डिप्रेशन दूर करने के लिए क्रिकेट खेलने लगी थीं डिस्कस थ्रोअर कमलप्रीत

नई दिल्ली। टोक्यो ओलम्पिक में महिला डिस्कस थ्रो के फाइनल में जगह बनाने वाली भारतीय डिस्कस थ्रोअर कमलप्रीत कौर के मानसिक स्वास्थ्य पर कोरोना लॉकडाउन का ऐसा असर पड़ा था कि उन्होंने मनोवैज्ञानिक दबाव से निपटने के लिये क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। लेकिन डिस्कस थ्रो से उनका लगाव कम नहीं हुआ और अब वह भारत को ओलम्पिक खेलों में एथलेटिक्स में पदक दिलाकर इतिहास रचने से कुछ ही कदम दूर हैं। उन्होंने शनिवार को 64 मीटर दूर डिस्कस फेंक कर दो अगस्त को होने वाले फाइनल के लिए क्वालीफाई किया।
25 साल की कमलप्रीत कौर पंजाब की काबरवाला गांव की रहने वाली हैं। उनका जन्म एक किसान परिवार में हुआ। कोरोना महामारी के कारण कोई टूर्नामेंट न होने की वजह से वह पिछले साल के अंत में काफी हताश हो गई थीं। वह डिप्रेशन जैसा महसूस करने लगी थीं। यही कारण है कि उन्होंने अपने गांव में क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था।
कमलप्रीत की कोच राखी त्यागी ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, 'गांव के पास ही बादल में एक साई केंद्र है और हम साल 2014 से पिछले साल तक वहीं ट्रेनिंग करते थे। कोरोना के कारण सब कुछ बंद हो गया और वह पिछले साल डिप्रेशन महसूस करने लगी थीं। वह प्रतियोगिता खासकर ओलम्पिक में हिस्सा लेना चाहती थीं। वह बेचैनी महसूस कर रही थीं और यह सच है कि उसने क्रिकेट खेलना शुरू किया था, लेकिन उसने ऐसा किसी टूर्नामेंट या पेशेवर क्रिकेटर बनने के लिए नहीं किया। वह केवल अपने गांव के मैदान मे ही क्रिकेट खेल रही थी।'
भारतीय खेल प्राधिकरण की कोच राखी त्यागी टोक्यो ओलम्पिक के लिए कमलप्रीत के साथ टोक्यो नहीं जा सकीं, लेकिन उन्हें लगता है कि कौर अगर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करती हैं, तो इस बार पदक जीत सकती हैं। उन्होंने कहा, 'मैं उससे रोज बात करती हूं, वह आज थोड़ी नर्वस थी, क्योंकि यह उसका पहला ओलम्पिक था और मैं भी उसके साथ नहीं हूं। मैंने उससे कहा कि वह कोई दबाव न ले और उसे अपना सर्वश्रेष्ठ दें। मुझे लगता है कि 66 या 67 मीटर उसे और देश को एथलेटिक्स का पदक दिला सकता है।'

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