टेनिस में मध्य प्रदेश की महक

श्रीप्रकाश शुक्ला
आज जहां भारत जैसे देश में बेटियों को कोख के अंदर ही मार दिया जाता है वहीं ऐसे अभिभावकों की भी कमी नहीं है जोकि बेटियों की तरक्की के लिए अपना घर-बार तक बेच देते हैं। पुलेला गोपीचंद जैसे लोग देश की प्रतिभाओं को अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर शोहरत दिलाने के लिए जहां अपना घर गिरवी रख देते हैं वहीं विनय जैन जैसे पिता बेटी की कामयाबी के लिए न केवल नौकरी छोड़ते हैं बल्कि अपना आशियाना भी गिरवी रखने में संकोच नहीं करते।
भारत में महिला टेनिस की जब भी बात होती है सानिया मिर्जा का ही नाम प्रमुखता से लिया जाता है। बहुत कम लोगों को पता है कि मध्य प्रदेश की एक बेटी महक जैन इस समय न केवल राष्ट्रीय चैम्पियन है बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उसकी प्रतिभा का लोहा माना जा रहा है। टेनिस जिसे अमीरों का खेल कहकर हमारी हुकूमतें तवज्जो नहीं देतीं लेकिन महक और जील देसाई जैसी प्रतिभाशाली खिलाड़ी बेटियां उन घरों से ताल्लुक रखती हैं, जिनके माता-पिता तंगहाली के चलते अपना घर-बार तक बेच देते हैं। 
महक जैन टेनिस जगत में विश्व स्तर पर उम्मीद जगाने वाली ऐसी युवा भारतीय खिलाड़ी है जिस पर यदि समय रहते ध्यान दिया जाए तो सानिया मिर्जा की कमी को सहजता से पूरा किया जा सकता है। महक जैन का दुनिया की शीर्ष 50 खिलाड़ियों में शुमार है। प्रतिष्ठित फ्रेंच ओपन ग्रैंड स्लैम खेलने की पात्रता हासिल कर चुकी महक जैन पैसे के अभाव में जहां ग्रैंड स्लैम नहीं खेल सकी वहीं गुजरात सरकार की मदद से अहमदाबाद की जील देसाई ने अपना सपना साकार कर चुकी है। महक अंडर-14 विम्बल्डन जीतने वाली भारत की पहली महिला टेनिस खिलाड़ी है। वह दिल्ली में हुए ग्रेड टू टूर्नामेंट में जील को हरा चुकी है।
महक जैन की उपलब्धियों पर नजर डालें तो यह उदीयमान खिलाड़ी अंडर-14 रोड टू विम्बल्डन विजेता बनने वाली भारत की पहली बेटी है। महक भारतीय जूनियर फेड कप टीम की कैप्टन रहने के साथ ही जापान ओपन का खिताब भी अपने नाम कर चुकी है। महक ने ऑस्ट्रेलियन ओपन ग्रैंड स्लैम में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया है। मध्य प्रदेश टेनिस एसोसिएशन की मदद से विम्बल्डन खेलने वाली महक के लिए आगे का सफर कैसे आसान हो इसके लिए प्रदेश सरकार सहित औद्योगिक घरानों को मदद के लिए आगे आना चाहिए। 
मुंबई में पली-बढ़ी महक को टेनिस की कोचिंग दिलाने के लिए उनके माता-पिता  इंदौर आ बसे। मूलत: भोपाल के रहने वाले पिता केमिकल इंजीनियर विनय जैन ने बेटी को टेनिस खेलाने के लिए जहां नौकरी छोड़ दी वहीं मुंबई की प्रॉपर्टी गिरवी रखकर ही महक को खेला रहे हैं। वे कहते हैं, विश्व रैंकिंग लेने के लिए महक को साल में कम से कम 7-8 बड़े टूर्नामेंट खेलना जरूरी है, मगर हर टूर्नामेंट का खर्च उठाना उनके लिए सम्भव नहीं है। देखा जाए तो एक अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने का खर्च तीन से साढ़े तीन लाख रुपए (जाने-आने, खाना समेत) आता है, जिसे एक मध्यमवर्गीय परिवार सहजता से वहन नहीं कर सकता। सरकारी मदद की बात करें तो जब महक अंडर-14 विम्बल्डन खिताब जीतकर आई थी, तब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर बधाई दी थी। दैनिक नई दुनिया के प्रयासों से खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा तब तीन लाख की मदद दी गई थी। मध्य प्रदेश टेनिस एसोसिएशन, महक जैन के माता-पिता और प्रशिक्षक साजिद लोधी लगातार मध्य प्रदेश सरकार से मदद के लिए कागजी कार्रवाई कर रहे हैं लेकिन अभी तक कोई सार्थक परिणाम देखने को नहीं मिले हैं। मध्य प्रदेश का खेल बजट जहां लगभग दो अरब रुपये है वहीं इससे कम बजट वाली गुजरात सरकार जील देसाई का खेल खर्च वहन करने के साथ उसके ऑस्ट्रेलियन कोच का भी खर्चा उठा रही है। जील भी प्रतिभाशाली खिलाड़ी है। गुजरात सरकार की मदद से वह फ्रेंच ओपन, विम्बल्डन, कॉमनवेल्थ यूथ गेम्स और यूएस ओपन खेल चुकी है। अहमदाबाद के मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मी जील देसाई के पिता मेहुल टॉरेंट पावर लिमिटेड कम्पनी में सामान्य से कर्मचारी हैं। वे कहते हैं-मेरे वेतन से सिर्फ मेरा परिवार ही चल पाता है। मेरे लिए जील को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मैच खिलवाना सम्भव नहीं है। मेरे लिए खुशी की बात है कि जील के  प्रदर्शन को देखकर गुजरात स्पोर्ट्स अथारिटी और गुजरात सरकार लगातार मदद कर रहे हैं।
महक की उम्र 18 साल है। इस उम्र में भारतीय खिलाड़ी स्वयं से अधिक उम्र के खिलाड़ियों से सीखने के दौर से गुजरते हैं। लेकिन हाल ही इंदौर की महक जैन ने छोटी उम्र में खुद से बड़ी खिलाड़ियों को हराते हुए दिल्ली में राष्ट्रीय सीनियर महिला टेनिस चैम्पियन होने का गौरव हासिल किया। यह उपलब्धि इसलिए भी अहम हो जाती है क्योंकि महक ने दो अलग-अलग टूर्नामेंट में एक साथ खेलते हुए सफलता हासिल की। मध्यप्रदेश के इतिहास में महक से पहले कोई भी टेनिस खिलाड़ी राष्ट्रीय सीनियर चैम्पियन नहीं बना। महक ने पिछले साल 16 साल की उम्र में यह खिताब जीतते हुए कीर्तिमान रचा था और अब खिताब बरकरार भी रखा। डेली कॉलेज में पढ़ने वाली महक ने फाइनल में गोवा की नताशा पल्हा को 6-1, 6-2 से पराजित किया। जीत से महक को तीन लाख की पुरस्कार राशि मिली। 
कोच साजिद लोदी ने बताया कि महक दिल्ली में दो टूर्नामेंट एक साथ खेल रही थी। राष्ट्रीय स्पर्धा आरके खन्ना स्टेडियम में हो रही थी जबकि मॉर्डन स्कूल, बाराखंभा में आईपीएससी टूर्नामेंट खेला गया। इस टूर्नामेंट में देश के नामी स्कूल खेलते हैं। दोनों टूर्नामेंट का स्थान अलग होने से महक को एक जगह मैच खेलकर दूसरी जगह दौड़ना होता था। इससे होने वाली थकान का असर शरीर पर होता ही है। मगर महक स्कूली टूर्नामेंट में भी शहर की पान्या भल्ला के साथ फाइनल में पहुंची। महक का कहना है कि वह अपने पिता को खेलते देख टेनिस में आई। उसने नौ साल की उम्र में रैकेट थाम लिया था। मध्य प्रदेश की इस बेटी का कहना है कि वह कोर्ट में जीत के लिए नहीं बल्कि बेहतर खेल प्रदर्शन को महत्व देती है। वह हर पल खेल का लुत्फ उठाती है। महक का कहना है कि प्रदेश में अच्छे माहौल की जरूरत है।
टेनिस के लिए समर्पित महक जैन के प्रशिक्षक साजिद लोदी कहते हैं कि सिर्फ महक ही नहीं, देश के कई खिलाड़ी फंडिंग के अभाव में पिछड़ जाते हैं। मध्यप्रदेश सरकार सिर्फ इतना ही कर दे कि देश में शीर्ष स्थान पर आने वाले पहले तीन खिलाड़ियों के टूर्नामेंट, यात्रा भत्ता और खाने का खर्च वहन कर ले तो देश को कई बेहतरीन खिलाड़ी मिल सकते हैं।

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