हैण्डबाल में सृष्टि ने जमाई धाक

अंजली चौरसिया को आदर्श मान देश का किया प्रतिनिधित्व

श्रीप्रकाश शुक्ला

इलाहाबाद। बेटियों के लिए खेलों का क्षेत्र मुश्किल भरा है लेकिन उत्तर प्रदेश ने देश को कई ऐसी नायाब खिलाड़ी बेटियां दी हैं जिन्होंने अपने दृढ़-संकल्प, मजबूत इरादों तथा शानदार खेल कौशल से दुनिया में भारत का नाम रोशन किया है। महिलाओं को दिया जाने वाला उत्तर प्रदेश का सर्वोच्च खेल पुरस्कार  लक्ष्मीबाई हासिल करने वाली इलाहाबाद की सृष्टि अग्रवाल ने हैण्डबाल में राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने दमदार खेल प्रदर्शन की छाप छोड़ी है।

गिरधारी लाल अग्रवाल की बेटी सृष्टि को बचपन से ही खेलों से लगाव रहा। सृष्टि बताती हैं कि मुझे खेलों में अपने परिवार का न केवल पूरा सपोर्ट मिला बल्कि हर तरह की सुविधाएं भी मिलीं। हैण्डबाल की इस इंटरनेशनल प्लेयर का कहना है कि नैनी खेल मैदान से मैंने खेल की शुरुआत की। मेरी आदर्श खिलाड़ी अंजली चौरसिया हैं। मैंने अंजली दीदी के खेल को देखकर ही संकल्प लिया कि मुझे भी इन्हीं की तरह बेजोड़ खिलाड़ी बनना है। सृष्टि बताती हैं कि अंजली दीदी न केवल शानदार खिलाड़ी थीं बल्कि वह जब भी नैनी आतीं हम लोगों को हैण्डबाल में सफलता के गुर बताए बिना वापस नहीं लौटतीं।

सृष्टि कहती हैं कि अंजली दीदी जैसे प्रमोटर और उत्साहवर्धक बहुत ही कम लोग होते हैं। मैंने उन्हीं की प्रेरणा और प्रोत्साहन से हैण्डबाल खेल को न केवल चुना बल्कि सफलता के लिए सुबह-शाम जी-तोड़ मेहनत भी की। राष्ट्रीय स्तर पर उत्तर प्रदेश को दर्जनों मेडल दिलाने वाली सृष्टि को 2010 में पहली बार भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। कैमरून में हुई इंटरनेशनल हैण्डबाल प्रतियोगिता में इलाहाबाद की बेटी सृष्टि को भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया और उसने अपने दमदार प्रदर्शन से टीम इंडिया को कांस्य पदक दिलाकर समूचे उत्तर प्रदेश को गौरवान्वित किया।

सृष्टि की सफलता का सफर जारी रहा और 2013 में उज्बेकिस्तान में हुई आईएचएफ टूर्नामेंट में भी उसे भारत का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला। हालांकि यहां भारत को मेडल तो नहीं मिला लेकिन सृष्टि के खेल की हर किसी ने सराहना की। इसी साल सृष्टि अग्रवाल ने स्वीडन में भी भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए खूब शोहरत बटोरी। सृष्टि बताती हैं कि 2016 में गुवाहाटी में हुए दक्षिण एशियाई खेलों में भारत को स्वर्णिम सफलता दिलाने की मुझे बेहद खुशी है। सृष्टि 2017 में उज्बेकिस्तान में हुई इंटरनेशनल लीग, 2018 में लखनऊ में हुई दक्षिण एशियाई हैण्डबाल चैम्पियनशिप तथा इसी साल जापान में हुई एशियन हैण्डबाल चैम्पियनशिप में भी अपने लाजवाब खेल की शानदार बानगी पेश करने में सफलता हासिल की।

हैण्डबाल में सृष्टि अग्रवाल के शानदार प्रदर्शन को देखते हुए 2016 में इन्हें लक्ष्मीबाई अवार्ड तथा 2017 में राजपाल अवार्ड मिलने के साथ ही भारतीय रेलवे में सेवा करने का अवसर भी मिला। सृष्टि इस समय भारतीय रेलवे में जूनियर क्लर्क के रूप में अपनी सेवाएं दे रही हैं। सृष्टि बेटियों के लिए खेलों को सबसे बेहतर करियर अवसर मानती हैं। सृष्टि कहती हैं कि मैं आज जो भी कुछ हूं उसमें खेल ही सर्वोपरि है। मैं अपने माता-पिता तथा अंजली दीदी की भी दिल से आभारी हूं जिनके प्रोत्साहन से मैं हैण्डबाल में अपनी पहचान बना सकी। सृष्टि अपने संदेश में कहती हैं कि बेटियों को किसी न किसी खेल में अवश्य सहभागिता करनी चाहिए क्योंकि खेलों से कुछ हासिल हो या नहीं हम स्वस्थ रहने का अपना संकल्प जरूर पूरा कर सकते हैं।

          

 

 

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