खेल निदेशालय की चूक से चली गई उदीयमान पॉवरलिफ्टर की जान

बिना पंजीयन किसके कहने पर के.डी. सिंह बाबू स्टेडियम में करने दिया गया अभ्यास?

मुख्यमंत्री जी खेल निदेशक रामप्रकाश सिंह और क्षेत्रीय क्रीड़ाधिकारी अजय सेठी से मांगिए जवाब

खेलपथ संवाद

लखनऊ। एक तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश को खेलों में उत्तम प्रदेश बनाने की मंशा से जहां इन दिनों खासी मशक्कत कर रहे हैं वहीं खेल निदेशालय में बैठे अकर्मण्य खेल अधिकारी उनके किए कराए पर पानी फेरने का कोई मौका जाया नहीं करना चाहते। मंगलवार को के.डी. सिंह बाबू स्टेडियम में एक उदीयमान पॉवरलिफ्टर विश्वास राज शुक्ल की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। खेलप्रेमियों को इन सवालों के जवाब मिलेंगे या इसी तरह प्रतिभाएं असमय काल के गाल में समाती जाएंगी?

ज्ञातव्य है कि मंगलवार को उदीयमान पॉवरलिफ्टर विश्वास राज शुक्ल की के.डी. सिंह बाबू स्टेडियम में अभ्यास के दौरान तबियत खराब होने के बाद ट्रामा सेंटर ले जाते समय मौत हो गई। बताया जाता है कि इस पॉवरलिफ्टर का स्टेडियम में अभ्यास के लिए जरूरी पंजीयन भी नहीं था। बिना पंजीयन उसे किसके कहने पर अभ्यास की अनुमति दी गई, यह सबसे बड़ा सवाल है। जो भी हो एक होनहार प्रतिभा को असमय खो देने से सभी खिलाड़ी स्तब्ध हैं तो खेलप्रेमियों में खेल निदेशालय की अकर्मण्यता पर खासी नाराजगी है।

बताया जाता है कि विश्वास राज राष्ट्रीय स्तर पर दो स्वर्ण समेत कई पदक जीत चुका था, उससे प्रदेश को काफी उम्मीदें थीं। विश्वास राज पहले चौक स्टेडियम में ट्रेनिंग करता था। इसके बाद उसने खुद के उपकरण खरीद कर पुराने लखनऊ में ट्रेनिंग शुरू कर दी थी। मंगलवार को वह के.डी. सिंह बाबू स्टेडियम के वेटलिफ्टिंग हॉल में ट्रेनिंग करने गया। वहां वार्मअप के बाद उसे पसीना आने लगा तथा बेचैनी होने लगी। विश्वास राज शुक्ल की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए प्रशिक्षक अरविन्द कुशवाह ने उसे लिटाकर पानी पिलाया। तबीयत में कोई सुधार नहीं होने पर स्टेडियम के पीछे कृष्णा मेडिकल सेण्टर ले जाया गया, जहां से उन्हें सिविल अस्पताल भेज दिया गया।

कृष्णा मेडिकल सेण्टर में विश्वास राज की तबीयत में थोड़े सुधार के बाद परिजन उसे आलमबाग स्थित अपने घर ले गये। जहां थोड़ा आराम मिला मगर कुछ देर बाद तबीयत फिर बिगड़ गई। घर वाले उसे ट्रामा सेंटर ले गए, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। जानकारी के अनुसार विश्वास राज के पिता राजकुमार शुक्ल आलमबाग में रहते हैं तथा वह रीयल स्टेट के कारोबार से जुड़े हैं। श्री शुक्ल ने बताया कि उन्हें जैसे ही बेटे की तबीयत बिगड़ने की सूचना मिली वह उसे सिविल अस्पताल ले गए। वहां से घर आए और फिर ट्रामा सेण्टर दौड़े।

बकौल वेटलिफ्टिंग प्रशिक्षक अरविन्द कुशवाह विश्वास राज पहली बार के.डी. सिंह बाबू स्टेडियम में आया था। वार्मअप के बाद ही उसकी तबियत खराब होने लगी थी। उसे तुरंत उपचार दिया गया। विश्वास के कोच रहे राजधर मिश्र ने बताया कि विश्वास बेहद प्रतिभाशाली पॉवरलिफ्टर था। अपने भार वर्ग में वह स्टेट चैम्पियन था। उसने राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक जीते थे। वह फिलवक्त विश्व चैम्पियनशिप में हिस्सा लेने की तैयारी कर रहा था।

नियमतः के.डी. सिंह बाबू स्टेडियम में बिना पंजीयन किसी को भी ट्रेनिंग की अनुमति नहीं है, ऐसे में बिना पंजीयन विश्वास राज को ट्रेनिंग की अनुमति कैसे मिल गई। उसे किसके कहे पर अभ्यास का मौका मिला, यह ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब खेल निदेशालय के मुखिया से मुख्यमंत्री और खेल मंत्री को मांगना चाहिए। वैसे वेटलिफ्टिंग प्रशिक्षक अरविन्द कुशवाह को तो पता है कि विश्वास राज को वह किसके कहे पर ट्रेनिंग करा रहा था। एक सवाल यह भी कि जब वह पहली ही बार के.डी. सिंह बाबू स्टेडियम आया था तो उस पर सतत नजर क्यों नहीं रखी गई। यह ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब खेल निदेशक रामप्रकाश सिंह और उनके खास चहेते क्षेत्रीय क्रीड़ाधिकारी अजय सेठी को देना ही चाहिए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को इस मामले की तह तक जरूर जाना चाहिए। आखिर यह मामला एक उदीयमान खिलाड़ी की मौत का है।

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