मैदानों में महफूज नहीं खिलाड़ी बेटियां

साई के कोच नहीं होश में

जांच कमेटियां तो बनती हैं पर सजा किसी को नहीं मिलती

श्रीप्रकाश शुक्ला

ग्वालियर। महिला खिलाड़ियों के यौन उत्पीड़न के मामले जब-तब शर्म के पर्दे से छनकर बाहर आते हैं, जांच कमेटियां भी बनती हैं लेकिन कसूरवारों को सजा न मिलने से खिलाड़ी बेटियां मायूसी में घुट-घुटकर जीने को मजबूर हो जाती हैं। भारतीय मैदानों में खिलाड़ी बेटियां महफूज नहीं हैं यही वजह है कि बार-बार कोच और खिलाड़ी के रिश्ते शर्मसार हो रहे हैं। इसकी मुख्य वजह देश में महिला प्रशिक्षकों की कमी को भी माना जा सकता है।

एशियाई चैम्पियनशिप की तैयारियों के लिए स्लोवेनिया गई भारतीय साइकिलिंग टीम की महिला सदस्य मयूरी लुते ने टीम के चीफ कोच आर.के. शर्मा पर यौन प्रताड़ना के आरोप लगाकर एक बार फिर से कोच नहीं होश में के संकेत दिए हैं। मयूरी की शिकायत के बाद साई ने उसे स्लोवेनिया से बुलवा लिया है, साथ ही मामले की जांच शुरू करा दी है। चीफ कोच अभी भी टीम के साथ स्लोवेनिया में बाकी रायडरों को तैयारियां करा रहे हैं।

18 से 22 जून तक दिल्ली के यमुना वेलोड्रम में होने वाली एशियाई ट्रैक साइकिलिंग की तैयारियों के लिए पांच रायडरों को मई माह में स्लोवेनिया भेजा गया था। रायडर की ओर से की गई शिकायत के मुताबिक चीफ कोच ने 29 मई को उसका यौन शोषण किया, उसने दो बार ऐसी ही कोशिश फिर की। शिकायत के मुताबिक जब वह स्लोवेनिया पहुंची तो जहां उसे ठहराया जाना था, वहां कमरों की कमी थी।

आरोप है कि चीफ कोच ने रायडर से कहा कि वह उनके कमरे में साथ ठहर सकती है। हालांकि भारतीय साइकिलिंग महासंघ ने रायडर को अलग से कमरा उपलब्ध करा दिया। इस घटना के दो दिन बाद चीफ कोच ने फिर से रायडर के साथ उत्पीड़न की कोशिश की। इसके बाद रायडर ने ओलम्पिक गोल्ड क्वेस्ट के साथ मिलकर घटना की शिकायत टॉप्स सीईओ पी.के. गर्ग को कर दी। शिकायत के बाद तीन जून को रायडर को वापस भारत बुला लिया गया। टीम के साथ कोई भी महिला कोच नहीं गई थी। कोच गौतमनी देवी ने अंतिम क्षणों में स्लोवेनिया जाने से नाम वापस ले लिया था।

साई का कहना है कि उन्हें महिला रायडर की शिकायत मिली है। चीफ कोच को भारतीय साइकिलिंग महासंघ की संस्तुति पर नियुक्त किया गया था। सुरक्षा कारणों से रायडर को वापस बुलाया गया है। मामले की जांच की जा रही है। इससे पहले सोमवार की सुबह सीएफआई के महासचिव मनिंदर पाल सिंह ने रायडर से मुलाकात कर जांच कमेटी का गठन किया, जिसमें दीपाली निकम, सुधीश कुमार, वीएन सिंह और खुद मनिंदर पाल सिंह शामिल हैं।

एक समय था जब लड़कियों को घर के आंगन में ही खेलने की आजादी दी जाती थी। उस दौरान मर्दाना माने जाने वाली खेल की दुनिया में लड़कियों से पदक जीतने की उम्मीद तक नहीं की जाती थी। 1896 में ग्रीस की राजधानी एथेंस में आधुनिक समय का सबसे पहला ओलम्पिक हुआ, जिसमें केवल पुरुषों ने ही हिस्सा लिया था। साल 1900 में पहली बार महिलाओं ने पेरिस ओलम्पिक में हिस्सा लिया। इसमें 997 खिलाड़ियों में सिर्फ 22 महिलाएं थीं। वक्त के साथ समाज और सोच बदली। धीरे-धीरे ही सही औरतों की स्पोर्ट्स में भागीदारी तो बढ़ती गई, लेकिन यह सफर उनके लिए कतई संतोषजनक नहीं कहा जा सकता।

