आगे बढ़ो, सीखो और खोजो

विश्व बंधुत्व की पुण्य तारीख अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक दिवस आज

श्रीप्रकाश शुक्ला

आज समूची दुनिया कोरोना संक्रमण के चलते जीवन और मौत के दौर से गुजर रही है। इंसान का जीवन ठहर सा गया है। खिलाड़ियों के बिना मैदान सूने हैं। कहीं से भी किसी खिलाड़ी के पौरुष की खबर सुनाई नहीं दे रही है, ऐसे में भारत सहित अधिकांश देश आज अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक दिवस मना रहे हैं या यूं कहें एक परम्परा का निर्वहन कर रहे हैं। सच कहें तो ओलम्पिक दिवस खेल, स्वास्थ्य और सबसे अच्छा होने का एक उत्सव है जिसमें दुनिया भर के लोग शामिल होते हैं। 23 जून एक ऐसी पुण्य तारीख है जब 1894 में विश्व बंधुत्व की खातिर अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति की स्थापना हुई थी।

दुनिया भर के खिलाड़ियों को एक मंच पर इकट्ठा कर विभिन्न खेलों में विश्वस्तरीय प्रतिस्पर्धा करवाने वाले खेलों के महाकुम्भ ओलम्पिक के लिए आज का दिन खिलाड़ियों और खेलों से दिलचस्पी रखने वालों के लिए बेहद खास है। आज अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक दिवस मनाया जा रहा है। दुनिया भर के अलग-अलग हिस्सों में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं जिसमें हर वर्ग के लोग या खिलाड़ी शामिल हुए हैं लेकिन आज इस महोत्सव में कहीं भी उत्साह नजर नहीं आ रहा है।

ओलम्पिक दिवस प्रतिवर्ष 23 जून को होता है। खेलों की इस पवित्र तारीख के जश्न में कोई भी कहीं से भी शामिल हो सकता है। चेक आईओसी के सदस्य डॉक्टर ग्रेस ने स्टॉकहोम में अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति के 41वें सत्र में विश्व ओलम्पिक दिवस का विचार प्रस्तुत किया, जिसमें ओलम्पिक के संदेशों और मूल उद्देश्य को मनाने के लिए एक दिन निर्धारित करने के लिए कहा गया।  कुछ महीनों बाद जनवरी 1948 में सेंट मोरित्ज  में आईओसी के 42वें सत्र में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई। राष्ट्रीय ओलम्पिक समितियों को इस कार्यक्रम के आयोजन का प्रभारी बनाया गया, उसके बाद से यह तारीख आईओसी के इतिहास में एक विशेष पल का हिस्सा बन गई। गौरतलब है कि इससे पहले अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति की स्थापना 23 जून, 1894 को सोरबोन, पेरिस में की गई थी, जहां पियरे डे कोबेर्टिन ने ओलम्पिक खेलों के पुनरुद्धार के लिए एक रैली की थी।

ओलम्पिक दिवस की जहां तक बात है यह पहली बार 23 जून, 1948 को मनाया गया था। उस समय पुर्तगाल, ग्रीस, ऑस्ट्रिया, कनाडा, स्विट्जरलैंड, ग्रेट ब्रिटेन, उरुग्वे, वेनेजुएला और बेल्जियम ने अपने-अपने देशों में ओलम्पिक दिवस का आयोजन किया और उस समय के आईओसी के अध्यक्ष सिगफ्रीड एडस्ट्रॉम ने दुनिया के युवाओं को एक संदेश दिया। कोरोना महामारी के इस दौर में जब सब कुछ लॉक है और खेलों पर भी इसका साया पड़ा है, तब ऐसे वक्त में इस दिन को डिजिटल माध्यम से खास बनाने की तैयारी की गई है। लोग डिजिटल माध्यम से ओलम्पिक दिवस मना रहे हैं।

ओलम्पिक दिवस में शामिल होने के लिए ओलम्पियन होने की जरूरत नहीं है। इस बार इसमें दुनिया भर के स्टार और दिग्गज खिलाड़ी अपने-अपने घर से ऑनलाइन वर्कऑउट कर रहे हैं। इन खिलाड़ियों के  साथ कोई भी जुड़कर खुद भी वर्कआउट कर सकता है और अपने पसंदीदा खिलाड़ियों से प्रेरणा ले सकता है। ओलम्पिक दिवस अब एक छोटी सी दौड़ या एकल खेल आयोजन की तुलना में बहुत बड़ा आयोजन बन चुका है। इस दिन दुनिया भर की राष्ट्रीय ओलम्पिक समितियां, 'आगे बढ़ो', 'सीखो' और 'खोजो' के तीन स्तम्भों के आधार पर उम्र, लिंग, सामाजिक पृष्ठभूमि या खेल क्षमता की परवाह किए बिना अलग-अलग तरह की पहल करती हैं। कुछ देशों ने इस घटना को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया है। ऐसे में हर कोई ओलम्पिक दिवस का हिस्सा हो सकता है। भारत में भी ओलम्पिक दिवस के माध्यम से खेल संस्कृति के संवर्धन की कोशिश होना खुशी की बात है। आओ हम सब खेलों को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं और आने वाली पीढ़ी को भी प्रेरित करें।

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