदेश और देश के लिए गौरव की बात है।

पांच साल तक भारतीय खेल प्राधिकरण के भोपाल सेण्टर में सेवाएं दे चुकी फिजियो रीना सिंह चार बार भारतीय टीमों के साथ विदेशी दौरों पर भी जहां जा चुकी हैं। इन दौरों में मोंटेनेग्रो, दुबई, टर्की और इंग्लैंड शामिल हैं। इसी साल टर्की में सम्पन्न वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में भी वह भारतीय दल के साथ बतौर फिजियोथेरेपिस्ट गई थीं, तब निखत जरीन ने वहां स्वर्णिम सफलता हासिल की थी। रीना सिंह राष्ट्रीय महिला हॉकी टीम, जूनियर व सीनियर वुशू टीम, वाटर स्पोर्ट्स, फेंसिंग, एथलेटिक्स, जूडो टीमों के साथ भी बतौर फिजियो अपनी सेवाएं दे चुकी हैं।

रीना सिंह कहती हैं कि मेडल सिर्फ एक की मेहनत से नहीं आता बल्कि इसमें पूरी टीम की मेहनत होती है। जिस तरह एक घर को बनाते वक्त हर ईंट को महत्व दिया जाता है कुछ इसी तरह खिलाड़ी को तैयार करने में उसके हर पहलू पर ध्यान रखा जाता है। रीना बताती हैं कि वैसे तो किसी प्रतिस्पर्धी दौरे में जाने से पहले खिलाड़ी का फिटनेस टेस्ट लिया जाता है लेकिन खिलाड़ी को कब कैसी चोट लग जाए कहा नहीं जा सकता। मैं बॉक्सिंग टीम से जुड़कर खुश हूं कि खिलाड़ियों की फिटनेस पर अपना कुछ योगदान दे पा रही हूं। मुझे अपने काम से संतुष्टि है तथा इसके लिए मैं बॉक्सिंग फेडरेशन आफ इंडिया की शुक्रगुजार हूं।

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