भारतीय खेलों के लिए गौरव का पहला पल सिडनी 2000 में आया। जब पहली बार किसी महिला एथलीट ने ओलम्पिक में पदक जीता। इसी के साथ कर्णम मल्लेश्वरी ओलम्पिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं। साल 2015 में उन्होंने कोच रमेश मल्होत्रा पर आरोप लगाया था कि पिछले एक दशक से महिला खिलाड़ियों को भारतीय टीम में जगह दिलाने के नाम पर वे यौन शोषण कर रहे हैं। इस बारे में भारोत्तोलन संघ को भी तीन बार आगाह किया गया। शिकायत होने पर स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने उनका तबादला कुछ समय के लिए बेंगलूरु कर दिया। इस चौंकाने वाले आरोप के बाद भारतीय भारोत्तोलन संघ को शर्म से अपना सिर झुकाना पड़ा था हालांकि, अपने बचाव में कोच रमेश मल्होत्रा ने आरोप को गलत बताया था।

देखा जाए तो सर्वाधिक यौन शोषण के मामले भारतीय खेल प्राधिकरण के सेंटरों से ही सामने आए हैं। हाल ही में केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया था कि 2018 से लेकर अब तक स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) को लगभग 20 यौन शोषण की शिकायतें मिलीं। इनमें सबसे ज्यादा सात शिकायतें 2018 में और 6 शिकायतें 2019 में आई थीं। यौन शोषण की शिकायतें प्रतिवर्ष मिल रही हैं। वहीं, साई के नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार साल 2010 से लेकर 2019 तक खेल मंत्रालय के अधीन आने वाले साई केंद्रों में कुल 45 यौन शोषण के मामले सामने आए थे। इस पर साई के पूर्व डायरेक्टर जनरल ने कहा था कि यौन शोषण के आंकड़ों की संख्या काफी ज्यादा हो सकती है क्योंकि कई मामलों की शिकायत भी नहीं की गई होगी। वहीं, साल 2017 में उत्तराखंड के खेल मंत्री ने क्रिकेट संघों को चेतावनी दी थी कि वे सुधर जाएं। उन्होंने महिला खिलाड़ियों का जीवन बर्बाद करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को भी कहा था।

जब खिलाड़ियों ने कोच पर लगाए यौन शोषण के आरोप

कुछ महीने पहले तमिलनाडु में महिला खिलाड़ियों ने प्रसिद्ध खेल कोच पी. नागराजन के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। खिलाड़ियों के अनुसार इस तरह का शोषण उनके साथ पिछले कई सालों से होता आ रहा है। खेलों में गुरु कहलाने वाले कोचों के ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां एक महिला खिलाड़ी पर उसका गुरु बुरी नजर डालता पाया गया। लेकिन कई बार सबूतों के अभाव या फिर आनन-फानन में केस दबा दिए गए।

2009 में आंध्र प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के सेक्रेटरी पर टीम की एक महिला खिलाड़ी ने दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। पुलिस ने सेक्रेटरी के खिलाफ केस भी दर्ज किया था। 2009 में ही हैदराबाद के लाल बहादुर स्टेडियम में महिला बॉक्सर के सुसाइड करने की घटना ने काफी तूल पकड़ा था। आरोप था कि कोच ने उसका यौन उत्पीड़न किया था। 2010 में महिला हॉकी टीम की खिलाड़ियों ने कोच पर यौन प्रताड़ना के साथ गंदी हरकतें करने का आरोप लगाया था। भारतीय हॉकी महासंघ ने खिलाड़ियों के पक्ष को गंभीरता से लिया। कोच को इस्तीफा तक देना पड़ा था। 2011 में तमिलनाडु बॉक्सिंग एसोसिएशन के सेक्रेटरी पर एक महिला खिलाड़ी ने यौन शोषण का आरोप लगाया था। महिला के अनुसार सेक्रेटरी ने उससे टीम में सिलेक्ट होने के बदले शारीरिक संबंध बनाने का दबाव डाला था। 2014 में एशियन गेम्स के दौरान एक महिला जिम्नास्ट इंदिरा गांधी इन्डोर स्टेडियम में नेशनल कैंप अटेंड करने गई थी, जहां उसके साथ यौन शोषण हुआ था। इस केस में कोच मनोज राणा के खिलाफ केस दर्ज किया गया था।

2015 में केरल के भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के प्रशिक्षण केंद्र में हुई एक घटना ने महिला खिलाड़ियों के शोषण के बारे में देश का ध्यान खींचा था। यहां चार महिला खिलाड़ियों ने आत्महत्या की कोशिश की थी, जिनमें से एक की मौत हो गई थी। इन महिला खिलाड़ियों का आरोप था कि वहां उनका शारीरिक उत्पीड़न हो रहा था। ये सब बर्दाश्त से बाहर होने के बाद उन्होंने जहरीला फल खाकर जान देने की कोशिश की थी। 2015 में ही झारखंड के बोकारो जिले में ताइक्वांडो की एक खिलाड़ी ने अपने कोच पर यौन शोषण का दबाव बनाने का मामला दर्ज कराया था। आरोप था कि खेल के बदले कोच उनके साथ फिजिकल होना चाहता था।

