फर्राटा धावक तरनजीत कौर ने जीता राष्ट्र का दिल

100 और 200 मीटर दौड़ में बनी सर्वश्रेष्ठ एथलीट

मां कुलविंदर कौर तय करती हैं बेटी के लक्ष्य

श्रीप्रकाश शुक्ला

नई दिल्ली। हाल ही भोपाल के तात्या टोपे नगर स्टेडियम में हुई 18वीं फेडेरेशन कप जूनियर अंडर-20 राष्ट्रीय एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में दिल्ली की दमदार बिटिया तरनजीत कौर ने 100 और 200 मीटर की दौड़ों में स्वर्णिम सफलता हासिल कर एक नई पटकथा लिखी। तरनजीत ने 100 मीटर की दौड़ 11.70 सेकेण्ड तो 200 मीटर की दौड़ 24.11 सेकेण्ड समय के साथ पूरी की। इस नायाब प्रदर्शन से तरनजीत ने बैंकाक में होने वाली विश्व जूनियर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप का टिकट भी कटा लिया है।

राष्ट्र को तरनजीत के रूप में एक नई उड़नपरी मिलना सिर्फ दिल्ली के लिए ही नहीं समूचे राष्ट्र के लिए गौरव की बात है। तरनजीत को राष्ट्रीय एथलीट बनाने में दो महिलाओं का अहम योगदान है। एक उनकी मां कुलविंदर कौर दूसरे प्रशिक्षक सुनीता राय। तरनजीत के परिवार में वैसे तो खेल का माहौल बिल्कुल नहीं है लेकिन अपने समय में राज्यस्तर की शानदार एथलीट रहीं मां कुलविंदर कौर ने अपने अधूरे सपने को पूरा करने की खातिर बेटी को खेलों की तरफ प्रोत्साहित किया। तरनजीत ने अपने खेल जीवन की शुरुआत कराटे खेल से की लेकिन मां कुलविंदर की इच्छा बेटी को ट्रैक पर कुलांचे भरते देखना था सो उन्होंने उसे दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में प्रशिक्षक सुनीता राय से मिलवाया।

कहते हैं कि हीरे की परख एक जौहरी को ही होती है। सुनीता राय तरनजीत की लम्बाई और कद-काठी से इतना प्रभावित हुईं कि उन्होंने इस बेटी को राष्ट्रीय चैम्पियन बनाने का संकल्प ले लिया। प्रशिक्षक सुनीता राय ने दूरभाष पर बताया कि तरनजीत एक फाइटर एथलीट है। वह न केवल मेहनती है बल्कि किसी भी लक्ष्य को हासिल करने को जी-जान से जुट जाती है। दिल्ली को कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय एथलीट दे चुकीं प्रशिक्षक सुनीता राय बताती हैं कि तरनजीत ने भोपाल में उम्मीद से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया है। वह भविष्य में होने वाली सीनियर एथलेटिक्स स्पर्धाओं में अपने दमखम का परिचय देगी।

तरनजीत की जहां तक बात है वह जूनियर स्तर पर दिल्ली की रिकार्डतोड़ एथलीट है। वह 100 मीटर दौड़ में लगातार तीन साल से अपना ही रिकार्ड तोड़ रही है। तरनजीत को चुनौती देने वाली दिल्ली में कोई एथलीट नहीं है, ऐसे में वह लड़कों के साथ वर्क आउट करती है। तरनजीत बताती हैं कि उन्हें खेलों में मां और बड़े भाई का हर समय प्रोत्साहन मिलता है। इतना ही नहीं मां ही मेरे लक्ष्य तय करती हैं। हर माता-पिता की तरह होनहार तरनजीत के पिता रविन्दर सिंह और मां कुलविंदर कौर अपनी बेटी के हाथ पीले करने को सुयोग्य वर की तलाश में हैं। भोपाल में हुई 18वीं फेडेरेशन कप जूनियर अंडर-20 राष्ट्रीय एथलेटिक्स चैम्पियनशिप से पूर्व मां कुलविन्दर ने तरनजीत से साफ-साफ कह दिया था कि राष्ट्रीय स्पर्धा में मेडल जीतो वरना शादी को तैयार हो जाओ। तरनजीत एथलेटिक्स में वह मुकाम हासिल करना चाहती है जोकि आज तक कोई भारतीय महिला एथलीट नहीं कर सकी।

भोपाल में सम्पन्न जूनियर एथलेटिक्स में स्पर्धा में दिल्ली की छह लड़कियों और 10 लड़कों ने सहभागिता की थी जिसमें उसे दो स्वर्ण, दो रजत तथा तीन कांस्य पदक हासिल हुए। तरनजीत का पसंदीदा इवेंट 100 मीटर दौड़ है। भोपाल में वह पहली बार 200 मीटर स्पर्धा में न केवल उतरी बल्कि स्वर्णिम सफलता हासिल कर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। सीनियर स्तर पर देश की सर्वश्रेष्ठ महिला फर्राटा धावकों की बात करें तो उड़ीसा की दुती चंद, तमिलनाडु की अर्चना सुसींद्रन और पश्चिम बंगाल की हिमश्री राय हैं। नौ नवम्बर, 2001 में दिल्ली के एक साधारण परिवार में जन्मी तरनजीत की खासियत उसकी पांच फिट छह इंच की ऊंचाई है। 100 मीटर दौड़ की राष्ट्रीय चैम्पियन और इंटरनेशनल एथलीट दुती चंद की ऊंचाई पांच फिट तीन इंच है।

हर खिलाड़ी की तरह तरनजीत का सपना भी देश के लिए ट्रैक पर दौड़ना है। भोपाल से स्वर्णिम सफलता हासिल कर लौटी तरनजीत फिलवक्त प्रशिक्षक सुनीता राय की देखरेख में आगामी प्रतियोगिताओं की तैयारी करने में जुटी हुई है। तरनजीत प्रशिक्षक सुनीता राय की मुक्तकंठ से प्रशंसा करते हुए कहती हैं कि मेरी हर सफलता का श्रेय मैडम को जाता है। जब कभी मैं मैदान नहीं पहुंचती मैडम फोन कर बुलाती हैं। मेरी हर समस्या पर न केवल नजर रखती हैं बल्कि उसे दूर भी करती हैं।

मां कुलविंदर कौर ने बिटिया तरनजीत के लिए एक और लक्ष्य तय कर दिया है। लक्ष्य है विश्व जूनियर एथलेटिक्स में 100 मीटर दौड़ का तमगा जीतना। तरनजीत कहती हैं कि मैं उस दिन का इंतजार कर रही हूं जब मुझे दुती दीदी के खिलाफ दौड़ने का मौका मिलेगा। टोक्यो ओलम्पिक में यदि किसी भारतीय बेटी को फर्राटा भरना है तो उसे 11.20 सेकेण्ड समय के साथ 100 मीटर दौड़ पूरी करनी होगी। तरनजीत की प्रतिभा और दमखम को देखते हुए हम उम्मीद कर सकते हैं कि दिल्ली की दबंग बिटिया तरनजीत एक न एक दिन देश के लिए जरूर दौड़ेगी।     

      

रिलेटेड पोस्ट्स