इंगलैंड की नजरें दोहरी सफलता, आस्ट्रेलिया की इतिहास रचने पर
विश्वकप में जीत के बाद इंगलैंड बृहस्पतिवार से यहां आस्ट्रेलिया के खिलाफ शुरू हो रही एशेज टेस्ट सीरीज़ भी जीतकर घरेलू सत्र का अंत दोहरी सफलता के साथ करना चाहेगा। विश्वकप अगर 50 ओवर के प्रारूप की शीर्ष प्रतियोगिता है तो टेस्ट क्रिकेट में आस्ट्रेलिया और इंगलैंड के लिए एशेज से बढ़कर कुछ नहीं है। पिछले कई वर्षों में यह इंगलैंड के लिए सबसे महत्वपूर्ण घरेलू सत्र है और उसने इसकी शुरुआत पहली बार विश्वकप जीतकर की। विश्वकप जीत से इंगलैंड में क्रिकेट के समर्थकों की संख्या में इजाफा हुआ है और एशेज में जीत इन नए समर्थकों को जोड़े रखने में महत्वपूर्ण होगी। दूसरी तरफ टिम पेन के नेतृत्व में आस्ट्रेलिया एशेज सीरीज़ जीतकर दक्षिण अफ्रीका में पिछले साल गेंद से छेड़छाड़ प्रकरण को पीछे छोड़ने का प्रयास करेगा जिसके कारण पूर्व कप्तान स्टीव स्मिथ, डेविड वार्नर और कैमरन बेनक्राफ्ट को प्रतिबंध का सामना करना पड़ा था। एजबस्टन में इन तीनों बल्लेबाजों के खेलने की उम्मीद है और बेनक्राफ्ट को उसी तरह की हूटिंग का सामना करना पड़ सकता है जैसी विश्व कप के दौरान वार्नर और स्मिथ को झेलनी पड़ी थी। आस्ट्रेलियाई टीम 19 साल से इंगलैंड में एशेज सीरीज़ जीतने में नाकाम रही और उसके बल्लेबाजों को सीम गेंदबाजी की अनुकूल पिचों पर ड्यूक गेंद के सामने जूझना पड़ा है। आस्ट्रेलियाई टीम इसके बावजूद पहले टेस्ट में कोई प्रथम श्रेणी मैच खेले बिना उतरेगी। विश्वकप के स्टार खिलाड़ियों की मौजूदगी वाली इंगलैंड की टीम को पिछले हफ्ते आयरलैंड ने लार्ड्स पर एकमात्र टेस्ट की पहली पारी में सिर्फ 85 रन पर ढेर कर दिया था जिससे टीम के शीर्ष क्रम की कमजोरी उजागर होती है। इंगलैंड के गेंदबाजी आक्रमण की कमान एक बार फिर जेम्स एंडरसन के हाथों में होगी जो अब एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेलते। टीम को इसके अलावा दोबारा उप कप्तानी हासिल करने वाले बेन स्टोक्स से प्रभावी प्रदर्शन की उम्मीद होगी।
आईसीसी विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की शुरुआत भी
आस्ट्रेलिया 2001 से एजबस्टन पर किसी भी प्रारूप का मैच नहीं जीत पाया है। विश्व कप सेमीफाइनल में भी इंगलैंड ने राय की 85 रन की पारी की बदौलत उसे यहां हराया था। दूसरी तरफ इंगलैंड ने इस मैदान पर अपने पिछले 11 अंतरराष्ट्रीय मैच जीते हैं। इस सीरीज़ के साथ दोनों टीमों के लिए आईसीसी विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की शुरुआत भी होगी।
सन् 1882 में हुआ था ‘एशेज सीरीज’ का जन्म
एशेज सीरीज के विजेता को दिए जाने वाले ‘अर्न’ में ‘राख’ होती है जो प्रतीकात्मक तौर पर इंग्लिश क्रिकेट का अवशेष माना जाता है। इसकी शुरुआत तब हुई जब 1882 में ऑस्ट्रेलिया ने इंगलैंड को ‘द ओवल’ टेस्ट में हराया था। इस हार के बाद ब्रिटेन के अखबारों ने व्यंगात्मक तौर पर एक शोक संदेश प्रकाशित किया और लिखा, ‘इंगलिश क्रिकेट की मौत हो गई, शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया और राख (अंग्रेजी में एशेज) ऑस्ट्रेलिया ले जाया गया।’ तब इंगलैंड क्रिकेट टीम के कप्तान रहे इवो ब्लाइ ने शपथ लिया कि वह ‘एशेज’ को फिर से अपने देश वापस लेकर आएंगे। इसके बाद से ही क्रिकेट फैंस और मीडिया ने ऑस्ट्रेलिया बनाम इंग्लैंड टेस्ट सीरीज को ‘एशेज’ नाम दे दिया। एशेज अर्न’ के अंदर लकड़ी की गिल्लियों (बेल्स) की राख रखी गई है और इसे ‘ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट की राख’ कहते हैं। बृहस्पतिवार से दोनों देशों के बीच एशेज सीरीज के 71वें संस्करण की शुरुआत होगी।