कानपुर में योग की अलख जगातीं पूनम बाजपेयी

स्वस्थ जीवन के लिए योग बहुत जरूरी

मनीषा शुक्ला

कानपुर। आज के व्यस्त और  तनावपूर्ण जीवन में कुछ मिनट की योग क्रिया न केवल सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है बल्कि हमें स्वस्थ भी रख सकती है। योग के महत्व को दुनिया के 192 देशों की स्वाकार्यता मिलना अपने आपमें बहुत बड़ी बात है। योग को शारीरिक, मानसिक व आत्मिक स्वास्थ्य व शांति के लिए बड़े पैमाने पर अपनाये जाने की दिशा में कानपुर की पूनम बाजपेयी तन-मन से प्रयास कर रही हैं। कानपुर के ग्रीन पार्क में योग का नियमित प्रशिक्षण देने वाली पूनम बाजपेयी इस विधा की सुयोग्य शख्सियत हैं। इनका प्रयास योग को कानपुर के जन-जन तक पहुंचाने का है।

योग की जहां तक बात है हिन्दू धर्म में साधु, संन्यासियों व योगियों द्वारा योग सभ्यता को शुरू से ही अपनाया गया  परन्तु आम लोगों में इस विधा का विस्तार कैसे और किस तरह हो इस दिशा में पूनम बाजपेयी अपने आपको को पूरी तरह से समर्पित कर चुकी हैं। योग विधा पर दर्जनों मेडल और पुरस्कार हासिल करने वाली पूनम बताती हैं कि आज के भागदौड़ भरे जीवन में  योग की महिमा और महत्व अपने आप बढ़ जाता है। सच कहें तो भारत दुनिया का योग गुरु है।

11 दिसम्बर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रत्येक वर्ष 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मान्यता देकर दुनिया में भारतीय योग पद्धति को जो स्वीकार्यता दी है उसका अपने आपमें बहुत महत्व है। यह खुशी की बात है कि गाहे-बगाहे भारतीय संस्कृति पर उंगली उठाने वाले 47 मुस्लिम देशों ने भी योग को स्वस्थ तन-मन के लिए महत्वपूर्ण करार दिया है। 21 जून, 2015 को पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पूरे विश्व में मनाया गया। विश्व भर के करोड़ों लोगों न केवल योगाभ्यास किया बल्कि एक रिकॉर्ड भी बना दिया।

पूनम बाजपेयी बताती हैं कि योग व्यायाम का ऐसा प्रभावशाली प्रकार है, जिसके माध्यम से न केवल शरीर के अंगों बल्कि मन, मस्तिष्क और आत्मा में संतुलन बनाया जा सकता है। यही कारण है कि योग शा‍रीरिक व्याधियों के अलावा मानसिक समस्याओं से भी निजात दिलाने में समर्थ है। योग शब्द की उत्पत्त‍ि संस्कृति के युज से हुई है, जिसका मतलब होता है आत्मा का सार्वभौमिक चेतना से मिलन। योग क्रिया भारत में लगभग दस हजार साल से भी अधिक समय से अपनाई जा रही है। वैदिक संहिताओं के अनुसार तपस्वियों के बारे में प्राचीनकाल से ही वेदों में इसका उल्लेख मिलता है। सिंधु घाटी की सभ्यता में भी योग और समाधि को प्रदर्श‍ित करती मूर्तियां मिली हैं।

योग की प्रामाणिक पुस्तकों शिवसंहिता तथा गोरक्षशतक में योग के चार प्रकारों का वर्णन मिलता है जिनमें मंत्रयोग, हठयोग, लययोग तथा राजयोग समाहित हैं। व्यापक रूप से पतंजलि औपचारिक योग दर्शन के संस्थापक माने जाते हैं। पतंजलि के योग बुद्धि नियंत्रण के लिए एक प्रणाली है, जिसे राजयोग के रूप में जाना जाता है। पतंजलि के अनुसार योग के आठ सूत्र बताए गए हैं जिनमें यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान तथा समाधि शामिल हैं। भगवद्‍गीता में योग के जो तीन प्रमुख प्रकार बताए गए हैं वे कर्मयोग, भक्ति योग तथा ज्ञान योग हैं।

कानपुर की उच्च तालीम हासिल पूनम बाजपेयी ने 2018 में राजर्षि टंडन यूनिवर्सिटी इलाहाबाद से डिप्लोमा इन योगा पर परास्नातक किया है। योग पर बहुत सारी उपलब्धियां हासिल करने वाली पूनम एक शिक्षक के रूप में भी कार्य कर चुकी हैं। राज्यस्तर पर योग विधा में कई मेडल और प्रशस्ति पत्र हासिल पूनम बाजपेयी कानपुर योग एसोसिएशन की इंस्ट्रक्टर भी हैं। अब तक कानपुर सहित प्रदेश के कई शहरों में विभिन्न संगठनों के साथ मिलकर योग शिविरों का आयोजन कर चुकी पूनम बताती हैं कि यह ऐसी विधा है जिसमें कोई भी इंसान 15 मिनट का समय देकर 24 घण्टे खुशहाल जीवन बिता सकता है। योग से जहां तन और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं वहीं इसका शरीर पर भी कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। हमारा प्रयास और एकमात्र लक्ष्य योग को कानपुर के जन-जन तक पहुंचाने का है।       

 

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