शिवराज के राज में कैप्टन रूप सिंह बेहाल

हिटलर के हीरो को 113वीं जयंती पर शत-शत नमन
श्रीप्रकाश शुक्ला
ग्वालियर।
अपने खेल-कौशल से दो बार (1932 और 1936) भारत को ओलम्पिक हाकी का स्वर्ण मुकुट पहनाने वाले कालजयी कैप्टन रूप सिंह अपनी ही जन्म और कर्मस्थली में नाकद्री का शिकार हैं। आठ सितम्बर, 1908 को जबलपुर में जन्मे रूप सिंहजी की कर्मस्थली ग्वालियर रही है। कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम के पास स्थित उनके प्रतिमा स्थल को देखकर लगता ही नहीं कि यह वही खिलाड़ी है जिसने अपने जादुई खेल से तानाशाह एडोल्फ हिटलर को अपना मुरीद बना लिया था।
सच कहें तो ग्वालियर में यह खिलाड़ी दो दिन याद किया जाता है लेकिन बाकी दिनों में उनकी कैसी नाकद्री होती है, इसे देखने की किसी को भी फुर्सत नहीं है। ग्वालियर हाकीप्रेमियों का शहर है लेकिन उसे अपने कालजयी खिलाडिय़ों की इज्जत करना नहीं आता। कैप्टन रूप सिंह  के सम्मान की जब भी कभी बात होती है, यह शहर उनके नाम क्रिकेट का मैदान होने की दुहाई देता है। इस शहर को शायद नहीं पता कि कैप्टन रूप सिंह ग्वालियर से कहीं अधिक जर्मनी में आदर और सम्मान पाते हैं। म्यूनिख में 1978 में बना कैप्टन रूप सिंह मार्ग आज भी 1932 और 1936 के सर्वश्रेष्ठ ओलम्पिक खिलाड़ी कैप्टन रूप सिंह  की याद ताजा करता है।
हाकी के जादूगर माने जाने वाले मेजर ध्यान सिंह के अनुज कैप्टन रूप सिंह न सिर्फ हाकी बल्कि क्रिकेट और टेनिस के भी शानदार खिलाड़ी रहे हैं। खेलप्रेमियों को बता दें कि 1943-44 में दिल्ली के खिलाफ कैप्टन रूप सिंह रणजी मैच भी खेल चुके हैं। उन्होंने पहली पारी में चार रन तो दूसरी पारी में बिना कोई रन बनाए आउट हुए थे। अचूक स्कोरर कैप्टन रूप सिंह आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनका तमाशाई खेल और रिकार्ड उनकी महानता की खुद-ब-खुद दुहाई देते हैं। हाकीप्रेमियों को शायद नहीं पता कि 15 अगस्त, 1936 को ओलम्पिक हाकी में जब भारत ने जर्मनी का 8-1 से मानमर्दन किया था, उस दिन ध्यान सिंह नहीं रूप सिंह की जय-जयकार हुई थी। तब एडोल्फ हिटलर ने कहा था कि आज मैं जर्मन खिलाड़ियों को स्वर्ण मुकुट पहनाने आया था लेकिन रूप सिंह आपने अकेले ही भारत को जिता दिया। रूप सिंह आप वाकई महान हैं। मैं भारत नहीं आप दोनों भाइयों को सलाम करता हूं। 
मध्यप्रदेश सरकार से गुजारिश है कि कैप्टन रूप सिंह के नाम से प्रदेश में खेल अवार्ड घोषित करते हुए किसी मार्ग का नामकरण भी उनके नाम से हो। यही इस महान खिलाड़ी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। हाकी पुरोधा अचूक गोलंदाज कैप्टन रूप सिंह को खेलपथ का शत-शत नमन।

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