पूर्व हॉकी खिलाड़ी बोले- बलबीर सिंह सीनियर को मरणोपरांत मिले राष्ट्रीय सम्मान
नयी दिल्ली। भारत के पूर्व हॉकी दिग्गजों का मानना है कि दिवंगत बलबीर सिंह सीनियर को वह सम्मान नहीं मिला, जिसके वह हकदार थे और तीन बार के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता सेंटर फारवर्ड को मरणोपरांत राष्ट्रीय सम्मान दिया जाना चाहिये। बलबीर सिंह सीनियर का सोमवार को मोहाली में एक अस्पताल में निधन हो गया था। वह लंबे समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। मेजर ध्यानचंद ने जहां अंग्रेजों के अधीन भारत में अपने खेल का लोहा मनवाया तो बलबीर आजाद भारत के सबसे बड़े खिलाड़ी थे।
ध्यानचंद को उनके जीवन में कई पुरस्कार और सम्मान मिले और राष्ट्रीय खेल पुरस्कार भी उनके जन्मदिन पर दिया जाता है, लेकिन बलबीर को 1957 में सिर्फ पद्मश्री मिला। भारत की 1975 विश्व कप विजेता टीम के कप्तान अजित पाल सिंह ने कहा कि ध्यानचंद और बलबीर सिंह दोनों भारतीय खेलों के दो मजबूत स्तंभ थे। ध्यानचंद अगर हॉकी के पिता हैं तो बलबीर चाचा हैं। उन्होंने कहा कि हमने ध्यानचंद के नाम पर राष्ट्रीय स्टेडियम बनाया। राष्ट्रीय खेल पुरस्कार उनके जन्मदिन पर दिये जाते हैं और उनके नाम से ध्यानचंद पुरस्कार भी है, लेकिन बलबीर को वह सम्मान नहीं मिला जिसके वह हकदार थे।
ध्यानचंद के बेटे और भारत की विश्व कप जीत के सूत्रधार रहे अशोक कुमार ने कहा कि बलबीर सिंह हम सभी के लिये प्रेरणास्रोत थे। उनकी और दद्दा ध्यानचंद की कोई तुलना नहीं हो सकती । दोनों अपने अपने समय के महान खिलाड़ी थे। मुझे लगता है कि बलबीर को वह सम्मान नहीं मिला जो मिलना चाहिये था। भारत के पूर्व कप्तान दिलीप टिर्की ने कहा कि सरकार को उन्हें कम से कम पद्म विभूषण तो देना चाहिये। उन्होंने कहा कि वह अब हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन देश उन्हें वह सम्मान तो दे सकता है, जिसके वह हकदार थे। ध्यानचंद और बलबीर सिंह जैसे लोग सदियों में एक होते हैं और हमें उनकी उपलब्धियों की अनदेखी नहीं करनी चाहिये।