एनआईएस प्रशिक्षक को विश्वामित्र अवार्ड देने की बजाय बनाया फुटबाल
मध्य प्रदेश खेल एवं युवा कल्याण विभाग की लीला न्यारी
खेलपथ प्रतिनिधि
ग्वालियर। जिस प्रदेश में प्रशिक्षकों के साथ अच्छा व्यवहार न हो रहा हो वह प्रदेश खेलों में तरक्की भला कैसे कर सकता है। जिस एनआईएस हाकी प्रशिक्षक अविनाश भटनागर को अब तक विश्वामित्र अवार्ड मिल जाना चाहिए उन्हें प्रोत्साहित करने की बजाय मध्य प्रदेश खेल एवं युवा कल्याण विभाग पिछले कुछ महीने से फुटबाल बनाए हुए है। खेल विभाग प्रशिक्षक भटनागर को लगातार परेशान करते हुए उन्हें उस सिवनी भेजने पर आमादा है जहां हाकी की दर्जन भर प्रतिभाएं भी नहीं हैं। सिवनी में हाकी के दो प्रशिक्षक पहले से ही तैनात हैं ऐसे में भटनागर की वहां क्या उपयोगिता होगी समझ से परे है।
एनआईएस हाकी प्रशिक्षक अविनाश भटनागर की जहां तक बात है वह ग्वालियर, मुरैना और शिवपुरी जैसे जिलों में अपनी उपयोगिता साबित कर चुके हैं। उनसे प्रशिक्षण प्राप्त करिश्मा यादव, नेहा सिंह, नीरज राणा को एकलव्य अवार्ड मिल चुके हैं। करिश्मा यादव और इशिका चौधरी तो भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व भी कर चुकी हैं। संचालक खेल ने अपने परवाने में लिखा है कि खेल विभाग श्री भटनागर की सेवाएं सिवनी में इसलिए लेना चाहता है क्योंकि वहां कृत्रिम हाकी मैदान होने के साथ-साथ प्रतिभाओं की भरमार है।
संचालक डा. थाउसेन अंधेरे में न केवल तीर चला रहे हैं बल्कि इस बात से भी अनजान हैं कि सिवनी में बमुश्किल आधा दर्जन हाकी प्रतिभाएं ही प्रशिक्षण हासिल करने आती हैं। इतना ही नहीं जिस जिले में पहले से ही दो प्रशिक्षक तैनात हों वहां तीसरे प्रशिक्षक को भेजने से विभाग को क्या हासिल होगा। दरअसल, मध्य प्रदेश सरकार और खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा संविदा खेल प्रशिक्षकों को नियमित करने की बजाय इसलिए परेशान किया जाता है ताकि वह अपने हक की आवाज न उठा सकें। अविनाश भटनागर के मामले में अदालत भी खेल विभाग की मंशा पर सवाल उठा चुकी है लेकिन विभाग बार-बार अदालत की अवमानना करते हुए एक कर्मठ खेल प्रशिक्षक को परेशान कर रहा है।
प्रदेश में खेलों के समुन्नत विकास के लिए जरूरी है कि सही माहौल बनाया जाए। प्रशिक्षकों को समय-समय पर उनके अच्छे काम के लिए प्रोत्साहित किया जाना जरूरी है। जिस राज्य में चापलूसी ही योग्यता का पैमाना होगा वहां खिलाड़ी कतई तैयार नहीं हो सकते। मध्य प्रदेश में कई ऐसे जिले हैं जहां प्रशिक्षक प्रशिक्षण देने की बजाय जिला खेल अधिकारियों की सेवा करने में अपना समय जाया कर रहे हैं। बेहतर होगा खेल एवं युवा कल्याण विभाग प्रशिक्षकों की उपलब्धियों के आंकड़े जुटाए और नाकाबिल लोगों को बाहर का रास्ता दिखाए तथा जो प्रशिक्षक बेहतर कर रहे हैं उन्हें सम्मानित करे। मध्य प्रदेश में सब कुछ है लेकिन खेल संस्कृति का अभाव साफ-साफ नजर आता है। भोपाल में बैठे खेलनहारों से भी पूछा जाना चाहिए कि उनकी खेलों में क्या उपलब्धि और उपयोगिता है।