अनूप सिंह यादव ने हैमर थ्रो में लिखी नई इबारत

राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया कानपुर का नाम रोशन

नूतन शुक्ला

कानपुर। संघर्ष और जज्बे से तकदीर अपने नाम लिखने की कहानी से यदि किसी को सीख लेनी हो तो उसे जांबाज अनूप सिंह यादव को अपना आदर्श मान लेना चाहिए। अनूप सिंह ने हैमर थ्रो में राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो कामयाबियां हासिल की हैं उन पर कानपुर ही नहीं समूचे उत्तर प्रदेश को नाज है। होना भी चाहिए क्योंकि एथलेटिक्स में सफलता के लिए रात की नींद तो दिन का आराम त्यागना होता है जोकि अनूप सिंह से बेहतर शायद ही कोई नहीं जानता हो। खेलों की इस नायाब शख्सियत ने न केवल अपने पराक्रमी कौशल से नई इबारत लिखी बल्कि सैकड़ों एथलीटों को अपने पैसे से खेलों की दिशा में जाने की राह भी दिखाई है।

अनूप सिंह यादव को बचपन से ही खेलों से लगाव रहा। वह चाहते तो किसी टीम खेल में हिस्सा लेकर अपना भाग्य चमका सकते थे लेकिन इन्होंने खेलों में कुछ अनूठा करने का संकल्प लेते हुए हैमर थ्रो को अपना पैशन बनाया। 1987 से कानपुर के डीएवी कॉलेज मैदान में रियाज करने वाले अनूप सिंह 1987 से 1990 तक कानपुर विश्वविद्यालय सहित उत्तर प्रदेश की एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं में हैमर थ्रो के चैम्पियन एथलीट रहे। इन्होंने 1990 में अखिल भारतीय विश्वविद्यालय खेलों में कानपुर विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व करते हुए स्वर्णिम सफलता हासिल कर हैमर थ्रो में एक नई पटकथा लिखी।

1991 में कानपुर के डीएवी कॉलेज मैदान में हुई ओपन स्टेट एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में इन्होंने 63.02 मीटर का थ्रो करके एक नया कीर्तिमान अपने नाम किया। ऐसा रिकार्डतोड़ प्रदर्शन करने वाले वह पहले एथलीट थे। अनूप सिंह यादव ने 1991 से 2005 तक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खेलों सहित अखिल भारतीय पुलिस खेलों में शानदार सफलताएं हासिल कर कानपुर को गौरवान्वित किया। अनूप सिंह ने लगभग 15 साल तक प्रतिस्पर्धात्मक हैमर थ्रो प्रतियोगिताओं में अपने पराक्रम का जलवा कायम रखा। अनूप सिंह यादव ने अपने करियर की शुरुआत 1991 में सीआईएसएफ में सब-इंस्पेक्टर पद से की थी।

वह आज बेशक प्रतिस्पर्धी खेलों में शिरकत नहीं करते हों लेकिन नए एथलीटों को इस खेल के गुर बताते कहीं भी देखे जा सकते हैं। अनूप सिंह से प्रशिक्षण और मदद हासिल करने वाले कई खिलाड़ी आज राष्ट्रीय स्तर पर अपने कौशल तथा दमखम का परिचय दे रहे हैं। अनूप सिंह के कई शिष्य खेलों की बदौलत रेलवे, पुलिस और भारतीय सेना में अपना करियर संवार रहे हैं। इन खिलाड़ियों का कहना है कि अनूप सर इंसान के रूप में एथलीटों के भगवान हैं। वह हमेशा गरीब एथलीटों को आर्थिक मदद देकर उन्हें प्रोत्साहित करते रहते हैं।

इंसान के जीवन में खेलों की क्या उपयोगिता है, इस सवाल के जवाब में अनूप सिंह कहते हैं कि सबसे बड़ा सुख निरोगी काया है। सुखी जीवन का भोग करने के लिए स्वस्थ शरीर का होना बेहद जरूरी है, लेकिन शरीर तभी स्वस्थ हो सकता है जब इसके सभी अंग दुरुस्त यानि फिट हों। शारीरिक अंगों को फिट रखने हेतु खेलों से बढ़कर अन्य कोई साधन नहीं हो सकता। वह कहते हैं कि जीवन में खेल ही हैं जो हरेक प्रकार के शारीरिक, सामाजिक, मानसिक, बौद्धिक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य गुणों के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। अब खेल केवल विद्यार्थी जीवन के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं रहे बल्कि बच्चे, नौजवानों और वृद्ध सबके लिए उपयोगी हैं। मेरा सुझाव है कि हर इंसान को 24 घण्टे में कुछ समय खेलों के लिए जरूर निकालना चाहिए।      

 

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