उत्तर प्रदेश खेल निदेशालय के आलाधिकारी हुए बेलगाम
जिस मानदेय हॉकी शिक्षक विकास पाल को जेल में होना चाहिए उसे दे दी फिर से नियुक्ति
एस.एस. मिश्रा और एस.के. लहरी सब जानते हुए भी बने अनजान
श्रीप्रकाश शुक्ला
लखनऊ। खेल निदेशालय उत्तर प्रदेश के अधीन चल रहे प्रदेश के स्पोर्ट्स कॉलेजों में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। जैसे-जैसे उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव करीब आ रहे हैं खेल निदेशालय में पदस्थ आलाधिकारी अपनों को उपकृत करने के मामले में किसी भी हद तक कूटरचित कार्य करने से बाज नहीं आ रहे। ऐसा ही एक मामला गुरु गोविन्द सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज लखनऊ का सामने आया है। दो जन्म-तिथियों में हेरफेर के मामले में दोषी पाए गए जिस मानदेय हॉकी शिक्षक विकास पाल को बाहर कर दिया गया था, उसे एक बार फिर से स्पोर्ट्स कॉलेज लखनऊ में नियुक्ति दे दी गई है।
गोविन्द सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज लखनऊ में मानदेय हॉकी शिक्षक विकास पाल की पुनः नियुक्ति किसी और ने नहीं बल्कि दो जवाबदेह पदाधिकारियों ने की है। इन पदाधिकारियों में उप-निदेशक खेल और स्पोर्ट्स कॉलेज लखनऊ के प्राचार्य एस.एस. मिश्रा तथा सैफई स्पोर्ट्स कॉलेज के प्राचार्य एस.के. लहरी शामिल हैं। यह अधिकारी यह भी नहीं कह सकते कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं थी क्योंकि जब हॉकी शिक्षक विकास पाल के दस्तावेजों की पड़ताल हुई थी तब एस.के. लहरी जांच समिति में शामिल थे।
पाठकों को हम बता दें कि विकास पाल सिंह ने गोविन्द सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज लखनऊ से ही हॉकी का ककहरा सीखा है। प्रशिक्षण के दौरान इसने यहां से सन् 2000 में हाईस्कूल की परीक्षा दी थी जिसमें वह फेल हो गया था। विकास पाल की 2000 की अंकसूची में जन्मतिथि 27-11-1985 अंकित है। विकास पाल ने स्पोर्ट्स कॉलेज लखनऊ में नियुक्ति के समय जो हाईस्कूल की अंकसूची लगाई है, उसमें उसकी जन्मतिथि 11-02-1987 अंकित है। कोई भी व्यक्ति एक जीवनकाल में सिर्फ एक बार जन्म लेता है, ऐसे में दो अंकसूचियों में भिन्न-भिन्न जन्मतिथियां विकास पाल के फरेबी होने का ठोस सबूत हैं।
दरअसल, विकास पाल ने 2003 में संस्थागत छात्र के रूप में जनपद संत कबीर नगर के बीपीएनआईसी पटवारा से हाईस्कूल पास किया है। विकास पाल ने गोविन्द सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज लखनऊ में नियुक्ति के समय यही अंकसूची अपने दस्तावेजों में प्रेषित की है। फरेबी हॉकी शिक्षक विकास पाल की शिकायत 2019 में योगेश कुमार तिवारी, एडवोकेट प्रियदर्शिनी कॉलोनी सीतापुर रोड लखनऊ ने की थी। तब प्राचार्य व उत्तर प्रदेश स्पोर्ट्स कॉलेजेज सोसायटी ग्राम गुडम्बा कुर्सी रोड लखनऊ के विजय कुमार गुप्ता, सचिव प्रबंध समिति ने जांच कराई तो यह चौंकाने वाला मामला सामने आया। जांच में मामला सही पाए जाने के बाद विकास पाल को 13-08-2019 को एक चेतावनी पत्र दिया गया जिसमें उसे अपना पक्ष रखने को कहा गया लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया। अंततः उसकी नियुक्ति को निरस्त करते हुए उसकी सेवाएं समाप्त कर दी गईं।
विकास पाल की धोखाधड़ी के मामले में एक समिति भी बनाई गई थी जिसमें एस.के. लहरी, गोविन्द सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज लखनऊ के सहायक अध्यापक विज्ञान युधिष्ठिर गंगवार, सुनीता कुमारी शर्मा अध्यापक अंग्रेजी, उदयभान यादव अध्यापक भूगोल शामिल थे। इस समिति ने हॉकी शिक्षक विकास पाल के कॉलेज में जमा सभी दस्तावेजों की जांच की जिसमें उसे उम्र में फरेब और धोखाधड़ी का दोषी पाया गया। इस समिति ने पांच जून, 2020 को अपनी जांच रिपोर्ट सचिव प्रबंध समिति, उत्तर प्रदेश स्पोर्ट्स कॉलेजेज सोसायटी, लखनऊ को सौंपी।
खैर, इस मामले में खेल निदेशालय के एक आलाधिकारी ने प्राचार्य विजय कुमार गुप्ता पर दबाव भी बनाया लेकिन ईमानदार गुप्ता साहब टस से मस नहीं हुए। आखिरकार सात मई, 2021 को गोविन्द सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज लखनऊ के ईमानदार प्राचार्य विजय कुमार गुप्ता की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई। श्री गुप्ता के परिवार को खेल निदेशालय से हरमुमकिन मदद की जानी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दुख की बात है कि जिस शख्स ने पूरी ईमानदारी से काम करने की कोशिश की उसे ही परेशान किया गया।
श्री गुप्ता की मौत के बाद खेल निदेशालय का पदाधिकारी निरंकुश हो गया और जुलाई, 2021 में विकास पाल को मानदेय हॉकी शिक्षक के रूप में पुनः रख लिया गया। एक फरेबी को किसकी शह पर पुनः गोविन्द सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज लखनऊ में रखा गया इस बात को सिर्फ और सिर्फ एस.एस. मिश्रा और एस.के. लहरी ही जानते हैं। जो भी हो प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस मामले की निष्पक्ष जांच कराकर कसूरवारों को दंडित किया जाना चाहिए। इतना ही नहीं विकास पाल से पैसे की रिकवरी करते हुए उसे सींखचों में पहुंचाया जाना जरूरी है।