शारीरिक शिक्षकों पर ध्यान दें राज्य सरकारें

...तो स्वस्थ भारत के सपने को लग जाएगा पलीता
खेलपथ प्रतिनिधि
ग्वालियर।
हमारी हुकूमतें एक तरफ आम जनमानस को स्वस्थ भारत का सपना दिखा रही हैं तो दूसरी तरफ बीते सात महीने से देश भर के शारीरिक शिक्षक बेजार घूम रहे हैं। देखा जाए तो देश की शिक्षा प्रणाली पर निजी शैक्षिक संस्थानों का कब्जा है। शिक्षा हो या खेल निजी संस्थानों की उपलब्धियों को सातवें आसमान तक पहुंचाने वाले शिक्षक इन दिनों गुरबत के दौर से गुजर रहे हैं। शारीरिक शिक्षकों की पीड़ा असहनीय होती जा रही है। निजी शैक्षिक संस्थानों ने शारीरिक शिक्षकों को सेवा से पृथक कर दिया लिहाजा भावी पीढ़ी खेलकूद की गतिविधियों से दूर है, यह स्वस्थ भारत के लिए अच्छी खबर नहीं है। खेलपथ की सरकार और निजी शैक्षिक संस्थानों के संचालकों से विनम्र गुजारिश है कि शारीरिक शिक्षकों को तत्काल सेवा में लेकर उन्हें आर्थिक मदद की जाए।
वैसे तो कोरोना महामारी को लेकर सभी वर्ग के लोग परेशान हैं। इस परेशानी को देखते हुए सरकार ने उद्योग धंधों के संचालन के लिए गाइड लाइन जारी कर दी है लेकिन निजी स्कूल-कालेजों में छात्र-छात्राओं को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने वाले लाखों शारीरिक शिक्षकों की तरफ किसी का ध्यान नहीं जाने से उनके सामने भरण-पोषण का संकट खड़ा हो गया है। इन शारीरिक शिक्षकों के लिए अभी तक कोई आदेश जारी नहीं किए गए हैं। सात माह से घर बैठे शारीरिक शिक्षकों के सामने हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। विद्यालय और खेल गतिविधियां बंद होने से शारीरिक शिक्षक प्रतिभाओं को प्रशिक्षण भी नहीं दे पा रहे हैं। 
देखा जाए तो कोरोना के बढ़ते संक्रमण को लेकर मार्च माह में स्कूल व कॉलेज बंद कर दिए गए जिससे शारीरिक शिक्षक घर बैठ गए। सात माह बीत जाने के बाद भी स्कूलों के खुलने के कोई आसार नहीं हैं। खेल गतिविधियां बंद है। ऐसे में प्रशिक्षण देकर परिवार चलाने वाले शारीरिक शिक्षक भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं। कोरोना महामारी का सबसे ज्यादा असर शारीरिक शिक्षकों पर पड़ा है। खेलपथ ने उत्तर भारत के सभी हिन्दीभाषी राज्यों में शारीरिक शिक्षकों से इस संदर्भ में बात की तो उनका कहना है कि शासन-प्रशासन द्वारा कोई मदद नहीं दी गई है। अन्य क्षेत्र में तो गाइड लाइन जारी की गई लेकिन शारीरिक शिक्षकों के जीविकोपार्जन के लिए कुछ भी नहीं हुआ। जिससे परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है। वे मानसिक तनाव के दौर से गुजर रहे हैं। इन शारीरिक शिक्षकों का कहना है कि व्यापारियों की तरह सरकारों को निजी स्कूल-कालेज के शारीरिक शिक्षकों को भी तत्काल राहत देनी चाहिए। 

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