स्वाती का सपना इंटरनेशनल में हो पदक अपना

मैरीकॉम फिल्म ने बदला कानपुर की बिटिया का नजरिया

नूतन शुक्ला

कानपुर। छूना है बादलों को लेटकर पहाड़ों पर, तेरी नजर में होगी जमीं, मेरी नजर है सितारों पर। यह पंक्तियां कानपुर की होनहार भारोत्तोलक स्वाती यादव के जोश और जज्बे पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं। राष्ट्रीय स्तर पर अपनी शक्ति का शानदार आगाज कर रही स्वाती बिटिया को मुझे भविष्य का कर्णम मल्लेश्वरी कहने में जरा भी गुरेज नहीं है। स्वाती कहती है कि अब तक हासिल सफलताओं से मुझे खुशी तो है लेकिन मेरा सपना नेशनल नहीं इंटरनेशनल भारोत्तोलन प्रतियोगिताओं में भारत के भाल को गौरवान्वित करना है।

कुरसवां, कानपुर निवासी किशन कुमारी-महेश यादव की होनहार बेटी स्वाती में प्रतिभा ही नहीं सफलता हासिल करने का जुनून भी है। इसी साल असम के गुवाहाटी में हुए खेलो इंडिया यूथ गेम्स में चांदी का पदक जीतने वाली कानपुर की इस बेटी में वह सब कुछ है जोकि एक भारोत्तोलक में होना चाहिए। स्वाती अपने जोश, जुनून और जज्बे से राष्ट्रीय स्तर पर पदक दर पदक जीतते हुए न केवल कानपुर को गौरवान्वित कर रही है बल्कि समाज को बेटियों के प्रति सोच बदलने का पैगाम भी दे रही है। स्वाती कहती है कि अगर मन में किसी काम को करने की सच्ची लगन हो तो मंजिल पाने की राह में कोई भी बाधा आड़े नहीं आ सकती।

गौरतलब है कि इस साल जनवरी में गुवाहाटी में हुए तीसरे खेलो इंडिया यूथ गेम्स की भारोत्तोलन प्रतियोगिता में स्वाती सहभागिता करने वाली कानपुर शहर की एकमात्र वेटलिफ्टर थी। इसका मुकाबला देश की टॉप 18 वेटलिफ्टरों से हुआ था। कानपुर के ग्रीनपार्क में अपने प्रशिक्षक राघवेन्द्र सिंह से नियमित प्रशिक्षण लेने वाली महेश यादव की बेटी स्वाती यादव जुहारी देवी गर्ल्स इंटर कॉलेज में कक्षा 11 की छात्रा है। स्वाती ने 2018 में बनारस में हुई राष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक से अपना गला सजाया था तो 2019 में बोध गया बिहार में हुई राष्ट्रीय प्रतियोगिता में इस बेटी ने रजत पदक जीता था। स्वाती के लगातार नायाब प्रदर्शन को देखते हुए ही उसका चयन पुणे में होने वाली खेलो इण्डिया यूथ गेम्स प्रतियोगिता के लिए हुआ था।

अब तक कई प्रतियोगिताओं में अपनी शक्ति का शानदार आगाज कर चुकी स्वाती बताती है कि सितम्बर, 2017 से मैं ग्रीनपार्क में अपने कोच राघवेंद्र सिंह से वेटलिफ्टिंग की ट्रेनिंग ले रही हूं। मैंने एक महीने के प्रशिक्षण के बाद ही ग्रीनपार्क में मंडलस्तरीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता था। स्वाती अपनी इस सफलता का श्रेय अपने पिता महेश यादव और कोच राघवेंद्र सिंह को देती हैं। स्वाती बताती हैं कि मैंने 2017 में मैरीकॉम फिल्म देखी थी। उसी दिन मैंने खेलों में अपना करियर संवारने का निश्चय कर लिया था। मैरीकॉम फिल्म देखने के बाद मुझे लगा कि लड़कियां भी स्पोर्ट्स में अच्छा कर सकती हैं। परिजनों ने भी मेरा पूरा सहयोग किया और ग्रीनपार्क में ट्रेनिंग दिलाई। अब मेरा सपना मैरीकॉम की ही तरह दुनिया भर में भारत का नाम रोशन करने का है। खेलो इंडिया यूथ गेम्स में अच्छा प्रदर्शन करने वाली स्वाती यादव से कानपुर ही नहीं समूचे उत्तर प्रदेश को काफी उम्मीदें हैं। इस बेटी में प्रतिभा के साथ-साथ जीत का जुनून भी है, ऐसे में हम सबका दायित्व है कि इसे हर तरह से प्रोत्साहित किया जाए।

एक नजर में स्वाती की उपलब्धियां

अक्टूबर 2017 में ग्रीनपार्क में हुई मंडलस्तरीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक। दिसम्बर 2017 में मेरठ में हुई राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में कांस्य पदक।  जनवरी 2018 में बनारस में हुई राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक।  दिसम्बर 2018 में नागपुर में हुई राष्ट्रीय प्रतियोगिता में चौथा स्थान। 2019 लखनऊ में हुई राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक। 2019 में बोध गया बिहार में हुई राष्ट्रीय प्रतियोगिता में रजत पदक। 2020 गुवाहाटी में खेलो इंडिया यूथ गेम्स में रजत पदक।

 

 

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