जवाहर नवोदय विद्यालय झाबुआ में मना नेशनल स्पोर्ट्स डे

हॉकी के जादूगर दद्दा ध्यानचंद की जीवन दर्शन पर हुई चर्चा

खेलपथ संवाद

झाबुआ। रविवार को जवाहर नवोदय विद्यालय झाबुआ (मध्य प्रदेश) में राष्ट्रीय खेल दिवस पर दद्दा ध्यानचंद के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद उनके जीवन दर्शन पर विस्तार से चर्चा की गई। हाल ही स्कूल का प्राचार्य पद सम्हालने वाली भावना सिल्के ने मेजर ध्यानचंद के खेल जीवन पर प्रकाश डाला और उनकी खेल उपलब्धियों के बारे में सभी को बताया।

श्रीमती सिल्के ने कहा कि दद्दा का सम्पूर्ण जीवन ही हॉकी खेल को समर्पित था। हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त, 1905 को इलाहाबाद (प्रयागराज) में हुआ। वह भारतीय सेना के एक सिपाही थे। उन्होंने 1928, 1932 व 1936 के ओलम्पिक में भारत को स्वर्ण पदक दिलाकर देश का झंडा विदेशों में ऊंचा किया और देश को गौरवान्वित किया था।

भारत सरकार ने उन्हें मेजर की उपाधि दी और उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। उनका निधन 3 दिसम्बर, 1979 को दिल्ली में हुआ। हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद ने अपने खेल से हिटलर जैसे तानाशाह को अपना मुरीद बना लिया, यह उनकी अपनी कला थी। ध्यानचंद यह कहा करते थे कि मेरे देश की जिम्मेदारी नहीं है मुझे आगे बढ़ाने की, यह मेरी जिम्मेदारी है कि मैं अपने देश को आगे बढ़ाऊं।

स्पोर्ट्स टीचर अंजली चौरसिया ने कहा कि मेजर ध्यानचंद देश के सभी खिलाड़ियों के लिए एक आदर्श हैं। जिस प्रकार क्रिकेट में सर डॉन ब्रैडमैन को क्रिकेट का जादूगर कहा जाता है, उसी प्रकार मेजर ध्यानचंद हॉकी के जादूगर थे। उन्होंने कहा कि ध्यानचंद का यह कथन था कि खिलाड़ियों में लगन और अनुशासन है तो भारत में हजारों ध्यानचंद पैदा हो सकते हैं। सच कहें तो मेजर ध्यानचंद हॉकी के पितामह हैं। आज की पीढ़ी को दद्दा की बातों का अनुसरण करना चाहिए। नेशनल स्पोर्ट्स डे कार्यक्रम में विद्यालय के सभी शिक्षकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। शिक्षकों में नागेश, संतोष कुमार चौरसिया, नीलम आदि शामिल थे।

 

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