गुल्ली-डण्डे और कंचे की भी होंगी राष्ट्रीय चैम्पियनशिप

नियमों को कराया जा रहा रजिस्टर्ड, बनाए जाएंगे खेल संघ
लट्टू और पिट्ठू जैसे खेलों को नया जीवन देने का उठाया बीड़ा 
खेलपथ प्रतिनिधि
नई दिल्ली।
गुल्ली डंडा, कंचे, पिट्ठू और लट्टू अब गली मोहल्ले के खेल नहीं रहेंगे। निकट भविष्य में कबड्डी और खो-खो की तरह इन खेलों के राज्य और राष्ट्रीय स्तर के मुकाबले कराए जाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए न सिर्फ इन खेलों के नियमों को रजिस्टर्ड कराकर आधिकारिक रूप दिया जा रहा है बल्कि जल्द ही इनके राष्ट्रीय खेल संघ स्थापित किए जाएंगे, जिनकी जिम्मेदारी राज्य और राष्ट्रीय चैम्पियनशिप कराने की होगी।
खेल मंत्रालय ने खो-खो और मलखम्ब जैसे देश के पारम्परिक खेलों को बढ़ावा देने की घोषणा की है, लेकिन खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और भारतीय ओलम्पिक संघ के उपाध्यक्ष सुधांशु मित्तल ने गुमनामी में खोते जा रहे गुल्ली डंडा, कंचे, लट्टू और पिट्ठू जैसे खेलों को नया जीवन देने का बीड़ा उठाया है। मित्तल साफ करते हैं कि इसके लिए उन्होंने काम शुरू कर दिया है। वह पहले इन सभी खेलों के नियमों को तैयार करवा रहे हैं। एक बार नियम तैयार हो जाएं उसके बाद इन खेलों के खेल संघ स्थापित किए जाएंगे। फिर राज्य और राष्ट्रीय स्तर की चैम्पियनशिप कराने का रास्ता साफ हो जाएगा।
एक बार इन खेलों की चैम्पियनशिप कराई गई तो इनकी लोकप्रियता फिर से बहाल होने लगेगी। बचपन में सभी ने इन खेलों को खेला है और देखा है, लेकिन वर्तमान में शहरों के बच्चों से खेल दूर हो गए हैं। यही कारण है कि उन्होंने इन पारम्परिक खेलों पर इस दिशा में काम करने की शुरूआत की है।

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