राजेश दुबे कर रहे वॉलीबाल के बढ़ावे की पुरजोर कोशिश
राष्ट्रीय स्तर पर खूब जमाई धाक
नूतन शुक्ला
कानपुर। एक समय था जब हर गांव, कस्बे और शहर के खाली पड़े मैदानों से लेकर स्टेडियम तक में मुख्य खेल के रूप में वॉलीबाल ही खेला जाता था। आज इस खेल के प्रति लोगों का रुझान तो है लेकिन सुविधाएं मयस्सर नहीं हैं। अपने समय में राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी रहे राजेश दुबे कानपुर में वॉलीबाल को नया जीवन देने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश वॉलीबाल संघ में संयुक्त सचिव व कानपुर वॉलीबाल संघ के सचिव श्री दुबे का मानना है कि स्थितियां बदलेंगी और भविष्य में इस खेल में कानपुर देश को कुछ खिलाड़ी जरूर देगा।
दर्जनों राज्य स्तरीय व राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में अपने कौशल का शानदार प्रदर्शन करने वाले राजेश दुबे वॉलीबाल खेल में युवा पीढ़ी के घटते रुझान को लेकर चिन्तित हैं। श्री दुबे कहते हैं वॉलीबाल खिलाड़ियों की नई पौध बमुश्किल तैयार हो रही है, यही वजह है कि पिछले कुछ वर्षों में इक्का-दुक्का खिलाड़ी ही वॉलीबाल में चमके हैं। हमारा प्रयास खिलाड़ियों की नई खेप तैयार करने के साथ कानपुर शहर में जगह-जगह इस खेल को आबाद करना है। श्री दुबे कहते हैं कि कानपुर ने देश को कई खिलाड़ी दिए हैं इससे वॉलीबाल भी अछूता नहीं है। पिछले कुछ समय से वॉलीबाल के खेल में आई गिरावट की मुख्य वजह स्कूल स्तर पर इस खेल की अनदेखी है।
एक खिलाड़ी ही किसी खेल के बढ़ावे की चिन्ता कर सकता है। राजेश दुबे वॉलीबाल के शानदार खिलाड़ी रहे हैं। श्री दुबे ने सबसे पहले सब जूनियर नेशनल चैम्पियनशिप में उत्तर प्रदेश टीम का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद इन्होंने यूथ नेशनल चैम्पियनशिप में प्रदेश टीम का न केवल प्रतिनिधित्व किया बल्कि प्रदेश की झोली में गोल्ड मेडल भी डाला। राजेश दुबे को सीनियर नेशनल में भी उत्तर प्रदेश टीम का प्रतिनिधित्व करने का गौरव हासिल है। यह सिविल सर्विसेज वॉलीबाल चैम्पियनशिप में कई सालों तक लगातार खेले और अपने खेल से वाहवाही लूटी। खेलों के प्रति निष्ठा, जुनून और शानदार प्रदर्शन को देखते हुए राजेश दुबे को खेल कोटे के तहत 1993 में भारतीय कस्टम विभाग में सेवा का अवसर मिला। इस समय श्री दुबे इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं।
श्री दुबे कहते हैं कि मैं वॉलीबाल में कभी कोच नहीं रहा इसलिए मैं यह नहीं कह सकता मैंने किसी खिलाड़ी को ट्रेंड किया है। यह श्री दुबे की सदाशयता ही है कि वह खिलाड़ियों को इस खेल के गुर सिखाने के बाद भी इसका श्रेय लेने से इंकार करते हैं। श्री दुबे की सोच की तारीफ करते हुए कानपुर की प्रतिभाओं को वॉलीबाल खेल में रुचि लेनी चाहिए क्योंकि इस खेल में भी करियर की अपार सम्भावनाएं हैं। इसका उदाहरण स्वयं राजेश दुबे हैं। यह कानपुर और उत्तर प्रदेश के लिए सौभाग्य की बात है कि वॉलीबाल संगठन राजेश दुबे जैसे काबिल लोगों के हाथ में है।