हरियाणा में हॉकी मध्य प्रदेश ने कटाई नाक
आयोजकों ने बिना खेलाए ही लौटाई मध्य प्रदेश की सब जूनियर बालक हॉकी टीम
खेलपथ प्रतिनिधि
जींद (हरियाणा)। बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले। जी हां, हरियाणा के जींद में हॉकी मध्य प्रदेश के खेलनहारों की करतूत से प्रदेश की सब-जूनियर बालक टीम को बिना खेले ही वापस लौटना पड़ा है। जींद में जिस तरह नाक कटी है, उसे देखते हुए सवाल यह उठता है कि क्या मध्य प्रदेश में हॉकी खिलाड़ी ही नहीं हैं, यदि हैं तो सचिव लोक बहादुर ने राष्ट्रीय सब-जूनियर बालक हॉकी प्रतियोगिता में उत्तर प्रदेश के खिलाड़ियों को उतारने का गुनाह क्यों और किसकी शह पर किया था?
जींद से बिना खेलाए ही वापस लौटाई गई मध्य प्रदेश की सब-जूनियर बालक हॉकी टीम से बेशर्म हॉकी मध्य प्रदेश को बेशक कोई फर्क न पड़ा हो इससे प्रदेश को जहां शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है वहीं खिलाड़ियों के एक साल की मेहनत पर भी पानी फिर गया है। मध्य प्रदेश के हॉकी जानकारों का कहना है कि जींद में जो हुआ इससे पहले ऐसा हॉकी के साथ कभी नहीं हुआ था।
17 मार्च से जींद में शुरू हुई राष्ट्रीय सब-जूनियर बालक हॉकी प्रतियोगिता के पहले ही दिन मध्य प्रदेश टीम को उत्तर प्रदेश से दो-दो हाथ करने थे। मुकाबला शुरू होता उससे पहले ही उत्तर प्रदेश टीम प्रबंधन ने आयोजकों से मध्य प्रदेश द्वारा यूपी के खिलाड़ी खेलाने की शिकायत दर्ज करा दी। शिकायत चूंकि वाजिब थी सो आयोजकों ने मध्य प्रदेश टीम को प्रतियोगिता से डिसक्वालीफाई करने का फरमान सुनाकर हॉकी मध्य प्रदेश को सकते में डाल दिया। इससे खिलाड़ियों का जहां नुकसान हुआ वहीं समूचे देश में मध्य प्रदेश की नाक कटी सो अलग।
हॉकी मध्य प्रदेश ने पिछले दिनों जो टीम चुनी थी उसमें गोलकीपर पवन मेवाड़ी शाजापुर, निखिल सूर्यवंशी उज्जैन, प्रशांत राजपूत इटारसी, जितेंद्र सोंधिया उमरिया, समर अली जबलपुर, योगेश कुशराम बालाघाट, शमीम अंसारी उमरिया, सौरभ कहार जबलपुर, मनीष गुप्ता, विवेक कुमार जबलपुर, विनय सैनिक ग्वालियर, सौरभ इंदौर, सौरभ सहारे बालाघाट, नवीन सिंह सतना, प्रशांत तोमर इटारसी, अदनान खान सिवनी, आरम अंसारी इंदौर तथा कार्तिकेय दमोह शामिल थे। हॉकी मध्य प्रदेश के सचिव लोक बहादुर ने टीम की घोषणा करने के साथ ही टीम का प्रशिक्षक राकेश गढ़वाल एवं मैनेजर प्रवीण यादव जबलपुर को बनाया था। टीम के प्रशिक्षक को लेकर भी सवाल उठे थे कि राकेश गढ़वाल का हॉकी से दूर-दूर तक वास्ता नहीं है।
खैर, जींद में जो हुआ उससे मध्य प्रदेश ओलम्पिक संघ के सचिव दिग्विजय सिंह, हॉकी मध्य प्रदेश के अध्यक्ष नितिन धिमोले, सचिव लोक बहादुर तथा कोषाध्यक्ष ललित नायक अपने आपको पाक-साफ नहीं बता सकते। यह खेलनहार यह भी नहीं कह सकते कि उत्तर प्रदेश टीम प्रबंधन ने मिथ्या आरोप लगाए हैं। खेल सद्भावना का सूचक होते हैं। खेलों में जीत-हार एक सिक्के के दो पहलू हैं। मध्य प्रदेश के बच्चों का बिना खेले जींद से वापस लौटना बहुत ही दुखद बात है। जिस राज्य ने पुश्तैनी खेल को लेकर बड़े-बड़े सपने देखे हों उस राज्य के खेलनहारों की ऐसी बेजा हरकतें चूल्लू भर पानी में डूब मरने जैसी ही हैं।
देखा जाए तो पिछले डेढ़ दशक में मध्य प्रदेश सरकार ने हॉकी पर अकूत पैसा खर्च किया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हर खास मौके पर इस बात का ऐलान किया कि वह पुश्तैनी खेल हॉकी का गौरवशाली दौर लाकर ही मानेंगे। जींद में मध्य प्रदेश की सब जूनियर बालक हॉकी टीम के साथ जो हुआ उससे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया को जरूर कष्ट होगा क्योंकि उन्होंने जमीनी स्तर से प्रतिभाओं की तलाश करने के लिए समूचे मध्य प्रदेश में 35 हॉकी फीडर सेण्टर संचालित किए हैं जिन पर प्रतिमाह लाखों रुपया खर्च हो रहा है।
मैं इस बात को कतई मानने के लिए तैयार नहीं कि मध्य प्रदेश में हॉकी की प्रतिभाएं नहीं हैं। दरअसल, हॉकी मध्य प्रदेश इस समय जिन हाथों में है, उनमें ही हॉकी खेल को समझने का सलीका नहीं है। बेआबरू होकर जींद से लौटी टीम को तो सजा मिल गई, अब इस बेजा हरकत के लिए हॉकी मध्य प्रदेश के पदाधिकारियों को भी सजा मिलनी चाहिए। देखना यह है कि हॉकी इंडिया इस मामले में हॉकी मध्य प्रदेश के साथ क्या सलूक करती है?