नरिन्दर ध्रुव बत्रा ने नटवरलाल आनंदेश्वर पांडेय को थमाया नोटिस

जगन मोहन राव ने कहा- आनंदेश्वर पांडेय खेल में उनके गॉडफादर हैं

हैंडबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया पर लटकी अयोग्यता की तलवार

फर्जी हस्ताक्षरों से खेल मंत्रालय को भी लगाया चूना

श्रीप्रकाश शुक्ला

नई दिल्ली। भारतीय ओलम्पिक संघ के अध्यक्ष नरिन्दर ध्रुव बत्रा ने अपने ही खजांची आनंदेश्वर पांडेय को नोटिस देकर उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। मामला हैंडबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया (एचआईएफ) में हुए बड़े गड़बड़झाले से सम्बद्ध है। एचआईएफ अध्यक्ष जगन मोहन राव का यह कहना कि आनंदेश्वर पांडेय खेल में उनके गॉडफादर हैं, यह साबित करता है कि वह अपने रसूख का इस्तेमाल कर न केवल खेलों का सत्यानाश कर रहे हैं बल्कि फर्जी हस्ताक्षरों से खेल मंत्रालय को भी चूना लगा चुके हैं।

पाठकों को बता दें कि आनंदेश्वर पाण्डेय उत्तर प्रदेश ओलम्पिक एसोसिएशन के सचिव होने के साथ ही भारतीय ओलम्पिक संघ में कोषाध्यक्ष हैं। इतना ही नहीं पांडेय भारतीय हैंडबाल संघ पर भी अपना एकाधिकार रखते हैं। हैंडबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया में हुए अनियमितता के मामले में उन्हें भारतीय ओलम्पिक संघ के अध्यक्ष नरिन्दर ध्रुव बत्रा ने छह पेज का नोटिस थमाया है। पांडेय पर इससे पहले भी भ्रष्टाचार और जालसाजी के आरोप लगते रहे हैं। दुर्भाग्य की बात है संगठनों में चोर-चोर मौसेरे भाइयों की पैठ होने से वह अपने आपको निर्दोष साबित कर लेते हैं। खैर, इस मामले ने पांडेय की नींद हराम कर दी है।

भ्रष्टाचार और जालसाजी के आरोपों को साबित करने की टोटा रटंत बातें इस बार पांडेय के लिए मुसीबत का सबब बन सकती हैं। सही जांच होने पर हैंडबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया की मान्यता भी खतरे में पड़ सकती है। आईओए अध्यक्ष बत्रा ने 16 अगस्त को दिए नोटिस में पांडेय को बेगुनाही साबित करने को 15 दिन का समय दिया है। आरोपों की गम्भीरता और बेगुनाही साबित न करने की दशा में एचएफआई को अयोग्य करार दिया जाएगा।

वास्तव में, आईओए ने एचएफआई में आनंदेश्वर पांडेय के कथित 'स्वयंभू' कामकाज और आईओए के निर्धारित संविधान, विशेष रूप से अनुच्छेद 27.1.3 के खिलाफ काम करने पर बहुत गंभीरता से ध्यान दिया है। नोटिस वार्षिक लेखा परीक्षित खातों को प्रस्तुत न करने से संबंधित है, वार्षिक रिपोर्ट और आईओए को निर्धारित समय अवधि के साथ पदाधिकारियों की सूची एनएसएफ की अयोग्यता का आधार है। चूंकि, खातों और बैलेंस शीट के साथ-साथ आईओए को एचएफआई द्वारा प्रस्तुत अन्य ऐसे वित्तीय दस्तावेज तीन हस्ताक्षरकर्ताओं में से दो द्वारा हस्ताक्षर से इंकार करने के कारण प्रथम दृष्टया जाली हैं। एचएफआई द्वारा पिछले चार वर्षों का जो लेखा-जोखा प्रस्तुत किया गया है, उसमें आनंदेश्वर पांडेय के ही हस्ताक्षर हैं, जोकि गलत है।

भारतीय ओलम्पिक संघ ने वर्तमान एचएफआई  अध्यक्ष को भी पत्र लिखा है, लेकिन ठोस जवाब नहीं दिया गया है। बकौल बत्रा, “मैंने एचएफआई के वर्तमान अध्यक्ष जगन मोहन राव को भी लिखा, पर उन्होंने लिखित में जवाब नहीं दिया, लेकिन टेलीफोन पर उन्होंने मुझे बताया कि पांडेय खेल में उनके गॉडफादर हैं क्योंकि उन्होंने (पांडेय) उन्हें चुना था। राव ने मुझसे अनुरोध किया कि मैं पिछले मुद्दों को नजरअंदाज कर दूं और भविष्य में ऐसा नहीं होगा। मैं राव के व्यवहार से असंतुष्ट था कि वह हस्ताक्षर और खातों की कथित जालसाजी पर पर्दा डालना चाहते थे।

यहां यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि एचएफआई ने कथित रूप से जाली खाते और बैलेंस शीट जमा करके आईओए से अनुदान प्राप्त किया था। इसके अलावा, तीन हस्ताक्षरकर्ताओं में से दो ने अपने हस्ताक्षर से इंकार किया। आईओए की कार्रवाई एसोसिएशन के एसोसिएट कार्यकारी परिषद के सदस्य भोलानाथ सिंह द्वारा एचएफआई के कामकाज में विभिन्न आरोपों की ओर इशारा करने के बाद आई है। शिकायत अन्य अधिकारियों के बीच युवा मामले और खेल मंत्रालय (एमवाईएएस) के सचिव को भी भेजी गई थी।

एचएफआई के पूर्व अध्यक्ष, डॉ. एम. रामसुब्रमणि ने भी 18-09-2020 के एक पत्र के माध्यम से खाते के विवरण में हस्ताक्षर में जालसाजी के आरोपों की जांच की मांग की थी। भारतीय ओलम्पिक संघ के अध्यक्ष बत्रा ने इस मामले में खेल मंत्रालय को भी पत्र लिखा है। बकौल बत्रा, “मैं युवा मामले और खेल मंत्रालय को सूचित करने के लिए कर्तव्यबद्ध हूं क्योंकि एचएफआई को मंत्रालय से अनुदान प्राप्त हुआ है। छह पेज के इस नोटिस ने भारतीय हैंडबाल संघ के साथ ही नटवरलाल आनंदेश्वर पांडेय की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

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