मुक्केबाजों और पहलवानों से पदक की आसः विजेंद्र सिंह

टोक्यो पर मुक्केबाज का आकलन
नई दिल्ली।
ओलम्पिक खेल अभी तक हमारे लिए मिले-जुले रहे। मीराबाई चानू के भारोत्तोलन में जीते गए रजत पदक ने पूरे देश को जश्न मनाने का मौका दिया। अन्य कई खेलों में निराशा भी हाथ लगी, लेकिन फिर हमने भारतीय हाकी टीम को आस्ट्रेलिया से मिली शिकस्त से वापसी करते हुए अपनी दूसरी जीत दर्ज करते भी देखा। जिस तरह लवलीना ने मंगलवार को जर्मनी की नेदिन एपेट्ज के खिलाफ 3-2 से जीत दर्ज की, उससे भी मैं काफी प्रभावित हुआ। 
लवलीना ने अपना अंदाज कुछ बदला, ताकि स्कोरिंग पर ध्यान लगाया जा सके। क्वार्टर फाइनल में अब उनका सामना चीनी ताइपे की नीन चेन चेन से होगा। अगर उन्हें ओलम्पिक पदक जीतना है तो एक और कड़े प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ जीत दर्ज करने के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार करना होगा। अपने पहले मुकाबले में प्रभावशाली जीत दर्ज करने के बाद एमसी मैरीकॉम का सामना अब इनग्रिट वेलेंसिया से होगा। कोई कारण नहीं है कि मैरीकॉम इस मुकाबले में जीत दर्ज न कर सकें, हालांकि यह मुकाबला बेहद शानदार होगा। सिमरनजीत कौर एक और प्रतिभाशाली महिला मुक्केबाज हैं। अच्छा होगा अगर भारतीय खिलाड़ी टोक्यो में अपने आसपास की घटनाओं पर ध्यान न देकर सिर्फ अपने मुकाबलों पर ध्यान केंद्रित करें। 
तीन ओलम्पिक खेलों में हिस्सा लेने के अपने व्यक्तिगत अनुभव से मैं कह सकता हूं कि दल के अन्य सदस्य पदक जीतते हैं या नहीं, इससे मुझ पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता, क्योंकि मैं अपना सारा ध्यान इस बात पर लगाता कि मुझे क्या करने की जरूरत है। लाइटवेट वर्ग में मनीष कौशिक ने ल्यूक मैक्कोरमैक के खिलाफ अच्छी फाइट लड़ी, लेकिन स्पिलिट फैसले में उन्हें हार मिली। हालांकि, मैंने इस बात की उम्मीद कतई नहीं की थी कि मिडिलवेट वर्ग में 2018 एशियन गेम्स के कांस्य पदक विजेता विकास कृष्णन को जापान के सेवोन ओकाजावा के खिलाफ एकतरफा हार मिलेगी। मैं जानता हूं कि ओकाजावा 2019 एशियन चैम्पियनशिप के फाइनलिस्ट रहे हैं, लेकिन फिर भी मुझे विकास के जीतने की उम्मीद थी।
एरबिएक टुओहेता के खिलाफ आशीष कुमार की हार ने इस बात पर मुहर लगा दी कि अब पुरुष मुक्केबाजी में सिर्फ अमित पंघाल ही भारतीय चुनौती पेश करने के लिए बाकी रह गए हैं। उन्हें 2016 के रजत पदक विजेता कोलंबिया के युबेरजेन मार्टनेज का सामना करना है, लेकिन मुझे लगता है कि इस प्री क्वार्टर फाइनल में जीत अमित को ही मिलेगी। क्वार्टर फाइनल में उनकी भिड़ंत एशियाई मुक्केबाजी से होगी या तो उन्हें जापान के मुक्केबाज को मात देनी होगी या फिर चीन के। मुझे लगता है कि अमित को नंबर एक मुक्केबाज होने का लाभ मिलेगा, क्योंकि विरोधी खिलाडि़यों के साथ ही जज भी इस बात को जानते होंगे कि अमित इस खेल में क्या मुकाम रखते हैं।
मुक्केबाजी और कुश्ती टीमों में कुछ पदक के साथ देश लौटने की प्रतिभा और क्षमता दोनों है। मैं बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट के मुकाबलों को लेकर भी काफी उसाहित हूं। मुझे लगता है कि ये दोनों दबाव और अपेक्षाओं का सामना करने में माहिर हैं। मुझे इस बात में कोई संदेह नहीं है कि विदेश में कई हफ्तों की ट्रेनिंग से भारतीय मुक्केबाजों को काफी मदद मिलती। अपने अनुभव से मैं बता सकता हूं कि किसी भी प्रतिस्पर्धी बड़े टूर्नामेंट से पहले इस तरह की ट्रेनिंग काफी मददगार होती है।

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