खेलों को समर्पित नायाब शख्सियत हैं नीतू कटियार

एथलेटिक्स और खो-खो में राष्ट्रीय स्तर पर बनाई पहचान

नूतन शुक्ला

कानपुर। खेल, खेल बस खेल। सोते-जगते खेलों की बेहतरी के बारे में सोचना ही जिसका मकसद हो ऐसी नायाब शख्सियत हैं कानपुर की नीतू कटियार। एथलेटिक्स और खो-खो में राष्ट्रीय स्तर पर धाक जमाने के बाद आज वह बेसिक शिक्षा विभाग में जिला व्यायाम शिक्षक के पद पर रहते हुए नई पीढ़ी का खेलों में लगातार उत्साहवर्धन कर रही हैं। उड़न सिख मिल्खा सिंह और उड़न परी पी.टी. ऊषा को अपना आदर्श मानने वाली नीतू कहती हैं कि कानपुर में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। इस महानगर ने अतीत में जहां देश को कई कई शानदार खिलाड़ी दिए हैं वहीं वर्तमान प्रतिभाशाली खिलाड़ियों पर भी हम भरोसा कर सकते हैं।

राष्ट्रीय एथलीट रहीं नीतू कटियार बताती हैं कि खेलों में मेरे सपनों को पंख लगाने का सारा श्रेय दिनेश भदौरिया सर और अजय शंकर दीक्षित को जाता है। इन्होंने न केवल मेरी प्रतिभा को पहचाना बल्कि उसे तराशने में भी जीतोड़ मेहनत की। इन्हीं के प्रयासों से मैं स्कूल-कालेज स्तर पर खो-खो और एथलेटिक्स में कानपुर का गौरव बढ़ाने में सफल हो सकी। मेरा मानना है कि खेल सिर्फ स्वस्थ रहने के लिए ही नहीं बल्कि करियर की दृष्टि से भी काफी अहम होते हैं। नीतू कटियार खो-खो संघ से जुड़े होने के साथ क्रीड़ा भारती के कानपुर प्रांत की मंत्री भी हैं।

नीतू कटियार का कहना है कि क्रीड़ा भारती की स्थापना 1992 में की गई, जिसका मुख्य उद्देश्य खेलों के माध्यम से स्वस्थ भारत, समर्थ भारत  का निर्माण करना है। क्रीड़ा भारती के माध्यम से मैं स्थापित खेलों के साथ-साथ स्वदेशी खेलों को भी निरंतर बढ़ावा देने में प्राणपण से लगी हुई हूं। मैं चाहती हूं कि नई पीढ़ी का खेलों के प्रति आकर्षण बढ़े और खेलों के माध्यम से उनमें राष्ट्रीय चरित्र की भावना का भी निर्माण हो। क्रीड़ा भारती देश में खेल संस्कृति के बढ़ावे पर भी निरंतर ध्यान दे रही है। नीतू कहती हैं कि एक खिलाड़ी होने के नाते मैं खेलों के महत्व को न केवल समझती हूं बल्कि युवाओं का आह्वान करती हूं कि वे खेलों और व्यायाम को अपनी जीवन शैली में समाहित करें ताकि स्वस्थ भारत के संकल्प को साकार किया जा सके।

नीतू कटियार कहती हैं कि देश को खेल महाशक्ति बनाने में युवा पीढ़ी ही मददगार साबित हो सकती है, लिहाजा वह क्रीड़ा भारती के माध्यम से छात्र-छात्राओं को खेलों की दिशा में निरंतर प्रेरित करती रहती हूं। नीतू कहती हैं कि खो-खो की जहां तक बात है यह खेल कानपुर के लगभग हर स्कूल में खेला जाता है। खेलों में बेसिक शिक्षा विभाग की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए वह कहती हैं कि स्कूल स्तर से ही यदि छात्र-छात्राओं को खेलों की उचित तालीम और प्रशिक्षण मिले तो उन्हें सफल खिलाड़ी बनने से कोई नहीं रोक सकता। मैं बेसिक शिक्षा विभाग में जिला व्यायाम शिक्षक के पद पर रहते हुए अपनी तरफ से हरमुमकिन कोशिश कर रही हूं कि कानपुर की प्रतिभाओं को न केवल खेल का अच्छा माहौल मिले बल्कि उन्हें सुविधाएं भी मयस्सर हों। यह खुशी की बात है कि कानपुर में हर खेल के जानकार प्रशिक्षक मौजूद हैं।  

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