खिताब से तय होगी देश में हॉकी की राह

जूनियर विश्व कप हॉकी का आगाज आज से
-मनोज चतुर्वेदी 

भारत हॉकी का एक समय शहंशाह रहा है। लेकिन काफी समय तक सफलताओं के मुंह मोड़े रहने के बाद पिछले दिनों टोक्यो ओलंपिक में भारत के कांस्य पदक जीतने पर देश के हॉकी प्रेमियों में खुशी की लहर दौड़ी थी। भारत ने ओलंपिक में यह पदक चार दशक बाद जीता था। इस सफलता से देश की हॉकी को नई दिशा मिलना तय माना जा रहा है।
भारत यदि भुवनेश्वर में 24 नवंबर से शुरू होने वाले एफआईएच पुरुष जूनियर विश्व कप में अपने खिताब की रक्षा कर लेता है, तो यह माना जाएगा कि हम सही दिशा में चल पड़े हैं। भारत ने 2016 में लखनऊ में हुए जूनियर विश्व कप में बेल्जियम को 2-1 से हराकर खिताब पर कब्जा जमाया था। भारत को यह सफलता 2001 में होबार्ट में खिताब जीतने के 15 साल बाद मिली थी।
इसमें कोई दो राय नहीं कि भारत को घर में अपने चहेते दर्शकों के बीच खेलने का लाभ मिलेगा। पर टीम की दिक्कत यह है कि वह कोरोना की वजह से इसकी तैयारी के लिए विदेशी दौरे नहीं कर सकी है। सीनियर टीम के टोक्यो ओलंपिक की तैयारी करते समय वह उसके साथ रही और उसे सीनियर खिलाड़ियों के साथ खेलने का अनुभव मिला है। इससे विदेशी दौरे नहीं कर पाने की कुछ भरपाई तो हुई है।
इस दौरान टीम को सीनियर टीम के कोच ग्राहम रीड से भी सीख मिलती रही थी, इसको ही ध्यान में रखकर उन्हें जूनियर टीम के कोच बीजे करियप्पा का दिशा-निर्देशन करने के लिए जोड़ दिया गया है। वहीं जूनियर टीम की तैयारियों को ध्यान में रखकर सीनियर टीम के शिविर को भी साई बेंगलुरु से भुवनेश्वर स्थानांतरित कर दिया गया।
भारतीय टीम की कमान विवेक सागर प्रसाद को सौंपी गई है। विवेक ने पिछले दिनों भारत को टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जिताने में अहम भूमिका निभाई थी। पर वह 2016 में विश्व जूनियर खिताब जीतने वाली टीम का हिस्सा नहीं बन सके थे, इसकी वजह उनका चोटिल हो जाना था। पर वह पिछले काफी समय से सीनियर टीम में खेल रहे हैं, इसलिए उनके अनुभव का लाभ बाकी खिलाड़ियों को भी मिलने की संभावना है।
विवेक बहुत बढ़-चढ़कर बोलने में विश्वास नहीं रखते हैं। उन्होंने कहा कि हम मैच दर मैच रणनीति बनाने में विश्वास करते हैं। इसलिए हमारा पहला लक्ष्य अपने ग्रुप बी में पहला स्थान पाकर क्वार्टर फाइनल में स्थान बनाना है। इसमें भाग लेने वाली टीमों को चार-चार के चार ग्रुपों में बांटा गया है। भारत को फ्रांस, पोलैंड और कनाडा के साथ ग्रुप बी में रखा गया है। इस ग्रुप में कोई भी टीम ऐसी नहीं है, जिससे भारत खतरा महसूस कर सके।
इसलिए भारत के ग्रुप में शिखर पर रहकर क्वार्टर फाइनल में स्थान बनाने में शायद ही कोई दिक्कत हो। क्वार्टर फाइनल में भी भारतीय टीम को पूल ए की दूसरे नंबर की टीम से भिड़ना है। इसका मतलब है कि वह चिली, मलयेशिया और दक्षिण अफ्रीका में से किसी एक टीम से भिड़ेगी, क्योंकि इस ग्रुप में बेल्जियम के टॉप पर रहने की पूरी संभावना है। सही मायनों में टीम की सही परीक्षा सेमीफाइनल में ही होने की उम्मीद है।
किसी भी टीम की सफलता में उसकी एकजुटता की अहम भूमिका होती है। मुझे याद है कि 2016 में खिताब जीतने वाली टीम के कोच हरेंद्र सिंह ने टीम के प्रशिक्षण शिविर के दौरान यह व्यवस्था की थी कि एक कमरे में दो अलग-अलग राज्यों के खिलाड़ी रहें। इससे खिलाड़ियों के संबंधों में प्रगाढ़ता आ गई थी। इस बार टीम की तैयारी में ऐसा कुछ तो नहीं किया गया, पर इतना जरूर है कि खिलाड़ियों के लंबे समय तक शिविर में एक साथ रहने से आपसी सद्भाव बन ही जाता है।
इस विश्व कप में भारत की परंपरागत प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तानी टीम भी भाग ले रही है। पाकिस्तानी टीम लंबे समय के बाद भारत आई है, इसकी वजह दोनों देशों के बीच खटास भरे संबंध होना है। यह सही है कि भारत और पाकिस्तान के मुकाबलों को बेहद दिलचस्पी के साथ देखा जाता है। पर इस विश्व कप में सेमीफाइनल से पहले दोनों के टकराने की कोई उम्मीद नहीं है। वैसे बेल्जियम, नीदरलैंड, जर्मनी, अर्जेंटीना और पाकिस्तान ही ऐसी टीमें हैं, जो भारत की खिताबी राह में रोड़ा बन सकती हैं।

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