आईओए अध्यक्ष-कोषाध्यक्ष के बीच ठनी रार का मुख्य सूत्रधार कौन?

भारतीय ओलम्पिक संघ में सबकुछ ठीकठाक नहीं चल रहा
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली।
भारतीय ओलम्पिक संघ के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा मामले में कोषाध्यक्ष आनंदेश्वर पांडेय की भूमिका काफी अहम है। इन दोनों के बीच लम्बे समय से नूरा-कुश्ती चल रही है। खेलों के खजाने को स्वहित में खाली करने को लेकर बत्रा और पांडेय में एक-दूसरे के खिलाफ जमकर पत्र-व्यवहार हुए। असलम शेर खान ने हॉकी में गड़बड़झाले को लेकर जैसे ही बत्रा को कटघरे में खड़ा किया अब कोषाध्यक्ष पांडेय मौके पर चौका लगाने को बेताब हैं। यद्यपि इन दोनों की तकरार का असली सूत्रधार कोई और ही है। 
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने भारतीय ओलम्पिक संघ के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा और हॉकी इंडिया के अज्ञात पदाधिकारियों के खिलाफ प्रारम्भिक जांच (पीई) शुरू कर दी है। सूत्रों ने बताया कि पीई को आईओए से ही मिली शिकायत पर शुरू किया गया है। सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया, ‘यह आरोप लगाया गया था कि हॉकी इंडिया के लगभग 35 लाख रुपए का फंड डॉ. नरिंदर बत्रा के व्यक्तिगत लाभ के लिए खर्च किया गया है।’
नरिंदर बत्रा अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफआईएच) के प्रमुख हैं। वह हॉकी इंडिया के पूर्व महासचिव और अध्यक्ष हैं और 2017 से आईओए की अगुआई कर रहे हैं। पिछले साल दिसम्बर में ओलम्पिक संघ के चुनाव होने थे, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट में उसके घटक को चुनौती देने वाली एक याचिका के बाद तय कार्यक्रम के अनुसार चुनाव नहीं हुए।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एसोसिएशन के शीर्ष पदाधिकारियों के प्रशासनिक गतिरोध भी हैं। नरिंदर बत्रा और महासचिव राजीव मेहता समेत कई लोग आमने-सामने हैं। हाल ही में नरिंदर बत्रा और हॉकी इंडिया में तनातनी की खबरें सुर्खियों में आई थीं। 
इस साल 29 मार्च को आईओए के कोषाध्यक्ष आनंदेश्वर पांडेय ने नरिंदर बत्रा को एक पत्र लिखा था। पत्र में उन्होंने नरिंदर बत्रा पर अनियमितताओं का आरोप लगाया था। साथ ही उनके कार्यालय पर खर्च और हॉकी इंडिया के साथ उनके स्वामित्व वाली कम्पनी के वित्तीय लेनदेन का जवाब मांगा था। पत्र में कहा गया था, ‘यह मेरे कल के पत्र जो आपके कार्यालय पर किए गए खर्च के सम्बन्ध में था, उसका फॉलोअप है। आपने चुप्पी साध रखी है और उत्तर नहीं दे रहे हैं। खातों को लेकर देरी सिर्फ इसलिए हो रही है क्योंकि आप आईओए द्वारा मांगी गई जानकारी नहीं दे रहे हैं। मुझे पता चला है कि कुछ दिन पहले सीबीआई अधिकारियों ने आईओए कार्यालय का दौरा किया था और दूसरी मंजिल पर आपके कार्यालय के बारे में पूछताछ भी की थी।’
पत्र में यह भी लिखा गया कि सीबीआई ने इससे पहले हॉकी इंडिया के कार्यालय में नरिंदर बत्रा से भी मुलाकात की थी। पत्र में कहा गया, ‘क्या यह सही है कि हॉकी इंडिया ने पुष्टि की है कि यह राशि हॉकी इंडिया ने आपके कार्यालय पर खर्च की है, न कि आपने, जैसा कि आप हमेशा से दावा करते रहे हैं।’
नरिंदर बत्रा की कम्पनी के सौदे पर सवाल उठाते हुए पत्र में पूछा गया, ‘आंतरिक ऑडिटर वीके बजाज एंड कंपनी की रिपोर्ट में आपकी निजी कम्पनी सुपर पार्ट्स का नाम कैसे आया। सुपर पार्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के पक्ष में झूठा ऋण देनदारी बनाकर हॉकी इंडिया की भूमिका को ढंकने का झूठा प्रयास क्यों किया गया। आईओए को आर्थिक नुकसान क्यों हो रहा था? केवल हॉकी इंडिया द्वारा धन के दुरुपयोग को छिपाने के लिए।’
बता दें कि नरिंदर बत्रा ने भारत की पुरुष हॉकी टीम के हालिया प्रदर्शन को लेकर हॉकी इंडिया (एचआई) से सवाल खड़े किए थे और उसे आड़े हाथों लिया था। नरिंदर बत्रा की इस दखलअंदाजी के बाद ओलम्पियन और 1975 विश्व कप विजेता टीम के सदस्य असलम शेर खान ने उन पर सवाल खड़े किए थे।
असलम शेर खान ने कहा था कि नरिंदर बत्रा अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ के अध्यक्ष हैं। ऐसे में उनका हॉकी इंडिया के काम में दखल देना हितों के टकराव का मामला है। उन्होंने कहा था, ‘वह इस पद पर बने रहते हुए नेशनल फेडरेशन में दखल नहीं दे सकते। असलम ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एचआई में कुछ नियुक्तियों को चुनौती दी थी, जिसमें नरिंदर बत्रा का अजीवन सदस्य नियुक्त किया जाना भी शामिल था।’
इससे कुछ दिन पहले नरिंदर बत्रा ने हॉकी इंडिया को एक पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने भारतीय पुरुष हॉकी टीम के प्रदर्शन को लेकर नाराजगी जाहिर की थी। नरिंदर बत्रा ने 15 फरवरी को एचआई को लिखे पत्र में टीम के प्रदर्शन को अस्वीकार्य बताया था। साथ ही एचआई से टीम के खराब प्रदर्शन के कारण के बारे पूछा था। नरिंदर बत्रा ने भारतीय टीम के प्रदर्शन को लेकर हॉकी इंडिया के अध्यक्ष ज्ञानेंद्रो निगोमबाम समेत अन्य पदाधिकारियों की क्लास लगाई थी। उन्होंने पत्र में कहा था कि टोक्यो ओलम्पिक में कांस्य पदक जीतने के बाद भारतीय टीम का जो प्रदर्शन रहा है उससे वह चिंतित हैं।

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