मथुरा दिलाएगा स्वदेशी खेलों को अंतरराष्ट्रीय पहचान

भारतीय स्वदेशी खेल संगठन के बैनर तले होंगे टारगेट बाल, लगोरी, लंगड़ी, गटका, गिल्ली-डंडा

खेलपथ प्रतिनिधि

मथुरा। हाल ही देश की जानी-मानी खेल शख्सियतों अशोक ध्यान चंद, अर्जुन अवार्डी पहलवान कृपाशंकर बिश्नोई, अर्जुन अवार्डी एथलीट खुशबीर कौर, इंटरनेशनल वेटलिफ्टर सुजाता भकत, वरिष्ठ खेल पत्रकार श्रीप्रकाश शुक्ला, संदीप प्रलहद, बलजिन्दर सिंह तूर, प्रशांत दिनकर, सुरेश अनंत गांधी, पवन कुमार शर्मा और देश में टारगेट बाल खेल के जन्मदाता सोनू शर्मा की सहमति के बाद मथुरा में भारतीय स्वदेशी खेल संगठन का गठन किया गया है। इस संगठन का उद्देश्य स्वदेशी खेलों को राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाना है।

संगठन के चेयरमैन अशोक ध्यान चंद का कहना है कि भारत हमेशा से संस्कृति और परम्परा से समृद्ध राष्ट्र रहा है तथा खेल हमेशा से ही भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं। चाहे भगवान शिव और उनकी पत्नी पार्वती के बीच पचीसी का खेल हो, पांडवों द्वारा पासे के खेल में द्रोपदी को हार जाना या दोपहर के बाद शतरंज के खेल का आनंद लेने वाले मुगल बादशाह रहे हों, इन सब ने भारतीय पारम्परिक खेलों को ही मनोरंजन का साधन माना था। ब्रज भी भगवान श्रीकृष्ण के कौतुक और विभिन्न खेलों के लिए जाना जाता है।  खेल और खिलाड़ी हमेशा से भारत के इतिहास व पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते आये हैं। भारतीय स्वदेशी खेल संगठन इसी परम्परा का हिमायती है।

संगठन के महासचिव सोनू शर्मा कहना है कि भारत सरकार कुछ भारतीय खेलों को ही महत्व दे रही है जोकि उचित नहीं है। भारतीय स्वदेशी खेल संगठन मलखम्ब, खो-खो, गटका, टारगेट बाल, लगोरी, लंगड़ी, गिल्ली-डंडा, कबड्डी आदि खेलों को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने को प्रतिबद्ध है। भारतीय स्वदेशी खेल संगठन स्वदेशी खेलों को भूल चुके लोगों को इन खेलों से न केवल जोड़ेगा बल्कि इन खेलों की प्रतियोगिताएं भी कराएगा ताकि नई पीढ़ी स्वदेशी खेलों को न केवल जाने बल्कि उनमें भी हाथ आजमाए।

 

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