हॉकी बेटियों ने हारकर भी जीता दिल

महिला हॉकी टीम पहले मेडल से चूकी
ब्रिटेन ने 4-3 से हराया
नई दिल्ली।
भारतीय महिला हॉकी टीम भले ही टोक्यो ओलम्पिक में पदक जीतने में नाकाम रही लेकिन उसने अपने खेल से करोड़ों भारतीयों का दिल जरूर जीत लिया है। रानी रामपाल की टीम ने वह कर दिखाया है जो इससे पहले ओलम्पिक के इतिहास में कभी नहीं हुआ था। भारतीय टीम ओलम्पिक इतिहास में पहली बार चौथे स्थान पर रही।
उसने क्वार्टर फाइनल में ओलम्पिक में तीन गोल्ड जीतने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम को हराया। सेमीफाइनल में चार बार की ओलम्पिक मेडलिस्ट अर्जेंटीना को कड़ी टक्कर दी और आज ब्रिटेन से भी आखिरी सेकेंड तक लड़ती रही। भारतीय टीम की हार में भी एक जीत है और सुनहरे भविष्य की आस है। यही कारण है कि पदक से चूकने के बावजूद देश उन पर गौरवान्वित है और उनकी हौसलाफजाई कर रहा है।
भारतीय महिला हॉकी टीम का टोक्यो ओलम्पिक में पदक जीतने का सपना अधूरा रह गया। भारतीय टीम को कांस्य पदक मुकाबले में ब्रिटेन के हाथों 4-3 से हार का सामना करना पड़ा। इस हार के साथ ही भारतीय टीम ओलम्पिक में पहली बार पदक जीतने से चूक गई, हालांकि हार के बावजूद भारतीय टीम इतिहास रचने में सफल रही और पहली बार चौथे स्थान पर रही।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीम की हौसलाफजाई की। उन्होंने कहा, 'हम टोक्यो ओलम्पिक में अपनी महिला हॉकी टीम के शानदार प्रदर्शन को हमेशा याद रखेंगे। उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया। भारत को इस शानदार टीम पर गर्व है। पूर्व खेल मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, 'हॉकी का सुनहरा दौर वापस लौट आया है।

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