विज्ञान ने किए खेलों में क्रांतिकारी बदलाव

इन तकनीकों की मदद से मुकाबले हुए और रोमांचक
खेलपथ प्रतिनिधि
नई दिल्ली।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी की मदद से दुनिया भर में चीजें तेजी से बदल रही हैं। विज्ञान की मदद से लोगों के जीवन में जहां बड़े स्तर पर बदलाव देखने को मिल रहे हैं वहीं चीजें भी आसान होती जा रही हैं। इस बदलाव का हिस्सा खेल जगत भी है। खेल की दुनिया में विज्ञान ने समय-समय पर बदलाव किए हैं। खेलों में आधुनिकता और तकनीक के इस्तेमाल ने इसे पहले से और बेहतर, रोमांचक और सटीक बनाने का काम किया है। टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से दर्शकों के देखने का अनुभव तो बदला ही है, खिलाड़ियों और अम्पायरों तथा रेफरी के लिए भी चीजें सुविधाजनक हुई हैं।
डीआरएस/डिसीजन रिव्यू सिस्टम (DRS):
क्रिकेट के खेल में मुख्य तौर पर अंतरराष्ट्रीय मैचों में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। इसके आने के बाद अंपायरों और विशेष तौर पर खिलाड़ियों को अधिक फायदा मिला है। इस तकनीक का इस्तेमाल अंपायर द्वारा किसी खिलाड़ी के आउट या नॉटआउट दिए जाने के फैसले के खिलाफ होता है। इसके माध्यम से टीमें फिल्ड अंपायर्स के फैसले को चुनौती देते हुए डीआरएस की मांग करती है। इसमें पहले तो गेंद की प्रक्षेपवक्र (Trajectory) देखी जाती है। 
हॉक-आई (Hawk-Eye): 
इस तकनीक का इस्तेमाल मुख्य तौर पर टेनिस और बैडमिंटन के खेल में होता है। इसमें एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर सिस्टम विकसित किया गया है जो गेंद के प्रक्षेपवक्र (Trajectory) को ट्रैक करता है उसे 3-डी इमेज के रूप में दिखाता है। इस सिस्टम में उच्च-प्रदर्शन कैमरों का उपयोग होता है, जो विभिन्न कोणों से गेंद को ट्रैक करते हैं। इनका इस्तेमाल अक्सर खिलाड़ी तब करते हैं जब कॉर्क के कोर्ट लाइन के अंदर या बाहर होने की आशंका हो। 
टाइम ट्रैकिंग सिस्टम (Time Tracking System)
इस तकनीक का इस्तेमाल एथलेटिक्स खास कर दौड़ में विजेता के चुनाव करने के लिए होता है। इसमें लगा सिस्टम ट्रैक पर प्रति सेकेंड के हिसाब से 3000 तस्वीरें लेता है जिसकी मदद से बाद में देखा जाता है कि किस खिलाड़ी ने पहले फिनिशिंग लाइन को पार किया। 
गोल लाइन टेक्नोलॉजी: (Goal Line Technology)
फुटबॉल में इस तकनीक का इस्तेमाल पहली बार वर्ल्ड कप में हुआ था, जिसकी मदद से होंडुरास के खिलाफ मैच में फ्रांस को गोल दिया गया था। इसका इस्तेमाल यह तय करने के लिए होता है कि गेंद पूरी तरह से गोल लाइन के पार गई है या नहीं। 
वीडियो टेक्नोलॉजी (VAR):
इसका सिस्टम का इस्तेमाल फुटबॉल के मैच में रेफरी द्वारा किया जाता है। इसे वीडियो असिस्टेंट रेफरी सिस्टम भी कहा जाता है। इसका इस्तेमाल सिर्फ गोल, रेड कार्ड, पेनल्टी जैसे मुख्य फैसलों के लिए होता है। 

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