उत्तर प्रदेश में खेलों की लीला न्यारी

फर्जी दस्तावेजों से नौकरी करने वाले विजय गुप्ता बर्खास्त

पूर्व में रह चुके हैं स्पोर्ट्स कालेज लखनऊ में कार्यवाहक प्राचार्य

खेलपथ प्रतिनिधि

लखनऊ। कहते हैं कि पाप का घड़ा भरता जरूर है भले ही उसमें समय लगे। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित गुरु गोविंद सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज के पूर्व कार्यवाहक प्राचार्य विजय गुप्ता को फर्जी दस्तावेजों से नौकरी करने के कारण बर्खास्त कर दिया गया है। खेल एवं युवा कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) उपेन्द्र तिवारी ने बताया कि विजय गुप्ता ने जिस अनुभव प्रमाण पत्र के आधार पर स्पोर्ट्स कॉलेज में शिक्षक पद पर नौकरी हासिल की थी, वह फर्जी पाया गया है।

बता दें कि फर्जी प्रमाण-पत्र लगाकर नौकरी हासिल करने के आरोप में बर्खास्त किए गए विजय गुप्ता छह महीने पहले भ्रष्टाचार के आरोप में निलम्बित किए जा चुके हैं। बीते दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर सभी शिक्षकों की अंक तालिका और प्रमाण-पत्रों की जांच करवाई गई, जिसमें विजय गुप्ता ने जिस प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने का प्रमाण-पत्र लगाया था, उसके प्राचार्य ने इसे फर्जी बताया है। यही नहीं स्कूल को हाईस्कूल की मान्यता 15 सितम्बर, 2000 को व इंटर की मान्यता 27 अगस्त, 2001 में मिली थी। मगर विजय गुप्ता ने अपने प्रमाण-पत्र में जुलाई 2000 से ही शिक्षक के तौर पर पढ़ाने का प्रमाण पत्र लगाया था, जोकि फर्जी है।

उल्लेखनीय है कि गुरु गोविंद सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज में विजय गुप्ता की शिक्षक पद पर भर्ती 23 दिसम्बर, 2004 को निकाले गए विज्ञापन के आधार पर हुई थी। इतिहास विषय के शिक्षक के पद पर भर्ती हुए गुप्ता ने यहां जो अंक तालिका व प्रमाण-पत्र लगाए थे उसके अनुसार उन्होंने वर्ष 2000 में एमए प्रथम वर्ष व लखनऊ से 2001 में बीपीएड किया और वर्ष 2002 में एमए फाइनल ईयर की पढ़ाई पूरी की।

वर्ष 2003 में कानपुर से बीएड कोर्स में पढ़ाई शुरू की, जबकि उन्होंने राजाजीपुरम में स्थित प्री डे एण्ड केयर में शिक्षक के रूप में वर्ष 2000 से वर्ष 2005 तक पढ़ाने का अनुभव प्रमाण-पत्र लगाया। ऐसे में लखनऊ स्थित स्कूल में शिक्षक के तौर पर पढ़ाने के साथ-साथ कानपुर से बीएड के रेग्युलर कोर्स में दाखिला कैसे लिया। स्कूल में जब अनुभव प्रमाण-पत्र को सत्यापन के लिए भेजा गया तो वहां के प्राचार्य ने इसे फर्जी बताया। जो भी हो गुप्ता के पाप का घड़ा भर चुका था सो उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ा। देखा जाए तो उत्तर प्रदेश में ऐसे कई मगरमच्छ पल रहे हैं, जिन पर पूर्व में भ्रष्टाचार की गाज गिर चुकी हैं। देखना यह है कि योगी सरकार खेलों की गंगा को निर्मल करते हैं या जैसा है वैसा ही चलता रहेगा।

विजय गुप्ता को छह महीने पहले निर्माण व किट इत्यादि की खरीद में भ्रष्टाचार करने के आरोप में निलंबित किया गया था। इसकी जांच विशेष सचिव खेल राजेश कुमार कर रहे हैं। फिलहाल अभी भ्रष्टाचार के आरोप की जांच पूरी होती कि इससे पहले ही फर्जी प्रमाणपत्र लगाने के आरोप में इन्हें बर्खास्त कर दिया गया है।

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