गणतंत्र दिवस पर देशभक्ति के लिए दौड़ेगा भारत

वेटरंस इंडिया स्पोर्ट्स विंग के बैनर तले दौड़ेंगे बच्चे-बूढ़े और जवान

श्रीप्रकाश शुक्ला

नई दिल्ली। देश के लिए प्यार और देश के लिए हर तरह की कठिनाइयों का हंसते हुए सामना करना ही देशभक्ति है। इस साल का गणतंत्र दिवस बिल्कुल खास होगा। इस दिन को खास बनाने का प्रयास कोई और नहीं बल्कि वेटरंस इंडिया स्पोर्ट्स विंग द्वारा किया जा रहा है। वेटरंस इंडिया स्पोर्ट्स विंग से जुड़ा हर शख्स जिस उत्सुकता और उत्साह से इस दौड़ को सफल बनाने का प्रयास कर रहा है, उससे उम्मीद है कि इस बार गणतंत्र दिवस पर 50 लाख से अधिक भारतीय देशभक्ति के लिए दौड़ कर एक नया इतिहास रचेंगे।

वेटरंस इंडिया के संस्थापक-अध्यक्ष बिनय कुमार मिश्रा देशभक्ति की दौड़ को सफल बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। श्री मिश्रा ने कहा कि देशभक्ति हमें अपने देश से प्यार करने और सम्पूर्ण मानवता को गले लगाना सिखाती है। देशभक्ति की भावना से तात्पर्य देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देकर खुशी की तलाश करना है और यह हमें अपने देश के लिए हमारे सार्थक कदमों को आगे बढ़ाने में सक्षम बनाता है। श्री मिश्रा कहते हैं कि एक वह दौर था जब देश का हर बच्चा, बूढ़ा और जवान देशप्रेम की अगन में जल रहा था, आज देशप्रेम में गिरावट आई है, यह गिरावट समूचे भारतीय जनमानस के लिए चिन्ता की बात है। देशवासियों के जोश और जज्बे को जीवंत करने के लिए ही वेटरंस इंडिया स्पोर्ट्स विंग द्वारा गणतंत्र दिवस पर देशभक्ति पूर्ण दौड़ का आयोजन किया जा रहा है। वेटरंस इंडिया के प्रयासों से युवाओं की दिशा और दशा जरूर बदलेगी, इसमें संदेह नहीं है।

वेटरंस इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव डा. अशोक लेंका का कहना है कि आने वाली पीढ़ी में मातृभूमि के प्रति लगाव पैदा करना हर भारतीय का कर्तव्य होना चाहिए। जिस देश के नागरिकों में अपने देश के प्रति प्रेम व सम्मान की भावना खत्म हो जाती है वह देश अपनी आजादी को लम्बे समय तक सुरक्षित नहीं रख पाता। डा. लेंका कहते हैं कि बात केवल युवाओं की नहीं है हम सभी की है। आज हम सब देश की बात करते हैं लेकिन यह कभी नहीं सोचते कि देश है क्या? केवल कागज पर बना हुआ एक मानचित्र अथवा धरती का एक अंश। जी नहीं, देश केवल भूगोल नहीं है वह केवल सीमा रेखा के भीतर सिमटा जमीन का टुकड़ा नहीं है। वह तो भूमि के उस टुकड़े पर रहने वालों की कर्मभूमि है, जन्मभूमि है, उनकी पालनहार है, माँ है, उनकी आत्मा है। देश बनता है वहाँ रहने वाले लोगों से, आप से, हम से  बल्कि हम सभी से।

सच कहें तो 'हम सभी महात्मा गांधी नहीं बन सकते लेकिन हम सभी देशभक्त तो बन ही सकते हैं। आज देश को जितना खतरा दूसरे देशों से है उससे कहीं अधिक खतरा देश के भीतर के असामाजिक तत्वों से है जो देश को खोखला करने में लगे हैं। यह दुख की बात है कि स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस ध्वजारोहण, एक दिन की छुट्टी और टेलीविजन तथा एफएम पर दिन भर चलने वाले देशभक्तिपूर्ण गीत बन गये हैं। थोड़ी और देशभक्ति दिखानी हो तो फेसबुक और दूसरे सोशल मीडिया में देशभक्ति वाली दो चार पोस्ट डाल लो या अपनी प्रोफाइल पिक में भारत का झंडा लगा लो। दरअसल, सोशल मीडिया पर आज हर कोई देशभक्ति में डूबा हुआ दिखाई देता है, यह सतही मानसिकता का सूचक है। इस सोच को बदलना होगा। इंकबाल के तराना-ए-हिन्द को जीवंत करना होगा। अपने हिन्दुस्तान को सारे जहां से अच्छा मिलकर हमें बनाना ही होगा, इसके गुलिस्तान को फूलों से सजाना ही होगा। देश को हमें स्वयं से पहले रखना ही होगा। वेटरंस इंडिया स्पोर्ट्स विंग से जुड़े हर पदाधिकारी का दायित्व बनता है कि वह देशभक्ति पूर्ण दौड़ को सफल बनाने के लिए हर स्कूल-कालेज और खेल संगठन से सम्पर्क करें ताकि हम 50 लाख के आंकड़े को पार कर सकें।

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