हम सब स्तब्ध थे और मिल्खा बेहाल

साथी गुरबचन ने यूं बयां की वो हार
नयी दिल्ली।
यह उनके जीवन की सबसे बड़ी दौड़ थी, लेकिन पलक झपकने के अंतर से मिल्खा सिंह पदक से चूक गए। रोम ओलम्पिक 1960 की उस दौड़ ने उन्हें ऐसा नासूर दिया जिसकी टीस जिंदगी भर उन्हें कचोटती रही । 91 वर्ष के फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह का कोरोना संक्रमण से जूझने के बाद चंडीगढ में निधन हो गया। 
रोम ओलम्पिक 1960 और टोक्यो ओलम्पिक 1964 में उनके साथी रहे बाधा धावक गुरबचन सिंह रंधावा उन चुनिंदा जीवित एथलीटों में से हैं, जिन्होंने मिल्खा सिंह की 400 मीटर की वह दौड़ देखी थी। 82 वर्ष के रंधावा ने कहा, ‘मैं वहां था और पूरे भारतीय दल को उम्मीद थी कि रोम में इतिहास रचा जायेगा। हर कोई सांस थाम कर उस दौड़ का इंतजार कर रहा था। 
वह शानदार फॉर्म में थे और उनकी टाइमिंग उस समय दुनिया के दिग्गजों के बराबर थी। स्वर्ण या रजत मुश्किल था, लेकिन सभी को कांसे के तमगे का तो यकीन था। वह इसमें सक्षम था।’ मिल्खा ने वह दौड़ 45.6 सेकेंड में पूरी की और वह दक्षिण अफ्रीका के मैल्कम स्पेंस से 0.1 सेकंड से चूक गए। उन्होंने 1958 में इसी प्रतिद्वंद्वी को पछाड़कर राष्ट्रमंडल खेलों का स्वर्ण जीता था। रंधावा ने कहा, ‘ पूरा भारतीय दल स्तब्ध रह गया। निशब्द। मिल्खा सिंह तो बेहाल थे। वह 200 मीटर से 250 मीटर तक आगे चल रहे थे, लेकिन बाद में उन्होंने एक गलती की और धीमे हो गए। इससे एक शर्तिया कांस्य उनके हाथ से निकल गया।’ मिल्खा को जिंदगी भर इस चूक का मलाल रहा।
मिल्खा सिंह का फिल्मों से था गहरा नाता
वर्ष 1960 में आयोजित रोम ओलंपिक में गर्मी के उस अविस्मरणीय दिन जब मिल्खा सिंह ट्रैक पर दौड़ने के लिए तैयार थे, तब भारत में पृथ्वीराज कपूर उनकी जीत के लिए ‘पूजा पाठ' करवा रहे थे। इस घटना के 61 साल बाद इस साल मार्च में दिए गए एक साक्षात्कार में भारत के 'उड़न सिख' ने कपूर परिवार के साथ अपने संबंधों को याद किया था। सिंह एक महीने से कोविड-19 से पीड़ित थे और शुक्रवार रात एक अस्पताल में उनका निधन हो गया। ओलंपिक के फाइनल में 400 मीटर की दौड़ में एक मामूली अंतर से पदक से वंचित रह गए सिंह ने बाद के कई सालों तक कपूर परिवार के साथ दोस्ती कायम रखी। उन्होंने 91 वर्ष की आयु में कहा था, 'मेरा अच्छा याराना था राज कूपर के साथ। जब मैं दौड़ने के लिए बॉम्बे जाता था तो अकसर राज कपूर से मिलता था और वह मुझे आरके स्टूडियो ले जाते थे।' 
कोविड से पीड़ित होने से चंद दिन पहले दिए गए साक्षात्कार में सिंह ने सिनेमा से जुड़ी अपनी यादें ताजा की थीं, जिसमें उन्होंने इस पर भी चर्चा की थी कि खेल जगत और उससे जुड़ी हस्तियों के संघर्ष को दर्शाने वाली फिल्में बननी क्यों जरूरी हैं। उनका जन्म स्वतंत्रता से पहले पंजाब में हुआ था। देश के विभाजन के समय हुई हिंसा के दौरान सिंह के माता-पिता की मौत हो गई थी जिसके बाद उन्हें दिल्ली के शरणार्थी शिविर में रहने को मजबूर होना पड़ा था। मिल्खा सिंह भारत के साथ ही बड़े होते गए और उभरते हुए राष्ट्र के साथ उन्होंने अपनी पहचान बनाई। उन्होंने बताया कि 1930 के दशक में जब वह लगभग 10 साल से भी कम उम्र के थे, तब वह अन्य बच्चों के साथ मूक फिल्में देखने जाते थे। 
उनका पुश्तैनी गांव गोविंदपुरा आज पाकिस्तान के पंजाब में है। वैसे, सिंह ने 1960 के बाद कोई फिल्म नहीं देखी। फरहान अख्तर के अभिनय वाली 2013 में आई 'भाग मिल्खा भाग' सिंह के जीवन पर ही आधारित थी जो उन्होंने देखी। सिंह की यादों में 1940-50 की फिल्में हुआ करती थीं, जिनमें उनके दोस्त राज कपूर की 'आवारा' और 'श्री 420' थी। सुरैया और नूरजहां के अभिनय वाली 'अनमोल घड़ी' उनकी पसंदीदा फिल्मों में से थी। साक्षात्कार में उन्होंने 'भाग मिल्खा भाग के लिए अख्तर और निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा की भी तारीफ की थी।   
फिल्मी हस्तियों ने बताया दृढ़ इच्छा शक्ति का ‘प्रेरणास्रोत'
मुंबई। मेगास्टार अमिताभ बच्चन, सुपरस्टार शाहरुख खान, अक्षय कुमार, अभिनेता-फिल्मनिर्माता फरहान अख्तर और सिनेमा जगत की अन्य हस्तियों ने महान फर्राटा धावक मिल्खा सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया और उन्हें ‘कठिन मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति' का प्रतीक करार दिया। अमिताभ बच्चन ने शनिवार सुबह एक ट्वीट में लिखा, ‘मिल्खा सिंह के जाने से दुखी हूं। 
भारत का गौरव…एक महान खिलाड़ी…एक महान इंसान।' वहीं, फरहान अख्तर ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा कि वह उनके निधन की बात को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा जोनास ने सिंह के साथ अपनी मुलाकात की याद को साझा करते हुए ट्विटर पर लिखा कि वह उनके व्यवहार से बेहद प्रभावित हुई थीं।
खेल विश्वविद्यालय पटियाला में बनेगी मिल्खा सिंह पीठ
चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने घोषणा की कि खेल विश्वविद्यालय पटियाला में मिल्खा सिंह के नाम पर पीठ स्थापित की जाएगी। अपने जमाने के दिग्गज ट्रैक एवं फील्ड एथलीट मिल्खा सिंह का शुक्रवार की रात को कोविड-19 से जुड़ी जटिलताओं के कारण निधन हो गया था। मुख्यमंत्री ने मिल्खा सिंह के सेक्टर-8 स्थित आवास के बाहर पत्रकारों से कहा, ‘हम खेल विश्वविद्यालय पटियाला में मिल्खा सिंह पीठ स्थापित करने जा रहे हैं।’ अमरिंदर सिंह और राज्य के खेल मंत्री राणा गुरमीत सिंह मिल्खा के पुत्र जीव और अन्य परिजनों के पास शोक व्यक्त करने के लिये आये थे।

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