मई 2017 में वाराणसी में महिला खिलाड़ियों से यौन शोषण करने के आरोपित बनारस के डॉ. सम्पूर्णानंद स्पोर्ट्स स्टेडियम के बैडमिंटन कोच के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। साथ ही उसे हटाने के लिए खेल निदेशालय को पत्र भेजा गया था। तब सिगरा स्टेडियम में अभ्यास करने वाली 14 खिलाड़ियों ने बैडमिंटन कोच श्यामधर ओझा पर यौन शोषण का आरोप लगाया था। इसकी शिकायत तत्कालीन खेलमंत्री नीलकंठ तिवारी से लेकर डीएम योगेश्वर राम मिश्र व खेल निदेशक को पत्र लिखकर की गई थी। बाद में ग्रुप बनाकर कलेक्ट्रेट पहुंचीं महिला खिलाड़ियों ने डीएम से मिलकर कोच की हरकतों की जानकारी दी थी। डीएम ने जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी। कमेटी के मेंबर एडीएम सिटी जितेंद्र मोहन सिंह, एसीएम अंजनी कुमार व आरएसओ भगवान राय की कमेटी ने खिलाड़ियों व कोच के बयान दर्ज किए थे। 10 दिन तक चली जांच-पड़ताल के बाद डीएम को जो रिपोर्ट सौंपी गई, उसमें यौन शोषण व अन्य आरोपों को सही पाया गया था। जांच कमेटी को दिए गए बयान में महिला खिलाड़ियों ने बताया कि कोच उनसे अश्लील बातें करता था। यही नहीं दो खिलाड़ियों से कंप्रोमाइज करने के लिए दबाव बनाया। एक खिलाड़ी को नेशनल खिलाने का लालच देकर अमर्यादित शर्तें रखीं। कोच पर धन उगाही करने का आरोप भी लगा था।

विदेशों में भी यौन शोषण के मामले कम नहीं

विदेशों में भी खिलाड़ियों के साथ कई ऐसे मामले सामने आए हैं। जून 2013 में पाकिस्तान महिला क्रिकेट टीम की खिलाड़ियों ने भी मुल्तान क्रिकेट क्लब (एमसीसी) के कुछ अधिकारियों पर यौन शोषण के आरोप लगाए थे। नवंबर 2011 में अमेरिका में यूनिवर्सिटी फुटबॉल टीम के सहायक कोच जैरी पर 8 बच्चों के साथ यौन शोषण करने का गंभीर आरोप लगा था। इसके बाद बाल यौन शोषण को लेकर बवाल मच गया था।

ब्रिटेन में युवा फुटबॉल खिलाड़ियों ने भी कोच पर यौन शोषण का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि अपने फुटबॉल करियर की शुरुआत करते वक्त उनका यौन शोषण किया गया। ओलंपिक खेलों में कई पदक जीत चुकीं स्टार जिम्नास्ट सिमोन, गैबी डगलस, एली रेसमैन और मैककायला मारोनी समेत कई महिला एथलीटों ने अमेरिकी टीम के डॉक्टर रहे लैरी नासर पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। इसके बाद उन्हें 500 से ज्यादा खिलाड़ियों के यौन शोषण का दोषी पाया गया था। अब इस मामले में यौन पीड़ितों को करीब 3000 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया जाएगा।

ऑस्ट्रेलिया की फुटबॉल खिलाड़ी टायला हैरिस को छोटे कपड़े पहनने की मजबूरी के चलते शोषण का शिकार होना पड़ा। साल 2021 में हुए टोक्यो ओलम्पिक में भारत के लिए पदक की दावेदार पहलवान विनेश फोगाट की सबसे पहली चुनौती भी सहूलियत के कपड़े पहनने की थी। टी-शर्ट और ट्रैक-पैंट पहनकर कुश्ती करने पर लोगों ने उन्हें ट्रोल किया था। टोक्यो ओलम्पिक में जर्मनी की महिला जिम्नास्ट टीम ने फुल बॉडी सूट वाली ड्रेस पहनकर स्पर्धा में हिस्सा लिया तो उनको भी निशाने पर लिया गया वहीं, नॉर्वे की महिला बीच हैंडबॉल टीम पर एक टूर्नामेंट के दौरान बिकिनी बॉटम्स की बजाय शॉर्ट्स पहनने से इंकार करने पर जुर्माना लगाया गया।

महिला कोच बढ़ने से कम हो सकती है परेशानी

राष्ट्रीय स्तर की महिला खिलाड़ियों का कहना है कि इस साल 23 जुलाई से 8 अगस्त तक टोक्यो में हुए ओलम्पिक में देखा गया कि महिला कोच की संख्या बेहद कम थी। देश में जब खेल संस्थानों में सभी स्तरों पर महिला कोच की संख्या बढ़ेगी, तभी महिला खिलाड़ियों की पुरुष कोच पर निर्भरता कुछ कम होगी। साथ ही खेलों में यौन शोषण की घटनाओं में कमी आएगी।

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