भारतीय खेल प्राधिकरण की मनमानी शर्तों से बॉक्सरों में मायूसी
तो ऑल इंडिया इंटर डिस्ट्रिक बॉक्सिंग टूर्नामेंट में नहीं खेल पाएंगे ग्वालियर के मुक्केबाज
खेलपथ प्रतिनिधि
ग्वालियर। एक तरफ केन्द्र सरकार प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को खेलो इंडिया के माध्यम से उन्हें खेल कौशल दिखाने का सब्जबाग दिखाती है तो दूसरी तरफ भारतीय खेल प्राधिकरण अपने मनमाने नियम-कायदों से प्रतिभाओं का हौसला तोड़ रहा है। साई के बेजा नियम-कायदों से किसी को परेशानी हुई हो या नहीं ग्वालियर के होनहार मुक्केबाज अब ऑल इंडिया इंटर डिस्ट्रिक बॉक्सिंग टूर्नामेंट में नहीं खेल पाएंगे।
रोहतक में 15 से 23 मार्च तक होने वाली खेलो इंडिया सब जूनियर बालक-बालिका इंटर डिस्ट्रिक बॉक्सिंग प्रतियोगिता के आगाज से पहले ही प्रतिभाशाली मुक्केबाजों के चेहरे मायूस हो गए हैं। दरअसल खिलाड़ियों की इस मायूसी की वजह भारतीय खेल प्राधिकरण व एनबीए की अव्यवहारिक शर्तें हैं। भारतीय खेल प्राधिकरण की शर्तों के मुताबिक अब बॉक्सर को हारने के बाद तुरंत परिसर छोडना पड़ेगा, जोकि अव्यवहारिक है। साई इस बात को बताए कि पराजय के बाद कम उम्र मुक्केबाजों को यदि उनके धर भेजा भी जाएगा तो आखिर किसके साथ क्योंकि टूर्नामेंट में किसी भी जिले की टीम के सभी बॉक्सर एक ही दिन में नहीं हारेंगे। जब तक एक भी बॉक्सर मुकाबले में है तब तक प्रशिक्षक को प्रतियोगिता स्थल पर ही रहना होगा, ऐसे में पराजित बॉक्सर अपने घर जाएगा भी तो किसके साथ। साई के अधिकारियों को इस बात का भी भान होना चाहिए कि बॉक्सिंग में पूरी टीम सम्पूर्ण टूर्नामेंट में एक साथ जाती है और एक साथ आती है तथा खिलाड़ियों का रेलवे कंशेसन का लाभ पूरी टीम को एक साथ ही मिलता है। किस्तों में बॉक्सर भेजे जाने पर खिलाड़ियों को रेलवे कंशेसन का लाभ कैसे सम्भव होगा।
कितना दुखद है कि एक तरफ सरकार खेलों के आयोजनों पर अनाप-शनाप पैसे जाया करती है तो दूसरी तरफ भारतीय खेल प्राधिकरण थूक से सत्तू सानने का प्रयास कर रहा है। जो बॉक्सर हारने के बाद टीम के साथ रुकना चाहता है उसके लिए प्राधिकरण ने चार सौ रुपये प्रतिदिन की राशि निर्धारित की है। उदाहरण के तौर पर यदि एक जिले के चार बॉक्सर पहले ही दिन हार जाते हैं जबकि अन्य बॉक्सर तीसरे-चौथे दिन हारते हैं तब पहले दिन हारे बॉक्सर से टीम के साथ रुकने के एवज में भारतीय खेल प्राधिकरण 1600 से 2000 रुपये वसूलेगा जोकि अन्यायपूर्ण होगा। सभी को पता है कि बॉक्सिंग जैसे खेल में गरीब बच्चे आते हैं ऐसे में वे इस बड़ी राशि को कैसे अदा कर पायेंगे? प्रतियोगिता का समय भी ठीक नहीं है क्योंकि इस समय प्रत्येक राज्य में परीक्षाएं चल रही हैं, जिससे सभी उदीयमान मुक्केबाजों का प्रतियोगिता में शिरकत करना सम्भव नहीं होगा।
इस विषय पर रियल हीरो अवार्डी सचिव/बॉक्सिंग कोच ग्वालियर बॉक्सिंग एसोसिएशन तरनेश तपन का कहना है कि भारतीय खेल प्राधिकरण के नियम-कायदे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों का मनोबल तोड़ने वाले हैं। श्री तपन का कहना है कि इन बेजा नियम-कायदों के चलते ग्वालियर जिले की टीम इस टूर्नामेंट में शामिल नहीं हो पाएगी।