इलाहाबाद में खिलाड़ियों के कुलदीपक हैं कुलदीप सिंह

खेल परिवार उत्तर प्रदेश के बैनर तले खिलाड़ियों की निखार रहे प्रतिभा

श्रीप्रकाश शुक्ला

इलाहाबाद। कहते हैं यदि इंसान में कुछ विशेष करने का जुनून हो तो लाख बाधाओं के बाद भी उसकी राह कोई नहीं रोक सकता। इलाहाबाद में खिलाड़ियों के बेहतर करियर की चिन्ता करने वाली एक ऐसी शख्सियत है जिसने आर्थिक संकट के बावजूद भी हिम्मत न हारते हुए खेलों में एक नया मुकाम हासिल किया है। इस शख्सियत का नाम है कुलदीप सिंह। कुलदीप सिंह की अदम्य इच्छाशक्ति को देखते हुए यदि इन्हें इलाहाबाद में खिलाड़ियों का कुलदीपक कहें तो अतिश्योक्ति न होगा।

कहते हैं कि एक खिलाड़ी ही किसी खिलाड़ी के मर्म और उसकी आवश्यकताओं को अच्छी तरह से समझ सकता है। पिता की मृत्यु और आर्थिक परेशानियों की वजह से कुलदीप सिंह अच्छे एथलीट होने के बावजूद मादरेवतन के लिए नहीं दौड़ सके लेकिन उनके मन में इलाहाबाद की पावन धरती से राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय एथलीट निकालने की एक तरह से धुन सवार है। वह सुबह-शाम न केवल प्रतिभाओं के हुनर को निखारने का प्रयास करते हैं बल्कि उन्हें उचित खेल मंच देने की भी पुरजोर कोशिश करते हैं।

कुलदीप सिंह  रामा देवी बालिका इंटर कालेज मीरापुर, इलाहाबाद में एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं लेकिन खिलाड़ियों के प्रोत्साहन की इनकी इच्छाशक्ति उन लोगों के लिए एक नजीर है जोकि थोड़ी सी परेशानी आने पर अपना मनोबल तोड़ देते हैं। खेल परिवार उत्तर प्रदेश संस्था के सचिव कुलदीप सिंह ने खेलपथ से बातचीत में बताया कि वह एथलेटिक्स में देश के लिए दमखम दिखाना चाहते थे, वह नार्थ जोन तक न केवल खेले बल्कि कई मेडल भी जीते। वह देश के लिए खेलने का सपना देख ही रहे थे कि एक दिन पिता का स्वर्गवास हो गया। पिता की मौत के बाद परिवार पर आए आर्थिक संकट के बाद मुझे खेल छोड़ना पड़ा।

कुलदीप सिंह बताते हैं कि खेलों से नाता टूटने के बाद मैं चिन्ताग्रस्त रहने लगा। ऐसे नाजुक समय में मोहम्मद रुस्तम खान सर ने मेरा हौसला बढ़ाया और पुनः खेलों में कुछ विशेष करने का मुझे मंत्र दिया। मैंने मोहम्मद रुस्तम खान सर के परामर्श के बाद 24 अक्टूबर, 2010 में खेल परिवार उत्तर प्रदेश संगठन को पंजीबद्ध कराया और खिलाड़ियों की सेवा में अकेले ही प्राणपण से जुट गया। इस संगठन के अध्यक्ष सरदार परमजीत सिंह मंगू हैं जोकि समय-समय पर खिलाड़ियों को आर्थिक सहायता देकर उन्हें प्रोत्साहित करते रहते हैं।

खेल परिवार उत्तर प्रदेश की जहां तक बात है इस संगठन के बैनर तले हर साल खेल प्रतियोगिताएं कराई जाती हैं तथा प्रतिभाशाली एथलीटों को सुबह-शाम निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है। कुलदीप सिंह के प्रयासों से अब तक कई खिलाड़ी जहां पुलिस और सेना में भर्ती हुए वहीं कुमुद सिंह पाल जैसी बेटियों ने 100 और 200 मीटर में आल इंडिया यूनिवर्सिटी खेलों में अपनी प्रतिभा की धूम भी मचाई। खेल परिवार उत्तर प्रदेश खिलाड़ियों के प्रोत्साहन के साथ ही समाज सेवा के क्षेत्र में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता है।

कुलदीप सिंह पिछले 18 साल से इंदिरा मैराथन का सफल आयोजन भी कर रहे हैं। अखिल भारतीय इंदिरा मैराथन में खेल परिवार के खिलाड़ियों का अहम रोल होता है। मैराथन के फिनिशिंग प्वाइंट पर सभी धावकों को एनर्जीयुक्त पैकेट देने के साथ उन्हें रिलेक्स भी किया जाता है। कुलदीप सिंह के खिलाड़ी हितैषी कार्यों के लिए शासन-प्रशासन की तरफ से तो कोई वित्तीय सहायता नहीं मिलती लेकिन इलाहाबाद के कुछ व्यापारी धावकों के लिए किट और एनर्जीयुक्त पैकेटों का इंतजाम जरूर कर देते हैं। रामा देवी बालिका इंटर कालेज मीरापुर, इलाहाबाद में कार्यरत कुलदीप सिंह का सपना इलाहाबाद की प्रतिभाओं को खेलों के लिए मंच तथा उनके करियर को नया मुकाम देना है। हमें कुलदीप सिंह जैसे खेलप्रेमियों का उत्साह बढ़ाने की जरूरत है ताकि हमारे समाज में भी खेल संस्कृति पल्लवित और पोषित हो सके।

 

रिलेटेड पोस्ट्स