कानपुर में क्रिकेट की शान अरविन्द सोलंकी

स्वयं की एकेडमी से निकाल रहे भविष्य के सितारे

नूतन शुक्ला

कानपुर। उत्तर प्रदेश में क्रिकेट की बात होते ही आम क्रिकेटप्रेमी की नजर में पतित पावनी गंगा तीरे स्थित नयनाभिराम ग्रीनपार्क स्टेडियम की तस्वीर घूम सी जाती है। इस मैदान का इतिहास काफी गौरवशाली है। क्रिकेट के इस मंदिर से इस खेल के काफी पुजारी निकले हैं जिन्होंने कानपुर की शान-ओ-शौकत में चार चांद लगाए हैं। क्रिकेट के इस मंदिर ने वैसे तो खूब उतार-चढ़ाव देखे हैं लेकिन यहां से कुछ ऐसे लोग भी निकले जिन्होंने इस खेल को ही अपना जीवन मान लिया। ऐसे ही लोगों में क्रिकेट के जिन्दादिल इंसान और कानपुर की शान अरविन्द सोलंकी भी शामिल हैं। अण्डर-19 विश्व कप में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके अरविन्द सोलंकी अब स्वयं की एकेडमी से भविष्य के सितारे निकाल रहे हैं।

एक खिलाड़ी क्रिकेटर के रूप में अरविन्द सोलंकी बेशक बड़ा नाम नहीं हों लेकिन इस खेल की सेवा के मामले में इनका कोई जवाब नहीं है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की जहां तक बात है श्री सोलंकी ने अण्डर-17 और अण्डर-19 आयु वर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। घरेलू क्रिकेट में मिले अवसरों पर इन्होंने अपनी मेहनत से कई दफा कानपुर को गौरवान्वित किया। क्रिकेट में कोई गाड फादर न होने के चलते इन्होंने इस खेल में जो भी सफलताएं हासिल कीं, वह अपनी मेहनत और लगन से ही पाई हैं। श्री सोलंकी बेशक हर फॉर्मेट की क्रिकेट नहीं खेले हों लेकिन इन्होंने इसे बिल्कुल करीब से देखा है। क्रिकेट के हर उतार-चढ़ाव और बदलाव की समझ रखने वाले अरविन्द सोलंकी फिलवक्त स्वयं की क्रिकेट एकेडमी में भविष्य के सितारे गढ़ रहे हैं। इनसे प्रशिक्षण हासिल कई प्रतिभाएं क्रिकेट में उत्तर प्रदेश और कानपुर का गौरव बढ़ा रही हैं। अरविन्द सोलंकी की धर्मपत्नी सौम्या क्रिकेट तो नहीं बल्कि अन्य खेलों की लौ निरंतर प्रज्वलित करती देखी जा सकती हैं।

अरविन्द सोलंकी ने अपनी प्रतिभा और कर्मठता के बूते कानपुर क्रिकेट एसोसिएशन ही नहीं उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की अण्डर-17 और अण्डर-19 टीमों को निखारा है। देखा जाए तो श्री सोलंकी हर पर क्रिकेट की बेहतरी का ही सपना देखते हैं। श्री सोलंकी बताते हैं कि कानपुर में क्रिकेट का अभ्युदय ब्रिटिश हुकूमत के दौरान ही हो गया था। साल 1945 में बने ग्रीनपार्क स्टेडियम का नाम मैडम ग्रीन के नाम पर पड़ा। सुना है कि ग्रीन इस मैदान में घुड़सवारी करने आती थीं। भारत से अंग्रेजों की विदाई के बाद कानपुर में जेके समूह ने क्रिकेट के उत्थान का जीतोड़ प्रयास किया। कानपुर में क्रिकेट की नींव रखने वाले इस घराने ने ही 14 जनवरी, 1952 को भारत व इंग्लैंड के बीच प्रथम अंतरराष्ट्रीय टेस्ट मैच का आयोजन गारंटी मनी देकर कराया था। जेके समूह के कमला क्लब मैदान का उद्घाटन 20 दिसम्बर, 1941 में तत्कालीन यूनाइटेड प्राविंस के गर्वनर सर हैलट ने किया था।

कनपुरिया खिलाड़ियों की बात करें तो वर्ष 1980 में गोपाल शर्मा ने पहली बार टीम इंडिया की कैप पहनी थी। सच कहें तो ऑफ ब्रेक गेंदबाज गोपाल शर्मा ने ही कानपुर शहर की प्रतिभाओं को भविष्य की राह दिखाई है। वर्ष 1983 में भारतीय टीम का हिस्सा रहे शशिकांत खांडेकर साल 1996 में रेलवे के खिलाफ 261 रनों की नाबाद पारी खेलने वाले उस दौर के चुनिंदा बल्लेबाजों में शुमार रहे। यहां के राहुल सप्रू 17 साल की उम्र में रणजी खेले। इस खिलाड़ी ने 100 से अधिक प्रथम श्रेणी मुकाबलों में कानपुर का नाम रोशन किया। राहुल सप्रू 1999 में विदर्भ के खिलाफ दोहरा शतक जमाकर देश भर में शहर का नाम रोशन किया था। ग्रीनपार्क ने भारत को सुरेंदर अमरनाथ, सुरेश रैना, ज्ञानेंद्र पांडेय, रुद्र प्रताप सिंह सरीखे दिग्गज क्रिकेटर दिए। देश के पहले चाइनामैन गेंदबाज कुलदीप यादव भी यहीं से निखरे। कुलदीप कानपुर से विश्वकप खेलने वाले एकमात्र खिलाड़ी हैं। वैसे देखा जाए तो कुलदीप से पहले अरविन्द सोलंकी भी विश्व कप में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं लेकिन इन्होंने अण्डर-19 विश्व कप में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।

कानपुर में महिला क्रिकेट की बात करें तो विकेटकीपर बल्लेबाज रीता डे और नीतू डेविड का नाम प्रमुखता से ले सकते हैं। दाएं हाथ की विकेटकीपर बल्लेबाज रीता डे ने 1984 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना पहला टेस्ट व एकदिवसीय मैच खेला था। विश्व में भारतीय क्रिकेट को चमकाने वाली नीतू डेविड देश की प्रमुख महिला खिलाड़ियों में सबसे चर्चित नाम है। शहर की लेफ्ट आर्म स्पिन गेंदबाज ने वर्ष 1995 में न्यूजीलैंड के खिलाफ अपना टेस्ट व एकदिवसीय डेव्यू किया था। नीतू डेविड का टेस्ट में इंग्लैंड के खिलाफ आठ विकेट व वनडे में पांच विकेट सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी प्रदर्शन है। शहर में महिला खिलाड़ियों के लिए आदर्श रहीं पूर्व भारतीय क्रिकेटर लेफ्ट आर्म तेज गेंदबाज अर्चना मिश्रा वर्ष 1980 से 1993 तक यूपीसीए के खेलते हुए खुद को प्रबल खिलाड़ियों की सूची में बनाए रखा। अर्चना ने पुणे में हुए इंटर जोनल मुकाबले में सात विकेट लेकर जो रिकार्ड बनाया था वह आज भी बरकरार है। जो भी हो अरविन्द सोलंकी जैसे कर्मठ क्रिकेट प्रशिक्षक से कानपुर ही नहीं उत्तर प्रदेश को भी बहुत उम्मीद है। जिस लगन और मेहनत से सोलंकी लगे हुए हैं उससे हम उम्मीद कर सकते हैं कि यहां से भविष्य में क्रिकेट का नाम अवश्य रोशन होगा।

रिलेटेड पोस्ट्स